BLOG: मंत्रिमंडल विस्तार में यूपी, क्षेत्रीय-जातीय संतुलन के जरिए 2022 जीतने का प्लान
मंत्रिमंडल विस्तार में यूपी को खास तरजीह दी गई. इसकी उम्मीद राजनीतिक विश्लेषक पहले से जता रहे थे. फरवरी-मार्च 2022 में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है, जिसमें यूपी सबसे अहम है. पिछले 3 चुनाव से यूपी की जनता बीजेपी को भर-भर कर वोट दे रही है. 2014, 2019 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. बीजेपी यूपी के हर इलाके में जीती, लेकिन जिन जातियों या इलाके ने बीजेपी का लगातार साथ दिया, उन जातियों और उन इलाकों से इस बार मंत्रियों को मौका दिया गया है. मंत्रिमंडल विस्तार को यूपी के संदर्भ में दो तरह से देख सकते है, पहला जाति और दूसरा क्षेत्र. पहले हम आपको जाति के जरिए समझाते हैं कि कैसे मंत्रिमंडल में यूपी की जातियों का साधा गया है.
एससी समाज के तीन मंत्री, तीनों गैर जाटव
माना जाता है कि यूपी में एससी समाज बीएसपी प्रमुख मायावती का साथ नही छोड़ते, यह बात सच भी है लेकिन एससी समाज में जाटव ही मायावती के कोर वोटर है. अन्य एससी समाज बीजेपी के पक्ष में वोट करता है, जिसमें पासी और कोरी प्रमुख हैं. आबादी के हिसाब से देश में सबसे ज्यादा एससी यूपी में हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार यूपी में 4.13 करोड़ एससी हैं, जो कि यूपी की कुल आबादी का 20.7 फीसदी है. इन 20.7 फीसदी में से अकेले 11.25 फीसदी जाटव हैं. इसके बाद सबसे ज्यादा 3.26 फीसदी पासी हैं और 1.14 फीसदी कोरी हैं. यूपी से एससी समाज के 3 मंत्री बनाए गए हैं. जिसमें कौशल किशोर यूपी के दूसरे सबसे प्रभावशाली एससी पासी समाज से हैं. भानु प्रताप सिंह वर्मा चौथी सबसे ज्यादा आबादी वाले एससी कोरी समाज से हैं. जबकि एस पी सिंह बघेल धनगर समाज से हैं. बघेल जाति पहले ओबीसी में थी और एस पी सिंह बघेल बीजेपी ओबीसी मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे थे. 24 अक्टूबर 2013 को यूपी की तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर धनगर जाति को पिछड़े वर्ग से हटाकर अनुसूचित जाति में कर दिया था. जिसके बाद बघेल ने एसपी का जाति का प्रमाण पत्र बनवाया था और आगरा सुरक्षित सीट से 2019 में सांसद चुने गए थे. 2017 और 2019 में गैर जाटव ने बीजेपी के पक्ष में वोट दिया. यूपी की विधानसभा की आरक्षित 84 सीटों में से 2017 में बीजेपी गठबंधन 74 और 2019 के लोकसभा चुनाव में लोकसभा का आरक्षित 17 सीटों में से 15 सीट बीजेपी गठबंधन ने जीती. अब जब मंत्री बनाने का मौका आया तो बीजेपी ने भी 3 मंत्री पद गैर जाटव को ही दिए.
ओबीसी समाज के 3 मंत्री, तीनों गैर यादव
यूपी में सबसे प्रभावशाली ओबीसी जाति यादव मानी जाती है, जो यूपी के लगभग हर जिले में अच्छी तादात में हैं. यूपी की कुल आबादी में 45 फीसदी ओबीसी हैं. जिसमें सबसे ज्यादा में करीब 10 फीसदी यादव हैं. यादव समाज सपा का वोटर माना जाता है. इसलिए गैर यादव को मंत्रिमंडल विस्तार में जगह दी गई. ओबीसी में यादव के बाद सबसे ज्यादा कुर्मी हैं. कुर्मी समाज के 2 लोगों को मंत्री बनाया. दोनों ही पूर्वांचल से हैं. पंकज चौधरी पूर्वांचल के उत्तरी छोर महाराजगंज से सांसद हैं तो अनुप्रिया पटेल दक्षिणी छोर मीरजापुर से सांसद हैं. यूपी में करीब 5 फीसदी कुर्मी हैं, जो पूरे यूपी में ही फैले हुए हैं. टाइटल से कुर्मी जाति पहचानना मुश्किल हैं. बरेली के आसपास के कुर्मी गंगवार, कानपुर के आस-पास कटियार और सचान, वाराणसी के आस-पास पटेल और वर्मा, गोरखपुर के आस-पास चौधरी और सैंथवार टाइटल लिखते हैं. तीसरे मंत्री बनवारी लाल वर्मा ओबीसी में लोधी समाज से हैं. यूपी में करीब 4 फीसदी लोधी है. बीजेपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह और उमा भारती भी लोधी ही हैं. लोधी जाति का अलीगढ़, बुलंदशहर, बदायूं, एटा और फर्रुखाबाद सहित कई जिलों में प्रभाव है. कल्याण सिंह लोधी समाज के सर्वमान्य नेता रहे है, उन्हीं के करीबी बीएल वर्मा को मंत्री बनाया गया है.
