आंध्र प्रदेश में दो दर्जन से ज्यादा नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया गया. बैठक की गुप्त सूचना पुलिस को मिली और दो राज्यों की सुरक्षा एजेंसियों ने शानदार कार्रवाई कर नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया. इस तरह की खबरें काफी कम आती हैं क्योंकि, अक्सर घात लगा कर किए गए नक्सली हमलों में सुरक्षा जवानों की मौत की घटनाएं सामने आती हैं.



आतंकियों के खिलाफ चल रहे अभियान के बीच नक्सलियों को लेकर लिया गया यह सख्त फैसला कई स्थितियां साफ कर रहा है. उसमें सबसे खास यह है कि सरकारें (राज्यों की) अब इस मामले में पहले से ज्यादा सख्त हैं और इसके लिए केंद्र की ओर से भी उन्हें काफी मदद मिलती महसूस हो रही है. आंध्र का ऑपरेशन बड़ा था और खूफियातंत्र की सफलता बताता है.



नक्सल प्रभावित जंगलों में लांग रेंज पेट्रोलिंग (एलआरपी) होती रहती है. कुछ एक मौकों पर बलों का सामना नक्सलियों से होता है लेकिन सुरक्षाबलों के हाथों ज्यादातर खाली कैंप और जहर डाले गए खाने का सामान ही मिलता है. जंगलों में नक्सलियों का सूचना तंत्र बहुत तेज है साथ ही भौगोलिक स्थिति का वे खूब फायदा उठाते हैं.



जवानों के साथ भौगोलिक स्थिति के बारे में जानकारी का कम होना एक नकारात्मक स्थिति होता है. इसके साथ ही नक्सलियों की ओर से लैंड माइन, डायरेक्शनल माइन का प्रयोग होता है. जिसे जंगल के अंदर लोकेट करना बहुत ही मुश्किल है. ऐसे में आंध्र के जंगलों में हुई घटना पूरे रेड बेल्ट (उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और आंध्र के साथ अन्य) पर असर डालेगी.



सुरक्षाबलों के मनोबल में इजाफा होगा ही साथ ही नक्सलियों का मनोबल कम होगा. पिछले दिनों में इनकी शक्ति में वैसे भी कमी आई है और इनका साम्राज्य दरकने लगा है. उसका सबसे बड़ा कारण है कि इनके बीच कई अलग-अलग गुट बन रहे हैं जिनका मकसद पैसे कमाना है. अपने इलाके में लेवी (अवैध वसूली) करने पर इनका ध्यान ज्यादा है.



लेकिन, इन सबके बीच एक और बात ध्यान देने वाली है कि पिछले दिनों नोएडा में कथित खतरनाक नक्सलियों को दबोचा गया है. रिहायशी कॉलोनी के बीच उन्होंने अपना आशियाना बनाया था. झारखंड और छत्तीसगढ़ में तो नक्सली संगठनों के शहरों की ओर पलायन की घटना नई नहीं है लेकिन जिस तरह नोएडा की घटना सामने आई वह चौंकाने वाली है.



ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि शहरों पर नक्सल का प्रभाव पड़ सकता है. इसके साथ ही अपनी शक्ति जाहिर करने के लिए ये शहरों को भी निशाना बना सकते हैं. सुरक्षाबलों को एहसास है कि नक्सलियों की ओर से आंध्र की घटना का पलटवार जरूर किया जाएगा. क्योंकि नक्सलियों का पलटवार का इतिहास रहा है.