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गोवा के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में मेक इन इंडिया के रंग, बरसों बाद समारोह में सितारों की चमक

भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह देश का ही नहीं एशिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा फिल्म समारोह है.

भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह देश का ही नहीं एशिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा फिल्म समारोह है. जब जनवरी 1952 में मुंबई में देश के पहले भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का आयोजन हुआ तब इसका स्वरुप तो छोटा था ही और यह गैर प्रतियोगी था. साथ ही शुरूआती बरसों में इसका आयोजन नियमित नहीं रहा. लेकिन इतना था कि तब पूरे एशिया में ऐसा कोई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह नहीं होता था. इसलिए भारत ने इसमें पहल करते हुए एक ऐसी परंपरा की पहल कर दी जो आज व्यापक और आकर्षक रूप ले चुकी है. आज हमारे इस फिल्म समारोह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘ए’ ग्रेड मिला हुआ है. हालांकि दूसरा अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह देश में पूरे 9 साल बाद 1961 में नयी दिल्ली में आयोजित हो पाया. ऐसे ही तीसरे फिल्म समारोह का आयोजन सन 1965 में संभव हो सका. जब 3 से 21 जनवरी 1965 के दौरान यह तीसरा अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह नयी दिल्ली में आयोजित हुआ तो तब जहाँ इसमें पहली बार प्रतियोगिता वर्ग रखा गया वहां यह समारोह पूरे 18 दिन चला. यूँ बाद में भी इस फिल्म समारोह में समय समय पर बहुत से परिवर्तन होते रहे लेकिन हर बार यह समारोह बदलावों के बाद निखरता चला गया, व्यापक होता चला गया.

आज यह समारोह कितना व्यापक और भव्य हो चुका है उसकी मिसाल इस 48 वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह से भी मिलती है. प्रथम फिल्म समारोह में जहाँ 23 देशों की कुल 40 फ़िल्में दिखायीं गयीं थीं वहां इस बार गोवा में गत 20 नवम्बर से 28 नवम्बर तक चलने वाले 48 वें फिल्म समारोह में 83 देशों की 195 फ़िल्में दिखाई जायेंगी. जिनमें यहाँ 10 फिल्मों के वर्ल्ड प्रीमियर, 10 एशियाई प्रीमियर और करीब 65 भारतीय प्रीमियर होंगे. उससे बड़ी बात यह भी है कि इस बार समारोह के इन 9 दिनों में दर्शकों को देश विदेश की एक से एक फिल्म देखने के साथ अपने बहुत से मनपसंद सितारों से मिलने, उनसे रूबरू होने का मौका भी मिल सकेगा.

मैं भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह को करीब 35 बरसों से करीब से देख रहा हूँ. इस साल समारोह के दौरान जिस तरह सितारों की मौजूदगी दिख रही है इससे पहले ये नज़ारे सन 1985 में नयी दिल्ली के दसवें अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में दिखे थे. इस बार जब गोवा में समारोह का उद्घाटन हुआ. तब शाहरुख़ खान, श्रीदेवी, शाहिद कपूर, राधिका आप्टे, राजकुमार राव के साथ ए आर रहमान, अनुपम खेर, नाना पाटेकर, बोनी कपूर, सुभाष घई, किरण शांताराम,विशाल भारद्वाज और प्रसून जोशी सहित बहुत सी फिल्म हस्तियाँ मौजूद थीं.

इतना ही नहीं आने वाले दिनों में यहाँ अमिताभ बच्चन भी आ रहे हैं जिन्हें यहाँ ‘पर्सन ऑफ़ द ईयर’ के सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है. उधर समापन समारोह में 28 नवम्बर को सलमान खान और कटरीना कैफ भी विशेष रूप से आ रहे हैं.साथ ही समारोह के इन दिनों में यहाँ फिल्मकार शेखर कपूर, और फराह खान के साथ ‘चिल्लर पार्टी’, ‘भूतनाथ रिटर्न्स’ और ‘दंगल’ जैसी फिल्मों के निर्देशक के रूप में ख्याति प्राप्त नितेश तिवारी भी इस समारोह में भाग ले रहे हैं. समारोह में भाग लेने के लिए कटरीना कैफ तो बेहद खुश हैं. कटरीना कहती हैं- “मैं इस बात से काफी उत्साहित हूँ कि मैं पहली बार भारत के इस अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में हिस्सा ले रही हूँ, जो एशिया का सबसे पुराना फिल्म समारोह है.” असल में इस बार फिल्मोत्सव के उद्घाटन की चमक भी बेमिसाल रही. इसके दो कारण हैं एक तो पहली बार देश की सूचना प्रसारण मंत्री फिल्म टीवी की दुनिया से बनी हैं. इस कारण स्मृति ईरानी की जहाँ फिल्म समारोह को बेहतर और लोकप्रिय बनाने में काफी रूचि है वहां उनका बहुत से कलाकारों से व्यक्तिगत परिचय है. इससे वह फिल्म जगत के लोगों को इस समारोह से आसानी से जोड़ सकती हैं. दूसरा इस फिल्मोत्सव की सहआयोजक गोवा सरकार है और यहाँ के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर स्वयं भी इस समारोह में बराबर काफी दिलचस्पी रख रहे हैं. दो साल बाद होने वाले स्वर्ण फिल्म महोत्सव की तैयारी में भी मनोहर पर्रिकर अभी से जुट गए हैं और इस बार का यह समारोह स्वर्ण फिल्म महोत्सव की पहली रिहर्सल जैसा है.