सवर्ण समाज से एक मंत्री, सिर्फ ब्राह्मण को मौका
प्रदेश के करीब 20 फीसदी सवर्ण हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 9 फीसदी ब्राह्मण हैं. यूपी के 6 सीएम ब्राह्मण समाज से रहे. राम जन्मभूमि आंदोलन से पहले ब्राह्मण कांग्रेस के वोटर थे. आंदोलन के बाद ज्यादातर बीजेपी के खेमे में आ गए. पिछले 3 चुनावों से ब्राह्मणों ने जिसके पक्ष में वोट किया, यूपी में उसी की सरकार बनी. 2007 में मायावती ने सरकार बनाई, तो 2012 में अखिलेश यादव ने. 2017 में यूपी में बीजेपी के 58 ब्राह्मण विधायक बनें. यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा सहित 9 ब्राह्मण मंत्री बनाए गए. यूपी में विपक्ष आरोप लगाता है कि ब्राह्मणों की अनदेखी हो रही है, जिसकी काट के रुप में खीरी के अजय मिश्र को मंत्री बनाया गया है.
मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय समीकरण भी साधा गया
यूपी में कुल 75 जिले हैं, लोकसभा की 80 सीटें और विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं. यूपी को 4 रीजन में बांटा जाता है. पश्चिमी यूपी, अवध, बुंदेलखंड और पूर्वांचल है. अब हम क्षेत्र के जरिए समझाएंगे कि कैसे मंत्रिमंडल विस्तार 2022 को ध्यान रखकर किया गया
पश्चिमी यूपी से 2 मंत्री बनाए गए
पश्चिमी यूपी में कुल 26 जिले हैं. लोकसभा की 27 सीटें और विधानसभा की कुल 136 सीटें हैं. 2014 से ही यह इलाका बीजेपी के साथ कदमताल कर रहा है. 2014 में बीजेपी लोकसभा की 27 में से 24 सीटें जीती. 2017 में विधानसभा की 136 सीट में से 109 सीट जीती. 2019 के लोकसभा चुनाव में 27 में से 19 सीटें जीती. यहां तक कि हाल ही में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी बीजेपी के 26 में से 24 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए. बीजेपी के साथ वोटरों का साथ बना रहे इसलिए पश्चिमी यूपी से एसपी सिंह बघेल और बी एल वर्मा मंत्री बनाए गए.
अवध इलाके से भी 2 मंत्री बनाए गए
अवध में कुल 21 जिले हैं. लोकसभा की 23 सीटें और विधानसभा की कुल 118 सीटें हैं. 2014 से ही यह इलाका भी बीजेपी के पक्ष में मुखर है. 2014 में बीजेपी लोकसभा की 23 में से 20 सीटें जीती. 2017 में विधानसभा की 118 सीट में से 97 सीट जीती. 2019 के लोकसभा चुनाव में 23 में से 20 सीटें जीती. यहां तक कि हाल ही में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी बीजेपी के 21 में से 20 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए. अवध से खीरी के सांसद अजय मिश्र और मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर मंत्री बनाए गए.
पूर्वांचल से भी 2 मंत्री बनाए गए
पूर्वांचल में कुल 21 जिले हैं. लोकसभा की 26 सीटें और विधानसभा की कुल 130 सीटें हैं. 2014 में पीएम मोदी के वाराणसी से चुनाव लड़ने के बाद से ही यह इलाका भी बीजेपी गठबंधन का किला हो गया है. 2014 में बीजेपी लोकसभा की 26 में से 25 सीटें जीती. 2017 में विधानसभा की 130 सीट में से 100 सीट जीती. 2019 के लोकसभा चुनाव में 26 में से 21 सीटें जीती. 2021 के जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी बीजेपी के 21 में से 16 जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए. पूर्वांचल से पंकज चौधरी और अनुप्रिया पटेल को मंत्री बनाया गया है.
बुदेलखंड इलाके को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व
बुंदेलखंड इलाके में कुल 7 जिले हैं. लोकसभा की 4 सीटें और विधानसभा की कुल 19 सीटें हैं. 2014 से ही यह इलाका बीजेपी का गढ़ बन गया है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से क्लीन स्वीप किया. 2017 के विधानसभा में भी किसी और पार्टी का यहां खाता नही खुला. जिला पंचायत के सभा 7 अध्यक्ष बीजेपी के ही हैं. बीजेपी की झोली यहां के वोटर ऐसे ही भरते रहें. इसी उम्मीद के साथ बुंदेलखंड के जालौन से सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा मंत्री बनाए गए.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)