ब्लॉग: बीजेपी को अब राहुल गांधी की काट निकालनी ही पड़ेगी
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‘हर इक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है, तुम्हीं कहो के ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है’- जी नहीं, यहां महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब अपने ज़माने के शाही उस्ताद शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ से नहीं बल्कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पीएम नरेंद्र मोदी से मुख़ातिब हैं. राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का स्तर अगर इतना उठ जाए तो सुखद आश्चर्य होता है. वरना तो युवराज, मम्मी-जीजाजी की सरकार, ख़ूनी पंजा, मौत का सौदागर, शहीदों के ख़ून की दलाली, इटली कनेक्शन, फेंकू, पप्पू, बुआ-भतीजा आदि-इत्यादि के विमर्श ने राजनीतिक बहसों का स्तर इतना गिरा दिया है कि लज्जा आती है.
ख़ैर, राहुल गांधी ने ग़ालिब का वह शेर इस परिप्रेक्ष्य में इस्तेमाल किया है कि उनकी छवि पर बट्टा लगाने के लिए जिस तरह उनका चरित्रहनन किया जाता है, उन्हें अपरिपक्व और टॉफी चूसने वाला बच्चा बताया जाता है, यहां तक कि उनकी ‘पप्पू’ छवि बनाने के लिए सोशल और प्रिंट मीडिया में अभियान चलाया जाता है. यह राजनीति करने का भला कौन-सा तरीका है. पता नहीं राहुल गांधी को पता है या नहीं कि उनकी इस भावना को व्यक्त करने के लिए ग़ालिब की इसी ग़ज़ल का एक शेर है- ‘बना है शह का मुसाहिब फिरे है इतराता, वगरना शहर में ग़ालिब की आबरू क्या है.’ राहुल गांधी मोदी जी से जवाब मांग रहे हैं कि उनका चाहे जितना मज़ाक उड़ा लिया जाए, लेकिन कृपया यह बताया जाए कि मोदी जी द्वारा सहारा ग्रुप और बिड़ला घराने से घूस ली गई अथवा नहीं?
राहुल गांधी को लोग भले ही बच्चा बताते फिरें लेकिन उन्होंने राजनीतिक बहसबाज़ी को एक मयार तो दिया ही है. लेकिन जिस तरह वह पूर्व में ‘शहीदों के ख़ून की दलाली’ जैसी छिछले स्तर की जुमलाबाज़ी पर उतरते रहे हैं उसे देखते हुए इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि न जाने कब वह चचा ग़ालिब से मियां चिरकिन पर उतर आएं और अपने साथ-साथ कांग्रेस की भी किरकिरी करा बैठें. वैसे विगत में उन्होंने जब-जब सधी हुई जुमलेबाज़ी की है तब-तब भाजपा को बगलें झांकने पर मजबूर होना पड़ा है. ‘सूट-बूट की सरकार’ वाला जुमला सीधे भाजपा की नाभि में लगा था.
इसके बरक्स अगर मोदी जी को देखा जाए तो उनके व्यंग्य-मज़ाक में निजी और पारिवारिक पुट कुछ ज़्यादा ही होता है जिससे कांग्रेस तिलमिला उठती है. वह जानती है कि इस मामले में मोदी जी का मुक़ाबला करने के लिए उसके पास एक भी नेता मौजूद नहीं है. अभी उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में राहुल गांधी ने कांग्रेस की जनाक्रोश रैली को संबोधित करते हुए जब पीएम से घूस लेने का जवाब मांगा तो मोदी जी ने अपनी ही स्टाइल में राहुल पर तंज कसा कि कांग्रेस के एक युवा नेता हैं जो आजकल बोल रहे हैं. उनके बोलने पर मुझे बहुत ख़ुशी होती है. किसी का काला धन खुल रहा है, तो किसी का काला मन खुल रहा है.
मोदी जी के इस बयान से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि बीजेपी अब राहुल गांधी को हल्के में लेना नहीं चाहती. राहुल की बातों पर, ख़ास तौर पर नोटबंदी के बाद लोग काफी ध्यान देने लगे हैं. बीजेपी समझ गई है कि अब पप्पू-पप्पू करने से काम नहीं चलेगा. वरना तो हाल यह था कि जब-जब राहुल गांधी ने अपनी कोई इमेज बनाने की कोशिश की तो बीजेपी ने उसकी हवा निकाल दी. जब राहुल मजदूरों के साथ तसले ढोने या भूमि अधिग्रहण में किसानों का साथ देने किसी गांव में पहुंचे तो बीजेपी ने उसे ग्राम-पर्यटन बता दिया, जब वह किसी गरीब की झोपड़ी में खाना खाने पहुंचे तो बीजेपी ने उसे गरीबी का मज़ाक उड़ाना करार दे दिया. इसकी जिम्मेदारी भी अनुभवहीन, अनमन्यस्क, कमज़ोर वक्ता और राजनीतिक तौर पर अपरिपक्व राहुल गांधी के सर पर ही थी.
लेकिन अब राहुल गांधी लोगों के सामने एक गंभीर नेता के तौर पर पेश हो रहे हैं और बीजेपी को जैसे को तैसा वाली ज़बान में जवाब दे रहे हैं. पीएम मोदी ने बाहर रहकर संसद में न बोलने देने का दुखड़ा रोया तो राहुल गांधी ने संसद के भीतर रहकर पीएम के भ्रष्टाचार पर न बोलने देने की शिकायत की. पीएम मोदी ने बीएचयू में अपने भाषण के दौरान राहुल पर तंज कसते हुए कहा कि वो भाषण देने की कला सीख रहे हैं तो राहुल ने अगले ही दिन जवाब दिया कि पीएम उनके सवालों का जवाब नहीं दे रहे हैं, केवल मज़ाक उड़ा रहे हैं.
इतना ही नहीं राहुल गांधी मोदी जी से अब आमने-सामने टक्कर लेने को तैयार हैं. वह सीधे हल्ला बोल रहे हैं- “मोदी जी ने कहा कि लाइन में चोर खड़े हुए हैं, आज बैंक के सामने मैंने लोग देखे मोदी जी, वो चोर नहीं ईमानदार गरीब हैं. हर दिन हमारे किसान आत्महत्या कर रहे हैं. हम पीएम के पास उनकी समस्याओं को लेकर गए, लेकिन पीएम ने एक शब्द भी नहीं कहा. काला धन उनके पास नहीं है जो लाइन में खड़े हैं, काला धन उनके पास है जो आपके साथ हवाई जहाज में जाते हैं. कोई है जिसके अकाउंट में मोदी जी ने 15 लाख डलवाए हों. मुझे एक काले धन वाले का नाम बताओ जिसको इन्होंने जेल में डाला. मोदी जी, आपने कितने लोगों को जेल भेजा? एक भी नहीं. इसके बजाए ललित मोदी और विजय माल्या को भागने दिया.'
राहुल गांधी की यह डेरिंगबाज़ी और आक्रामक प्रश्नावली निश्चित ही कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी का काम करेगी जबकि बीजेपी और मोदी जी को युवराज, मम्मी-जीजाजी की सरकार, ख़ूनी पंजा आदि की जुमलेबाज़ी से ऊपर उठकर जल्द ही इसकी कोई काट निकालनी पड़ेगी.
Note: ये लेखक के निजी विचार हैं, इससे एबीपी न्यूज़ का कोई संबंध नहीं है.
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