शबाना आज़मी की अपील रही बेअसर इन सबके साथ गोवा में उनमें से भी बहुत से कलाकार यहाँ आयेंगे जिनकी फिल्मों यहाँ प्रदर्शित हो रही हैं. हालांकि इस बार अभिनेत्री शबाना आज़मी ने फिल्म ‘पद्मावती’ के समर्थन में बॉलीवुड के तमाम कलाकारों, फिल्मकारों से इस अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का बहिष्कार करने की अपील की थी. लेकिन समारोह में जिस तरह बॉलीवुड शिरकत कर रहा है उससे साफ़ है कि शबाना आज़मी की अपील बेअसर साबित हुई है. यहाँ यह भी दिलचस्प है कि शबाना आज़मी खुद कभी इन अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का अहम् हिस्सा हुआ करती थी. कुल पांच बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी शबाना को अभिनेत्री के रूप में बड़ी पहचान तब मिली जब उनकी अंकुर,अर्थ,खंडहर,पार और गॉडमदर जैसी फ़िल्में इन समारोह में दिखाई गयीं. इस बार भी एक पुनरवलोकन खंड में उनकी ‘खंडहर’ फिल्म दिखाई जा रही है. लेकिन शबाना ने इस सबके बावजूद फिल्म जगत से इस समारोह का बहिष्कार करने की अपील की.

इंडियन पेनोरमा है सभी का आकर्षण 48 वें अन्तरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में फीचर और गैर फीचर फिल्मों के विशेष खंड होते हैं. लेकिन इनमें सबसे अहम् होते हैं प्रतियोगी वर्ग, विश्व सिनेमा और इंडियन पेनोरमा. असल में भारतीय पेनोरमा में भारतीय दर्शकों के साथ विदेशी फिल्मकारों की भी नज़र रहती है. इसलिए यह खंड काफी अहम् रहता है. फिल्म समारोह में इस खंड की शुरुआत 1978 से हुई थी. इस बार इसके लिए 24 भारतीय भाषाओँ की 178 फीचर फिल्मों की प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई थीं. जिनमें से 26 फिल्मों को समारोह में प्रदर्शन के लिए चुना गया है. हालांकि इसके लिए जूरी द्वारा प्रदर्शन के लिए चुनी गयी मलयालम फिल्म ‘सेक्सी दुर्गा’ और मराठी फिल्म ‘न्यूड’ को मंत्रालय ने कुछ आपत्तियों विशेष कर फिल्म के शीर्षक को देखते हुए समारोह से बाहर कर दिया था. जिसके विरोध में इंडियन पेनोरमा की जूरी के अध्यक्ष सुजॉय घोष ने इस्तीफ़ा दे दिया था. साथ ही ‘सेक्सी दुर्गा’ के निर्माता ससीधरन मंत्रालय के इस फैसले के बाद अदालत चले गए थे. जहाँ अब केरल हाईकोर्ट ने मंत्रालय को यह फिल्म समारोह में दिखाने के निर्देश दिए हैं. यह लड़ाई यहाँ ख़त्म होती है या आगे जाती है यह तो बाद में पता लगेगा. लेकिन दर्शकों को भारतीय पेनोरमा में देखने के लिए कई अच्छी फिल्म हैं. यूँ इंडियन पेनोरमा में मराठी सिनेमा छाया रहेगा. क्योंकि इस बार कुल 26 फिल्मों में अकेले मराठी की ही 9 फ़िल्में हैं. जबकि हिंदी की 6, बांगला की 3, असमिया 2 और तमिल,तेलुगु, मलयालम,कन्नड़, उड़िया और कोंकणी की एक एक फिल्म को भारतीय पेनोरमा में रखा गया है. इनमें एक हिंदी फिल्म ‘पीहू’ से तो इस खंड का उद्घाटन ही हुआ है. जो अपने घर में खाने की तलाश में भटकती 2 साल की बच्ची की दिल थामकर देखने वाली कहानी है. इसके अलावा ‘बाहुबली-2’, जॉली एलएल बी-2’ जैसी वे दो फ़िल्में भी है जिन्होंने लोकप्रियता और सफलता के नए आयाम बनाए. साथ ही इस बार भारत की ओर से ऑस्कर के लिए नामांकित अभिनेता राजकुमार राव की फिल्म ‘न्यूटन’ तथा पर्यावरण पर बनी फिल्म ‘कड़वी हवा’ समारोह की अन्य हिंदी फिल्मों में से हैं. उधर मराठी फिल्मों में निर्मात्री प्रियंका चोपड़ा की फिल्म वेंटिलेटर के साथ क्षितिज,कासव,पिम्पल और रेडू शामिल हैं. इन फिल्मों के साथ बांग्ला की ‘बिसर्जन’ और ‘माछेर झोल’ उड़िया की ‘ख्यानिका’ और कन्नड़ की ‘रेलवे चिल्ड्रेन’ फिल्म भी हैं.

