किसी की मौत किसी भी दशा में जायज नहीं होती. आतंकी घटनाओं में लोगों का मारा जाना हो या बीमारियों के प्रकोप से. या फिर प्रदूषण की मार हो जो अंदर-अंदर हमको खोखला बना रहा है. लेकिन, इन सब के बीच एक ऐसा 'राक्षस' हमारे बीच मुंह बाए खड़ा है जो हर रोज देश के 400 लोगों को निगल रहा है.

इसे आखिर कब तक बर्दाश्त किया जाता रहेगा ?

सरकार को इस समस्या पर खास ध्यान देना होगा. राज्य सरकारों को भी गंभीर होना होगा. क्योंकि, हर रोज इतनी संख्या में मौतें तो चौंकाने वाली हैं. यह आंकड़ा किसी भी एक 'आपदा' में मारे जाने वाले लोगों की संख्या से कहीं ज्यादा है. इसे आखिर कब तक बर्दाश्त किया जाता रहेगा.

दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले लोगों की संख्या में इजाफा

वह है हमारी 'सड़क दुर्घटना', जी हां...ताजा आंकड़ों के अनुसार हर रोज हमारे देश में करीब 400 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मर रहे हैं. इसके साथ ही करीब 1400 लोगों को ये सड़क दुर्घटनाएं अपाहिज बना दे रही हैं. आश्चर्य यह है कि सन 2014 की तुलना में सन 2015 में सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है.

कुल एक लाख 46 हजार 133 लोगों की मौत हुई

संसद में पेश आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में सड़क हादसों में कुल एक लाख 46 हजार 133 लोगों की मौत हुई. और पांच लाख 279 लोग घायल हुए. जबकि, वर्ष 2014 में सड़क दुर्घटनाओं में एक लाख 39 हजार 671 लोगों की जान गई थी. चार लाख 93 हजार 474 लोग घायल हुए थे.

पिछले साल पांच लाख एक हजार 423 सड़क हादसे

संसद में बताया गया है कि पिछले साल पांच लाख एक हजार 423 सड़क हादसे हुए. जबकि 2014 में यह आंकड़ा चार लाख 89 हजार 400 का था. आंकड़ों को देखें तो मरने वालों की संख्या में 2014 के बजाए 2015 में करीब 4.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. इसके साथ ही घायलों की संख्या में 1.4 प्रतिशत का.

प्रतिदिन देशभर में करीब डेढ़ हजार सड़क दुर्घटनाएं होती हैं

यही नहीं सरकार की ओर से कहा गया है कि प्रतिदिन देशभर में करीब डेढ़ हजार सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. जिनमें हर रोज 400 लोग जान गंवा बैठते हैं. मुंबई और दिल्ली में सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. यह हालात तब हैं जब रोड सेफ्टी के बड़े-बड़े दावे किए गए हैं.

सु्प्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है

सु्प्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में गंभीरता से ध्यान दिया है. इसके लिए शराब को बड़ा कारण मानते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने हाई-वे पर शराब की दुकानों पर पाबंदी लगाने संबंधित निर्देश दे दिया है. लेकिन, केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से इस बारे में कोई खास कार्रवाई नहीं हो रही है. हां, दावे जरूर हो रहे हैं.

यह हैं दुर्घटनाओं के मुख्य कारण :

वैसे तो दुर्घटनाओं के कई कारण हो सकते हैं. लेकिन, मुख्य रूप से लापरवाहियां ही इनका कारण बनती हैं. ऐसे में कुछ मुख्य दुर्घटनाओं के कारणों पर चर्चा कर रहा हूं....

1. ओवर स्पीड

लोग वाहन काफी तेज चलाते हैं. जिन स्थानों पर तेज गति की मनाही होती है वहां भी वाहन नियत गति से तेज रहते हैं. ऐसे में उनका नियंत्रण मुश्किल होता है और नतीजतन लोगों को जान गंवानी पड़ती है.

2. शराब पीकर वाहन चलाना

इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट भी सख्त है और पुलिस भी कार्रवाई करती रहती है. लेकिन, कई मामलों में दुर्घटनाओं में शराब की भूमिका साफ देखी जा रही है. इसमें खासकर युवा शराब आदि का सेवन कर के वाहन चलाते हैं और बेकाबू हो जाते हैं.

3. सावधानी हटी, दुर्घटना घटी

वाहन चलाते समय लोग अक्सर मोबाइल पर बात या साथ बैठे लोगों से बातचीत या सीधे देखने के बजाय इधर-उधर देखने लगते हैं. कभी स्टीरियो, कभी बैनर तो कभी जानवर आदि ध्यान भटका देते हैं.

4. लाल बत्ती न देखना

अक्सर जहां पर लोगों के पुलिस नहीं दिखती है वे लाल बत्ती पार कर जाते हैं. लोगों को इतनी जल्दी होती है कि वे दो से तीन मिनट का इंतजार भी नहीं कर पाते. इसका नतीजा उनके खुद के लिए या दूसरे के लिए खतरनाक साबित होता है.

5. सीट बेल्ट, हेलमेट न लगाना

लोग कार चलाते समय सीट बेल्ट लगाने और हेलमेट लगाने से हिचकते हैं. सिर्फ चालान से बचने के लिए ऐसा करते हैं. ऐसे में छोटी दुर्घटना भी जानलेवा साबित हो जाती है. लोगों को बचने का मौका नहीं मिलता.

6. खराब सड़कें

इन सब के बीच खराब सड़कें और उनके बीच-बीच में कट्स भी बहुत जानलेवा हैं. बीच सड़क पर आने वाले अचानक से बड़े गड्ढे वाहनों को बेकाबू कर देते हैं और दुर्घटना हो जाती है.

7. यातायात नियमों का उल्लंघन

अक्सर देखा जाता है कि वाहन चालक यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं. कहीं मुड़ना हो, पार्किंग हो या हाई-बीम सहित अन्य, उनकी ओर से संकेत देने में लापरवाही बरती जाती है. इसके बाद गफलत में जान भी चली जाती है.