एक्सप्लोरर

बताते हैं, मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गलत क्या कहा!

मध्य प्रदेश के नए-नए बने मुख्यमंत्री और बहुत पुराने कांग्रेसी नेता कमलनाथ के इस बयान पर बड़ा हंगामा मचा है कि प्रदेश की निजी कंपनियों में यूपी-बिहार और अन्य राज्यों के लोग नौकरियां पा जाते हैं, इसलिए सरकारी छूट और सुविधाएं उन्हीं औद्योगिक इकाइयों को मिलेंगी, जो स्थानीय लोगों को 70% रोजगार देने की गारंटी सुनिश्चित करेंगे.

तीखा विरोध करने वालों में विपक्षी बीजेपी के अलावा मध्य प्रदेश में कांग्रेस के भागीदार बन चुके सपा और बसपा के नेता भी थे, जो कह रहे थे कि यह यूपी-बिहार वालों का अपमान है. जहां बीजेपी ने इसे सीधे राष्ट्रवाद से जोड़ते हुए हमला किया कि यह कांग्रेस के ‘दोहरे चरित्र एवं विभाजनकारी चेहरे’ को दर्शाता है, वहीं सपा-बसपा ने थोड़ा नरम रुख अपनाते हुए बयान दिया कि कमलनाथ को यूपी-बिहार का नाम नहीं लेना चाहिए था. लेकिन शायद कमलनाथ पर इस विरोध का कोई असर नहीं पड़ा है. वह अपने बयान पर आज भी कायम हैं और पूछ रहे हैं कि राज्य के लोगों को राज्य की नौकरियों में प्राथमिकता देने में गलत क्या है?

कमलनाथ जी, इसमें गलत यह है कि यह वैसा ही क्षेत्रवाद है जैसा कि अक्सर महाराष्ट्र में, कई बार असम में और पिछले दिनों गुजरात में देखा गया, जब हिंदी पट्टी के लोगों को सुनियोजित ढंग से मार कर बाहर भगाया गया. इसमें आपके मध्य प्रदेश के लोग भी चपेट में आते हैं. भले ही आपका इरादा ऐसा न हो, लेकिन आपके बयान में फूट और विद्वेष के बीज हैं और प्रवृत्ति वही है कि बाहरी लोग स्थानीय लोगों का रोजगार खा जाते हैं. हम जानते हैं कि मध्य प्रदेश के निवासियों के रिश्ते यूपी-बिहार से हमेशा मधुर रहे हैं, इसलिए आपके बयान का कोई वहशी असर नहीं होगा, लेकिन लोग जानते हैं कि आपने कुर्सी संभालते ही विशुद्ध अवसरवादी और वोट बैंक की राजनीति कर दी है.

दरअसल कमलनाथ का बयान संविधान की उस मूल भावना के ही विपरीत है, जिसमें देश के हर नागरिक को कहीं भी, कभी भी रोजगार प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है. आप अपनी औद्योगिक नीति में स्थानीय लोगों को नौकरियों में प्राथमिकता देने का उल्लेख तो कर सकते हैं लेकिन यह नहीं लिख सकते कि फलां राज्य के लोगों को रोजगार नहीं दिया जाएगा. इसी तरह जब महाराष्ट्र से शिवसैनिकों की तरफ से यूपी-बिहार वालों को खदेड़ा जाता है या मनसे वाले उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटते हैं, तब बीजेपी चूं तक नहीं करती. लेकिन बीजेपी नेता कमलनाथ के बयान को कर्मठ लोगों के पुरुषार्थ को ठेस पहुंचाने और श्रम के अपमान तक जरूर पहुंचा दे रहे हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना सरकार खुद स्थानीय लोगों को 80% रोजगार देने की औद्योगिक नीति पारित कर चुकी है और गुजरात में तो बीजेपी नौकरियों में हर जिले का श्रमिक कोटा निर्धारित करने की नीति लाने जा रही है. वहां बीजेपी को यूपी-बिहार के श्रमिकों का हक छिनता नजर नहीं आ रहा है!

यह सच है कि मध्यप्रदेश में ऐसे कई औद्योगिक क्षेत्र हैं, जहां कारखानों में काम करने वाले ज्यादतर मजदूर यूपी और बिहार के हैं. खासकर विंध्य के वे इलाके, जो इन राज्यों की सीमा से सटे हुए हैं. लेकिन मजे की बात यह है कि मध्य प्रदेश में पहली बार बीजेपी सरकार ने ही 2005 में बाहरी राज्य के लोगों की भर्ती रोकने पर विचार किया था. शिवराज ने 2008 में जो औद्योगिक नीति लागू की थी, उसमें यह शर्त रखी गई थी कि राज्य में निवेश करने के लिए इच्छुक उद्योगपतियों को विभिन्न सुविधाएं इसी शर्त पर दी जाएंगी कि वे अपनी इकाई में 50% रोजगार स्थानीय लोगों को देंगे. हालांकि 2014 की नई औद्योगिक नीति में उन्होंने इस शर्त को हटा दिया था. वही नीति अब भी जारी है.

