आज से इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज शुरू हो रही है. सीरीज में तीन वनडे मैच खेले जाने हैं. टीम इंडिया टी-20 सीरीज पहले ही 2-1 से जीत चुकी है. इसके अलावा वनडे में भी टीम इंडिया लगातार अपराजेय रही है. जाहिर है इंग्लैंड को अपने ही घर में मुश्किल चुनौती मिलने वाली है. इन सारी बातों पर लगातार चर्चा हो रही है. जिस बात को लेकर चर्चा का बाजार सबसे ज्यादा गर्म है वो है कुलदीप यादव का आखिरी टी-20 मैच में ना खेलना.


आपको याद दिला दें कि विराट कोहली ने टी-20 सीरीज के निर्णायक मैच में कुलदीप यादव को प्लेइंग-11 से बाहर बिठा दिया था. वो भी तब जबकि कुलदीप यादव पहले मैच में मैन ऑफ द मैच रहे हो. 1983 विश्व कप के सेमीफाइनल और फाइनल मैच के हीरो रहे पूर्व दिग्गज क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ ने भी हैरानी व्यक्त की है कि विराट कोहली ने कुलदीप यादव को प्लेइंग 11 से बाहर कैसे बिठा दिया. मोहिंदर अमरनाथ क्रिकेट के अच्छे जानकार हैं. बस फर्क इतना है कि शायद उन्हें आधुनिक क्रिकेट में खिलाड़ियों और कप्तानों की चाल नहीं समझ आई. सच ये है कि विराट कोहली ने सोची समझी रणनीति के तहत कुलदीप यादव को तीसरे टी-20 मैच में प्लेइंग 11 से बाहर रखा. अगर आपको ये रणनीति नहीं समझ आई तो हम बताते हैं आपको. कहानी को थोड़ा सा रिवाइंड करना होगा.


याद कीजिए तीसरे टी-20 का मैदान

आपको याद है ना कि भारतीय टीम ने तीसरा टी-20 मैच कहां खेला था. वो मैदान था ब्रिस्टल का. अगर वो मैच आपने देखा हो तो याद कीजिए मैदान के बाहर के अपार्टमेंट्स साफ साफ दिखाई दे रहे थे. कई लोग तो अपने अपार्टमेंट की बालकनी से मैच देख रहे थे. दरअसल, ब्रिस्टल दुनिया के सबसे छोटे क्रिकेट मैदानों में से एक है. सामने की बाउंड्री तो बहुत ही छोटी हैं. स्कवायर बाउंड्री अपेक्षाकृत ठीक हैं लेकिन सच यही है कि इस मैदान में चौके छक्के लगाना आसान है.

यही बात थी जो विराट कोहली के दिमाग में थी. उन्हें इस बात का डर था कि कहीं वनडे सीरीज से पहले कुलदीप यादव पर इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने आक्रमण कर दिया तो बेकार में उनके आत्मविश्वास में कमी आएगी. बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाजों पर शॉट्स खेलना अपेक्षाकृत आसान समझा जाता है. विराट कोहली जानते थे कि अगर टी-20 मैच में कुलदीप यादव को इंग्लिश बल्लेबाजों ने ‘टारगेट’ कर दिया तो बेकार में लेने के देने पड़ेगे. इसीलिए उन्होंने कुलदीप यादव को प्लेइंग 11 से बाहर बिठाया. ये जानते हुए कि पिछले मैचों में प्रदर्शन के आधार पर कुलदीप यादव को बाहर बिठाना गलत है.


वनडे में की-फैक्टर होंगे कुलदीप यादव

कुलदीप यादव कमाल के गेंदबाज हैं. उन्हीं की बदौलत टीम इंडिया ने टी-20 सीरीज का पहला मैच जीता था. उनका ऐक्शन और वेरीएशन समझना दुनिया भर के बल्लेबाजों के लिए लगातार टेढी खीर साबित हो रहा है. सपाट पिचों पर भी वो कमाल की गेंदबाजी करते हैं. अपनी गेंदों की रफ्तार इतनी कम रखते हैं कि बल्लेबाज चकमा खा जाए. यूं तो कलाई के कमाल के स्पिनर हैं लेकिन शॉर्ट गेंद ना के बराबर फेंकते हैं.

ऐक्शन ऐसा है कि उनकी गुगली बड़े से बड़ा बल्लेबाज आसानी से जज नहीं कर पाता. पहले टी-20 मैच में जब उन्होंने पांच विकेट लिए थे तो उनकी गेंदबाजी की रफ्तार 70 से 75 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की नहीं थी. ऐसे में विराट कोहली के पास कोई वजह नहीं है कि वो उन्हें वनडे सीरीज के प्लेइंग 11 से बाहर रखें. उन्हें पता है कि कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल इस वक्त भारतीय क्रिकेट के दो सबसे सकारात्मक खिलाडी हैं. दोनों एक जैसे स्पिनर हैं लेकिन दोनों की खासियत अलग अलग है. दोनों निडर होकर गेंदबाजी करते हैं. कप्तान की तरफ से भी उन्हें ये भरोसा मिला हुआ है कि पिटाई की परवाह किए बिना विकेट लेने की परवाह करें. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इंग्लैंड ने जो हालिया सीरीज जीती है उसमें इंग्लैंड के स्पिनर्स ने कुल 24 विकेट बटोरे थे. विराट कोहली भी उसी रास्ते पर चलेंगे.