राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान जारी है, लेकिन अब देश की निगाहें टिकी हुई है कि एनडीए की तरफ से अगला उपराष्ट्पति का उम्मीदवार कौन होगा? जाहिर है मोदी के मन की बात समझना मुश्किल है. मोदी अपनी चाल और रणनीति की भनक किसी को नहीं लगने देते है. फिर भी जोखिम उठाने की कोशिश कर रहा हूं कि उपराष्ट्पति का उम्मीदवार कौन होगा. जगजाहिर है कि अमित शाह को बीजेपी के अध्यक्ष बनाने, पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राईक करने, देश में नोटबंदी लागू करने, यूपी में योगी को सीएम बनाने और दलित रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने में मोदी की चाल की भनक किसी को नहीं लगी, लेकिन मोदी जो भी काम करते हैं उसके पीछे दो वजहें होती हैं. एक लॉजिक दूसरा उनकी पसंद. अब सवाल उठता है कि उपराष्ट्रपति चुनने में उनका क्या लॉजिक हो सकता है और उनकी पसंद कौन हो सकता है.
क्या आदिवासी या अगड़ी जाति के उम्मीदवार होंगे?
उपराष्ट्रपति चुनने के लिए मोदी के मन में पांच बातें हो सकती हैं कि किसे उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जाए. पहला आदिवासी, दूसरा अगड़ी जाति, तीसरा दक्षिण भारतीय, चौथा आनंदीबेन पटेल और पांचवां अनुभवी और प्रशासनिक शख्स. बीजेपी सरकार के चार महत्वपूर्ण पदों पर काबिज है. राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद उम्मीदवार हैं जिनका जीतना तय है वो दलित जाति से आते हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ओबीसी से आते हैं और लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन जो कि ब्राह्मण जाति से आती हैं.
जाति को पैमाना बनाएं तो आदिवासी और अगड़ी जाति के उम्मीदवर उपराष्ट्रपति पद के लिए हो सकते हैं. आरएसएस और बीजेपी के सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले के तहत उपराष्ट्रपति पद के लिए आदिवासी और अगड़ी जाति पर जोर दिया जा सकता है. इसकी भी दो वजहें हैं लोकसभा चुनाव में आदिवासी की 47 सीटों में से 28 सीटों पर बीजेपी गठबंधन जीती थीं. आदिवासी वोटरों को रिझाने के लिए आदिवासी उम्मीदवार बनाया जा सकता है क्योंकि बड़े पदों पर आदिवासी के नेता नदारद हैं. गुजरात, झारखंड और उड़ीसा में पार्टी की स्थिति मजबूत करने के लिए बीजेपी ये गेम खेल सकती है. वहीं बीजेपी और सरकार के तीन महत्वपूर्ण पदों राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, बीजेपी के अध्यक्ष पद पर अगड़ी जाति को तरजीह नहीं मिली है जबकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी अगड़ी जातियों को खूब तरजीह देती है. अगड़ी जाति के वोटर भी जमकर बीजेपी को वोट करते हैं. हाल में यूपी विधानसभा चुनाव में करीब 44 फीसदी अगड़ी जाति के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारने का काम बीजेपी ने किया था.
क्या दक्षिण भारत से होगा उम्मीदवार?
उत्तरी और पश्चिम भारत में बीजेपी की जड़ें मजबूत हैं लेकिन लाख कोशिश के बाद भी दक्षिण भारत में बीजेपी की जड़ें उत्तरी भारत की तरह मजबूत नहीं हुई है और न ही बड़े पदों पर दक्षिण भारत का कोई प्रतिनिधि नहीं है. मोदी उत्तरी और दक्षिण भारत की खाई को पाटने के लिए दक्षिण भारत के नेता को उपराष्ट्रपति बना सकते हैं. सूत्रों के हिसाब से दक्षिण भारत से तीन नेता का नाम चल रहा है जिसमें हैं वैंकया नायडू, निर्मला सीतारमन और विद्यासागर राव में कोई एक उम्मीदवार हो सकते हैं. इन तीनों नामों में से वेंकैया नायडू का नाम सबसे आगे चल रहा है. ऐसे में वेंकैया नायडू का राजनीतिक अनुभव और उनका सियासी कद राज्यसभा में काफी काम आ सकता है. केंद्र की राजनीति में वेंकैया नायडू का अहम रोल है और मोदी के चहेते भी हैं.
आनंदीबेन भी रेस में हैं
मोदी ऐसे नेता हैं जो भी निर्णय लेते हैं वो ठोक बजाकर फैसला लेते हैं. नफा और नुकसान को ध्यान में रखकर फैसला लेते हैं. गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और गुजरात में पटेल जाति बीजेपी से खफा हैं. पटेल जाति को रिझाने के लिए मोदी आनंदीबेन पटेल को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बना सकते हैं. आनंदीबेन पटेल मोदी के करीबी भी हैं और जिस ढंग से उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटाया गया है. उन्हें खुश करने के लिए और पटेल जाति के वोटरों को लुभाने के लिए आनंदी बेन पटेल को भी उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
ये सारी संभावनाएं हैं जिस पर मोदी विचार कर रहे होंगे. अगर मोदी के दिमाग में ये बात चल रही होगी कि राजनीतिक संदेश से ज्यादा अगर प्रशासनिक क्षमता पर जोर दिया जाए तो किसी अनुभवी व्यक्ति को उपराष्ट्रपति बना सकते हैं. इस मायने से भी वेंकैया नायडू रेस में आगे हो सकते हैं लेकिन फिर वही सवाल है मोदी के मन की बात कौन जान सकता है कौन होगा उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार आज बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में मुहर लग जाएगा.
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धर्मेन्द्र कुमार सिंह, चुनाव विश्लेषक और ब्रांड मोदी का तिलिस्म के लेखक हैं. इनसे ट्विटर पर जुड़ने के लिए @dharmendra135 पर क्लिक करें.
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