प्रतियोगी वर्ग में हैं भारत की तीन फिल्म भारतीय सिनेमा के शौक़ीन लोगों के लिए यह निश्चय ही सुखद है कि 48 वें इफ्फी के प्रतियोगी वर्ग की कुल 15 फिल्मों में भारत की भी तीन फ़िल्में हैं. जिनमें फिल्मकार रीमा दास की असमिया फिल्म ‘विलेज रॉकस्टार’ गाँव की एक गरीब परिवार की ऐसी लड़की की कहानी है जो गाँव के लड़कों के साथ अपना रॉक बैंड बनाने का सपना देखती है. जबकि निर्देशक महेश नारायण की मलयालम फिल्म ‘टेकऑफ’ एक ऐसी नर्स की व्यथा कथा है जो अपने 8 साल के बेटे और ईरान में मिल रही नौकरी के लिए एक ईरानी युवक से शादी कर ईरान चली जाती है. लेकिन वहां उसे बंदी बना लिया जाता है. उधर मराठी फिल्म ‘कच्चा लिम्बू’ जयवंत दलवी के मराठी उपन्यास पर आधारित है.निर्देशक प्रसाद ओक की यह फिल्म एक मानसिक रूप से कमजोर बच्चे के दर्द के साथ उसके माता पिता की टीस को दिखाती है जो उस बच्चे की देखभाल के लिए कई किस्म की चुनौतियों से गुजरते हैं. जबकि अन्य प्रमुख प्रतियोगी फिल्मों में ताइवान की ‘द ग्रेट बुद्धा’, जर्मनी की ‘फ्रीडम’, जापान की ‘ब्लैक 13’, मलेशिया की ‘शटल लाइफ’, फ्रांस की ‘रेसर एंड द जेलबर्ड’, दक्षिण कोरिया की ‘मेरियोनेट’ और चीन की ‘एंजेल्स वियर वाइट’ आदि ऐसी फिल्म हैं जिनके बीच समारोह के सबसे बड़े पुरस्कार स्वर्ण मयूर (गोल्डन पीकॉक’) को पाने के लिए मुकाबला होगा. इसके अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, अभिनेत्री और निर्देशक के रजत मयूर विजेता का चुनाव भी इन्हीं 15 फिल्मों से होगा. इस समारोह में सभी पुरस्कारों के लिए कुल एक करोड़ 20 लाख रूपये की राशि निर्धारित की गयी है. पुरस्कारों का निर्णय ‘उमरावजान’ जैसी फिल्मों के निर्देशक मुजफ्फर अली की अध्यक्षता वाली जूरी करेगी.

कनाडा की रहेगी धूम हमारे अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में हर बार किसी एक देश की फिल्मों पर फोकस रखा जाता है. इस बार कनाडा पर फोकस है. इसके अंतर्गत कनाडा की हाल ही में बनी 8 ख़ास फ़िल्में अलग से दिखाई जायेंगी. जिनमें ‘ओल्ड स्टोन’, ‘क्लोसेट मोंस्टर’, ‘डोंट टॉक टू इरिन’. आई एम ऑन जूलियट’ ‘मेडीटेशन पार्क’. ‘एल्योर’,रेवेनस.’ और द स्टेयर्स’ जैसी फ़िल्में हैं. इनमें से अधिकांश फिल्मों के विभिन्न प्रीमियर होंगे. इसी के साथ दुनिया भर के फिल्म समारोह में अपनी फिल्मों के लिए बहुत से बड़े पुरस्कार जीत चुके कनाडा के फिल्म निर्देशक ऐटम ईगोयन को इस समारोह में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा जाएगा. ऐटम की तीन यादगार फ़िल्में भी समारोह में प्रदर्शित होंगी.