जब अपने लोगों को वाकई रोजगार देने से ज्यादा बेरोजगार युवकों को अपने-अपने पाले में लाना प्राथमिकता में हो तो कमलनाथ से लेकर सारे पक्ष-विपक्ष के बयान घाव में नमक छिड़कने का ही काम करते हैं. अगर अपने गांव-कस्बे में रोजगार मिले, तो कौन घर-बार छोड़ कर हड्डी पेरने और अपमानजनक व्यवहार सहने के लिए बाहर जाना चाहेगा? लेकिन नेता बखूबी जानते हैं कि रोजगार के अवसरों में असमानता होने और समृद्धि की झूठी लालसा जगा कर ही जनता को बरगलाया जा सकता है. विभिन्न राज्यों के बेरोजगारों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करके नफरत और हिंसा की राजनीति के द्वारा उनको सही सवालों से भटकाया जा सकता है, साथ ही सरकारों के खिलाफ संचित आक्रोश को नाकाम नेताओं की तरफ से हटा कर दूसरी दिशा में मोड़ा जा सकता है.

मूल प्रश्न यह है कि जो यूपी-बिहार कभी अन्य राज्यों से कार्यबल खींचा करते थे, अब महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब जैसे कई अन्य राज्यों को मजदूर आपूर्ति करने वाले राज्य बनकर क्यों रह गए हैं! कभी यूपी का औद्योगिक नगर कानपुर श्रमिकों का मरकज हुआ करता था, लेकिन एक के बाद एक सरकारों ने उसे किस तरह तबाह किया है, यह सबके सामने है. यूपी-बिहार में एक-एक करके रिफायनरियां, चीनी मिलें और कल-कारखाने बंद किए गए. खनिज और जल-संसाधनों से समृद्ध तथा कृषि और कुटीर उद्योग में आजादी के पहले से ही अग्रणी रहे बिहार को औद्योगिक विकास की धारा में न डालने का परिणाम ही है कि वहां का मेहनतकश तबका पूरे देश में मारा-मारा फिर रहा है और नेतागण उसके श्रम और कुशलता की झूठी प्रशंसा करके उसे चने के झाड़ पर चढ़ाते रहते हैं! यूपी-बिहार के लोग अन्य राज्यों में अपने बाल-बच्चों सहित किन अमानवीय परिस्थितियों में रहते और काम करते हैं, इसका जिक्र तक कोई नेता नहीं करता. हालत यह है कि आज बिहारी मजदूर पंजाब की किसी फैक्ट्री में नहीं, बल्कि ट्रेनों में ठूंस कर खेत-मजदूरी करने ले जाया जाता है.

यूपी-बिहार के नेता यदि हिंदू-मुसलमान और अगड़ा-पिछड़ा की राजनीति करने की जगह औद्योगिक विकास पर, कृषि को लाभकारी बनाने पर और भूमि सुधार पर जरा भी बल देते, तो लोगों को राज्य में ही रोजगार मिलता और उनकी क्रयशक्ति बढ़ती. स्थानीय बाजार फैलता और कुटीर उद्योग भी बच जाते. लेकिन सत्ता को मोक्ष प्राप्ति का साधन मानने वाले राजनीतिज्ञों से इस रास्ते पर चलने की अपेक्षा करना अपने ही दीदे फोड़ना है. इसीलिए कमलनाथ का बयान सुनने में तो मध्य प्रदेश के लोगों के लिए सुरीला लग रहा है, लेकिन मूल प्रश्न यह है कि आखिर प्रदेश में ऐसी कौन-सी नई औद्योगिक इकाइयां लगने जा रही हैं, जिनमें वे अपनी नीति को लागू करेंगे. यदि मुख्यमंत्री 70% लोगों को निजी क्षेत्र में रोजगार देना चाहते हैं तो उन्हें अरबों रुपए का कर्ज लेना पड़ेगा, बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश कराना पड़ेगा और राज्य की औद्योगिक नीति भी बदलनी पड़ेगी. पिछली शिवराज सरकार ने अरबों-खरबों के एमओयू किए थे, लेकिन निवेश कौड़ियों में भी नहीं आया. राज्य का खजाना खाली है और पहले से ही लिया गया कर्ज चुकाने में पसीने छूट रहे हैं.

