मध्य प्रदेश में तीन तारीख को 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में सामने आए मतदान के प्रतिशत ने परिणामों के रहस्य को गहरा दिया है. 19 जिलों की 28 सीटों पर जो मतदान हुआ वो बड़ा असामान्य सा ही हुआ है. कहीं ज्यादा तो कहीं बहुत कम. उपचुनावों की शुरुआत में लग रहा था कि विधानसभा चुनावों के दो साल बाद हो रहे इन चुनावों में जनता का उत्साहजनक रुझान देखने को नहीं मिलेगा. वैसे भी उपचुनावों में मतदान सामान्य या सामान्य से बहुत कम होता है. मगर इन चुनावों में करीब सत्तर फीसदी मतदान हुआ है, जो चौंकाने वाला है.


चुनाव आयोग ने जो अंतिम आंकड़ा जारी किया है, उसके मुताबिक 69,93 प्रतिशत वोट पड़े हैं. इनमें से 80 फीसदी से ज्यादा वोट पांच विधानसभा पर तो 12 सीटों पर 70 फीसदी या उससे ज्यादा वोट पड़े. 60 फीसदी मतदान वाली सीटें छह तो 50 फीसदी के आसपास मतदान वाली सीटें चार, जबकि एक सीट पर चालीस फीसदी तक वोट पड़े हैं. इस असामान्य वोटर टर्न आउट से कुछ भी अंदाजा लगाना बहुत कठिन है.


जिन चार सीटों पर अस्सी फीसदी मतदान हुआ है, वो मालवा इलाके की हैं. जहां पर कहा जाता है कि आरएसएस और बीजेपी का गढ़ है. ये चार सीटें हैं बदनावर, आगर मालवा, हाट पिपल्या और ब्यावरा. बीजेपी से जुड़े लोगों का कहना है कि इन सीटों पर जमकर मेहनत कर पार्टी के वोटरों को घरों से निकाल कर मतदान केंद्रो तक लाया गया और इसलिये बीजेपी इन सीटों पर जीत का दावा कर रही है. पार्टी के महासचिव भगवान दास सबनानी कहते हैं कि पार्टी ने माइक्रो लेवल पर काम किया. अपने कार्यकर्ता को पूरे समय उत्साहित और वोटरों को मतदान केंद्रों तक लाने की रणनीति पर लगाए रखा. उसी का नतीजा है इतना अच्छा वोट प्रतिशत.


बीजेपी से जुड़कर सर्वे और चुनावी रणनीति बनाने वाले जानकार का दावा है कि जिन सीटों पर सत्तर फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है वो बीजेपी की सीटें हैं, इसलिये बीजेपी 17 से 18 सीटें आसानी से जीत रही है.


मालवा में तो ज्यादा मतदान हुआ मगर ग्वालियर चंबल का वो इलाका जहां सोलह सीटें थीं, वहां वोट का प्रतिशत और जगहों के मुकाबले कम रहा. इस इलाके में कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद थीं मगर कुछ जगहों पर हिंसा और मतदाता की बेरुखी देखने मिली तो इससे इस इलाके में ज्यादा सीटें जीतने की कांग्रेस की संभावनाएं कम हुई हैं. कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी दावा करते हैं कि ज्यादा मतदान सरकार के प्रति जनता की नाराजगी है, जो खुलकर सामने आई. कांग्रेस के नेता भी 18 से बीस सीट जीतने की उम्मीद लगाए हैं.


अब देखना ये है कि ये असामान्य मतदान किस पार्टी को फायदा पहुंचाता है.


नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.