(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
BLOG: पद्मावती, भंसाली और इतिहास
संजय लीला भंसाली को हेलेन केलर की जिंदगी पर बनाई गई फिल्म ‘ब्लैक’ के लिए भारतीय सिनेमा हमेशा याद रखेगा. संजय लीला भंसाली की 2015 में आई फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ को दर्शकों ने खूब पसंद किया लेकिन उनकी ये फिल्म भी विवादों से अछूती नहीं थी. इतिहास के साथ छेड़छाड़ के आरोपों के चलते इस फिल्म का भी पुणे में जमकर विरोध हुआ था. फिलहाल भंसाली की अगली फिल्म ‘पद्मावती’ को लेकर बवाल मचा हुआ है.
भंसाली ‘पद्मावती’ की जयपुर में शूटिंग कर रहे थे तभी उन पर करणी सेना ने हमला कर दिया. इस दौरान भंसाली के साथ मारपीट भी की गई. करणी सेना का आरोप है कि फिल्म में तथ्यों को तोड़मरोड़ कर दिखाया जाएगा. करणी सेना ने यह भी साफ कर दिया है कि उन्होंने जो किया उसके लिए उन्हें कोई पछतावा नहीं है. करणी सेना ने जो कुछ भी किया उसे किसी भी मायने में सही नहीं ठहराया जा सकता.
करणी सेना का आरोप है कि संजय लीला भंसाली ने अपनी फि़ल्म ‘पद्मावती’ में अलाउद्दीन खिलजी और रानी ‘पद्मावती’ के बीच एक बेहद ही आपत्तिजनक सीन डाला है. इस सीन में अलाउद्दीन खिलजी एक सपना देखता है जिसमें वो रानी ‘पद्मावती’ के साथ है. सबसे पहला सवाल तो ये उठता है कि जिस फिल्म की शूटिंग तक पूरी न हुई हो उस फिल्म में ‘पद्मावती’ के किरदार के बारे में ठीक-ठीक कैसे बताया जा सकता है.
दूसरा सवाल अगर करणी सेना को किसी भी माध्यम से ये पता भी चल गया कि ‘पद्मावती’ के किरदार को फिल्म में सही तरीके से नहीं दिखाया गया है तो करणी सेना एक लोकतांत्रिक देश में लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रख सकती है.
करणी सेना के प्रमुख का कहना है कि ‘पद्मावती’ ने 1600 महिलाओं के साथ ‘जौहर’ किया था. फिल्म में अगर उन्हें इस तरह से दिखाया जाएगा तो करणी सेना इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी. विवाद ज्यादा बढ़ने के बाद भंसाली ने फिलहाल फिल्म की शूटिंग रोक दी है और मुंबई वापस लौट आए हैं.
जाने-माने इतिहासकार इरफान हबीब ने भी इस विवाद को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. इरफान हबीब के मुताबिक ‘पद्मावती’ वास्तव में कोई रानी नहीं थीं. हबीब की मानें तो हिन्दी के जाने-माने कवि मलिक मोहम्मद जायसी ने 1550 में ‘पद्मावत’ की रचना की थी. इतिहास में ये काल अकबर का था. ‘पद्मावत’ में ही ‘पद्मावती’ का किरदार मिलता है. जबकि अलाउद्दीन खिलजी का काल 1296 से 1316 तक रहा है.
रानी ‘पद्मावती’ को लेकर जो कहानी है उसके मुताबिक रानी ‘पद्मावती’ रतन सिंह की पत्नी थीं. ‘पद्मावती’ पर दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की बुरी नजर थी. खिलजी ‘पद्मावती’ को पाने के लिए चित्तौड़ पर हमला कर देता है. अपना सम्मान बचाने के लिए रानी ‘पद्मावती’ जौहर करके अपनी जान दे देती हैं. मलिक मोहम्मद जायसी की रचना ‘पद्मावत’ एक अद्भुत रचना है. इस रचना के कई खंड़ हैं जिनमें अलग-अलग स्थितियां दिखाई गई हैं. ‘पद्मावती’ रतन सिंह की दूसरी पत्नी थीं. रतन सिंह की पहली पत्नी नागमती थीं. ‘पद्मावत’ में रतन सिंह और ‘पद्मावती’ के मिलन का भी एक अलग प्रसंग है. बहरहाल एक साहित्यिक और अर्ध ऐतिहासिक पात्र पर बवाल अपने चरम पर है.
इतिहास का पूरा सच कोई भी नहीं बता सकता. लेकिन ज्यादातर इतिहाकार इसी पक्ष में हैं कि ‘पद्मावती’ एक काल्पनिक पात्र थीं. सवाल हमेशा से ये भी उठता रहा है कि रचनात्मकता के नाम पर इतिहास के साथ खिलवाड़ कहां तक जायज है. रचनात्मकता के लिए क्या ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ना-मरोड़ना सही है?
इस सवाल का सीधा और स्पष्ट जवाब है नही. लेकिन किसी भी मुद्दे पर अपनी राय रखने के लिए गुंडागर्दी का सहारा लेना कहां तक उचित है. भारत एक लोकतांत्रिक देश है जिसमें हर शख्स को किसी भी मुद्दे पर अपनी असहमति जताने का पूरा अधिकार है. लेकिन हमें इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि हमारा असहमति जताने का तरीका भी लोकतांत्रिक हो.
करणी सेना रानी ‘पद्मावती’ के किरदार को सही तरह से न दिखाए जाने पर जिस तरह से गुंडागर्दी कर रही है वह लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए घातक है. राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता भंसाली का अपमान करना बेहद ही दुखद और निराशाजनक है. अब ये विवाद थमता दिखाई दे रहा है. लेकिन जिस तरह से फिल्म को लेकर विवाद खड़ा हुआ उसके बाद ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भंसाली की ये फिल्म आने वाले समय में कई रिकॉर्ड तोड़ेगी.