मध्यप्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 24 लाख से अधिक है. ये वो संख्या है जो रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत है. वास्तविक बेरोजगारों की संख्या एक करोड़ से अधिक बताई जाती है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 53% लोगों ने बेरोजगारी के कारण पिछले वर्ष आत्महत्या की. व्यापम घोटाला उजागर होने के बाद पहले ही सरकारी नौकरियों पर अघोषित पाबंदी लगी हुई है. राज्य में नई औद्योगिक इकाइयां भी बड़े पैमाने पर स्थापित नहीं हुईं हैं. सबसे ज्यादा बेरोजगार आईटी सेक्टर के हैं. इस सेक्टर में पढ़ाई करने वाले युवाओं को रोजगार की तलाश में बेंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई और पुणे जैसे शहरों की ओर रुख करना पड़ता है.

जाहिर है, चौपट अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर तंत्र में बदल कर किसी सार्थक दिशा में चलने का मार्ग कांटों भरा है. इसलिए कमलनाथ के संकीर्ण और विभाजकारी लगने वाले बयान को आगामी लोकसभा चुनाव में कमल को धूल चटाने के लिए एक कमाल की कसरत और बेचारगी से अधिक कुछ और नहीं समझा जाना चाहिए.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://twitter.com/VijayshankarC

और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुनाई खरी-खरी
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुनाई खरी-खरी
कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी पर की विवादित टिप्पणी, गोडसे की तारीफ की
कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी पर की विवादित टिप्पणी, गोडसे की तारीफ की
लापता हुए सुनील पाल का पुलिस ने खोजा पता, जानें कहां गायब हो गए थे कॉमडियन
लापता हुए सुनील पाल का पुलिस ने खोजा पता, जानें कहां गायब हो गए थे कॉमडियन
IND vs AUS: 'विराट कोहली से डर लगता है...', दूसरे टेस्ट से पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने टेके घुटने! दिग्गज ने अपने बयान से चौंकाया
'विराट कोहली से डर लगता है', दूसरे टेस्ट से पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने टेके घुटने! दिग्गज ने अपने बयान से चौंकाया
ABP Premium

वीडियोज

Bangladesh priest arrested: Chinmay Das के वकीलों पर हमले का दावा, जमानत की सुनवाई में नहीं हुए शामिल | Janhitकभी थे सूबे के सरकार, सुखबीर सिंह बादल अब बने पहरेदार! | Bharat Ki BaatBharat Ki Baat: Eknath Shinde की भूमिका पर इतना सस्पेंस क्यों? | Mahayuti | BJP | Maharashtra New CMSandeep Chaudhary: EVM से तौबा-तौबा...तो ही चुनाव निष्पक्ष होगा? | Maharashtra | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुनाई खरी-खरी
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुनाई खरी-खरी
कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी पर की विवादित टिप्पणी, गोडसे की तारीफ की
कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी पर की विवादित टिप्पणी, गोडसे की तारीफ की
लापता हुए सुनील पाल का पुलिस ने खोजा पता, जानें कहां गायब हो गए थे कॉमडियन
लापता हुए सुनील पाल का पुलिस ने खोजा पता, जानें कहां गायब हो गए थे कॉमडियन
IND vs AUS: 'विराट कोहली से डर लगता है...', दूसरे टेस्ट से पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने टेके घुटने! दिग्गज ने अपने बयान से चौंकाया
'विराट कोहली से डर लगता है', दूसरे टेस्ट से पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने टेके घुटने! दिग्गज ने अपने बयान से चौंकाया
बाबा रामदेव ने पिया गधी का दूध, जानें इसकी कीमत और क्या हैं फायदे
बाबा रामदेव ने पिया गधी का दूध, जानें इसकी कीमत और क्या हैं फायदे
महाराष्ट्र चुनाव को लेकर चुनाव आयोग से मिले कांग्रेस नेता, मांगे वोटर लिस्ट के आंकड़े! ECI ने दिया ये जवाब
महाराष्ट्र चुनाव को लेकर चुनाव आयोग से मिले कांग्रेस नेता, मांगे वोटर लिस्ट के आंकड़े! ECI ने दिया ये जवाब
खाते में नहीं पहुंची महतारी वंदन योजना की किस्त? तुरंत करें ये काम
खाते में नहीं पहुंची महतारी वंदन योजना की किस्त? तुरंत करें ये काम
संभल हिंसा: तलाशी में मिले पाकिस्तान और अमेरिका में बने कारतूस के खोखे, फॉरेंसिक टीम ने खंगाली नालियां
संभल हिंसा: पाकिस्तान और अमेरिका में बने कारतूस के खोखे, फॉरेंसिक टीम ने खंगाली नालियां
Embed widget