नाभा जेल ब्रेक की घटना के बाद एक बार फिर जेलों को लेकर चर्चा गरम है. जेल, अक्सर तभी चर्चा में होते हैं जब यहां कोई कांड होता है. वरना, बाहर की खामोशी के बीच जेलों की अंदर की दुनिया चलती ही रहती है और उसका इल्म बाहरी दुनिया को नहीं हो पाता है.


फिल्मों के जरिए जरूर लोग जेलों के माहौल का अंदाजा लगाने का प्रयास करते हैं. लेकिन, यह सच है कि जेलों में फिल्मों की जेलें हकीकत के इतर होती हैं. हालांकि, जेलों के अंदर से जो खबरें कई बार छनकर बाहर आती हैं वे काफी चौंकाने वाली होती हैं और कई दफा तो फिल्मी कहानियों से भी ज्यादा सनसनीखेज.


जहां इतने अपराधी एक साथ रखे जाते हैं वहां की सुरक्षा को लेकर भी अक्सर सवाल उठता है. प्रशासन की ओर से तमाम दावे भी किए जाते हैं लेकिन, नाभा जैसी घटनाएं अचानक सभी दावों और तैयारियों को धता बता देती हैं. सच्चाई यही है कि जेलों की सुरक्षा हमेशा संदेह में ही रहती है.


देशभर में हर जिले में कम से कम एक जेल तो है ही. और, यहां होने वाली वारदतों के बारे में भी लोग आए दिन सुनते हैं. जेलों के अंदर क्या होता है यह पूरी तरह से तो सामने नहीं आता है. लेकिन, जेलों से मोबाइल बरामद होना और मारपीट की घटनाएं खूब सामने आती है.


लेकिन, इसके साथ ही हुई हैं कई जेल ब्रेक की भी बड़ी घटनाएं. देश की सबसे बड़ी जेल से लेकर छोटी जेलों तक में इस तरह की घटनाएं हुई हैं. इन्हें काफी सनसनीखेज ढंग से अंजाम दिया गया है. कुछ मामलों में तो अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन, कुछ को पुलिस कभी नहीं पकड़ पाई.


जेल ब्रेक को लेकर बॉलीवुड और हॉलीवुड में कई फिल्में तक आ चुकी हैं. लेकिन, जेलब्रेक की हकीकत में हुई घटनाएं किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं. आईए जानते हैं 'जेल ब्रेक' की सनसनीखेज घटनाओं के बारे में और उन अपराधियों के बारे में जो जेल तोड़ कर फरार हो गए...


चंडीगढ़, बुड़ैल जेल ब्रेक :


पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के आरोप में कैद जगतार सिंह हवारा, चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल तोड़ कर फरार हो गया था. यह बहुत ही सनसनीखेज मामला था. इसमें जगतार सिंह तारा, जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिं भ्योरा और देवी सिंह 2004 में जेल में सुरंग खोद कर भाग गए थे. इन्होंने पूरी 90 फीट लंबी सुरंग खोदी थी.


भोपाल जेल ब्रेक कांड :


पिछले कई कांडों में से जेल ब्रेक का यह बड़ा कांड सामने आया था. इस सनसनीखेज वारदात में 31 अक्टूबर, 2016 को जेल सुरक्षाकर्मी की हत्या कर कैदी भाग गए थे. भागे सभी आठ कैदी इस्‍लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से संबंधित थे. हालांकि, सभी को पुलिस ने उनके भागने के कुछ ही घंटों के भीतर एनकाउंटर में मार गिराया. हालांकि, इस एनकाउंटर पर सवाल भी उठाए गए.


नटवर लाल और जेल ब्रेक :


मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव उर्फ नटवर लाल कुख्यात ठग था. उसे उसके कारनामों के लिए 100 साल से भी ज्यादा की सजा हुई थी. देश की अलग-अलग जेलों से वह 8 बार भाग निकलने में कामयाब हुआ था जिसमें दिल्ली की अति सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल की सुरक्षा भी शामिल है (तिहाड़ से पेशी में जाते वक्त भागा था). कथित तौर पर 1996 में जब वह आखिरी बार जेल से भागा तो उसकी उम्र 84 साल की थी और वह व्हीलचेयर पर चलता था. 24 जून 1996 को नटवारलाल को आखिरी बार देखा गया लेकिन, पकड़ा नहीं जा सका.


तिहाड़ जेल ब्रेक/डेनियल वॉलकाट :
यह एक अमेरिकन स्मगलर था. डेनियल 1965 में तिहाड़ तोड़कर फरार हुआ था. यही नहीं उसने तिहाड़ से भागने के लिए पुलिस की ही गाड़ी का इस्तेमाल किया था. जेल से वह सीधे सफदरजंग एयरपोर्ट आया था और यहां पहले से तय योजना के अनुसार प्राइवेट प्लेन में बैठ कर देश की सीमा से बाहर चला गया. इसके बाद पहली दफा तिहाड़ जेल की सुरक्षा में बुनियादी परिवर्तन किया गया.


तिहाड़ जेल ब्रेक/चार्ल्स शोभराज :
'बिकनी किलर' और सीरियल किलर के तौर पर कुख्यात चार्ल्स शोभराज के बारे में सब जानते हैं. वह भी तिहाड़ जेल तोड़ कर भाग चुका है. हालांकि, उसके एक माह के बाद ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. वह सन 1986 में अपने साथियों के साथ तिहाड़ से भागने में कामयाब रहा था. दोबारा पकड़े जाने के बाद वह सजा पूरी कर के 1997 में बाहर आ सका.


तिहाड़ जेल ब्रेक/शेर सिंह राणा
फूलन देवी की गोली मार कर हत्या करने वाला शेर सिंह राणा भी जेल से भागने में सफल रहा है. हालांकि, उसे फरारी के करीब दो साल बाद पकड़ लिया गया था. 17 फ़रवरी 2004 को राणा तिहाड़ जेल से फरार हो गया था. 17 मई 2006 को राणा को एक बार फिर कोलकाता से गिरफ्तार किया गया.