विश्व सिनेमा को देखने की रहेगी उत्सुकता यूँ तो भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में और भी बहुत से खंड हैं जिनमें अलग अलग किस्म की फ़िल्में प्रदर्शित की जायेंगी. जिनमें एक जेम्स बांड की उन फिल्मों का है जिन्हें देखने का अलग ही रोमांच होता है. हमारे यहाँ पहली बार जेम्स बांड की 9 फिल्मों का एक ख़ास पैकेज रखा गया है. उधर पिछले दिनों चीन में हुए ब्रिक्स देशों के फिल्म समारोह की 7 पुरस्कृत फिल्मों का प्रदर्शन भी यहाँ होगा. फिर इस वर्ष के दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता के. विश्वनाथ की तीन फ़िल्में ‘शंकराभरणम’, ‘सागर संगमम’ और ‘स्वाथीकिरणम’ भी यहाँ दिखाई जायेंगी.

इन सबके साथ समारोह में एक विशेष खंड श्रद्दांजिली का रखने की भी परंपरा रही है. इस बार इस खंड में उन 9 फिल्म दिग्गजों की एक एक फिल्म दिखाई जायेगी जिनका निधन पिछले एक वर्ष के दौरान हुआ है. इनमें अभिनेता ओम पुरी को याद करते हुए आँखें और भी नम इसलिए रहेंगी कि वह और उनकी फ़िल्में बरसों से इस समारोह का हिस्सा बनती रही हैं. वह खुद भी अधिकांश समारोह में शिरकत करते थे.यहाँ तक पिछले वर्ष नवम्बर में भी वह इस समारोह में आये थे. ओमपुरी के साथ इस बार जिन फिल्म हस्तियों को यहाँ याद किया जाएगा उनमें विनोद खन्ना, रीमा लागू, टॉम अल्टर, जयललिता,कुन्दन शाह, अब्दुल माजिद,दसारीनारायणराव और रामानंद सेनगुप्ता. ओम पुरी की ‘अर्धसत्य’, विनोद खन्ना की ‘अचानक’, कुन्दन शाह की ‘जाने भी दो यारो’ जैसी फिल्मों को यहाँ एक बार फिर देख अपने प्रिय कलाकारों को याद किया जा सकेगा.

इन सबके साथ अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह जिस धुरी पर टिका होता है वह खंड है –‘विश्व सिनेमा’.यही वह खंड है जिसमें सर्वाधिक फिल्मों का प्रदर्शन होता है. इस बरस विश्व सिनेमा वर्ग में दुनिया भर की कुल 82 फ़िल्में दिखाई जायेंगीं. इनमें कुछ प्रमुख फ़िल्में हैं- क्लोजनेस, लव मी नॉट, इन ब्लू, स्वीट कंट्री,द मिडवाइफ ,फाठेर एंड सन, बर्ड्स विदआउट नेम्स,ब्रेथ,ए फैंटास्टिक वूमन, चिल्ड्रेन ऑफ़ नाईट,समर 1993,ब्लैक लेवल,क्लोज निट, मैन डोंट क्राई, और चिल्ड्रेन ऑफ़ द नाईट. अपनी इन और अन्य फिल्मों के माध्यम से जो देश इस फिल्मोत्सव में हिस्सा ले रहे हैं उनमें अमेरिका, रूस,इंग्लेंड,फ्रांस,जर्मनी, कनाडा,जापान,ईरान,चिली, विएतनाम, ऑस्ट्रेलिया,स्पेन, हंगरी,चीन, वेनेजुय्ला,डेनमार्क, फ़िनलैंड,पुर्तगाल,ग्रीस, बेल्जियम,अर्जेंटीना ,इटली, इसरायल,बुल्गेरिया,बांग्लादेश और नीदरलैंड भी शामिल हैं.

इस वर्ष के समारोह की एक ख़ास बात यह भी है कि समारोह में दिखाई जाने वाली बहुत सी फ़िल्में दो या तीन देशों ने मिलकर बनायीं हैं. यहाँ तक समारोह की उद्घाटन फिल्म ईरान के माजिद मजीदी की ‘बियॉन्ड द क्लाउड्स’ हो या समापन फिल्म अर्जेंटिना के फिल्मकार पाब्लो सीजर की ‘थिंकिंग ऑफ़ हिम’ दोनों भारत के साथ मिलकर बनायीं हैं. यहाँ तक दोनों फ़िल्में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ के स्वप्न और लक्ष्य के अंतर्गत भारत में ही बनी हैं. इससे इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह और भी सार्थक हो सकते हैं. प्रदीप सरदाना

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