अभी जिन राज्यों में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया चल रही है उनमें दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में आबादी और मतदाताओं की संख्या के लिहाज से मुसलमान कोई बड़ा वोट बैंक तो नहीं हैं और उनकी तादाद महज छह फीसद के आसपास ही है मगर दलित और अल्पसंख्यक ईसाईयों के साथ मिलकर वे राज्य की कई विधानसभा सीटों पर असरअंदाज हो सकते हैं. तमिलनाडु के 235 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से 100 से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम समुदाय के 2,000 से 80,000 तक वोट हैं और ऐसे में मुस्लिम मतदाता एक गेम चेंजर हो सकते हैं.
ये दल हैं चुनावी मैदान में तमिलनाडु में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, मनिथनय्या मक्कल काची, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) सहित कई मुस्लिम राजनीतिक दल तमिलनाडु के सियासी समर में चुनाव मैदान में हैं. एमएनएम चीफ कामल हासन को भी यहां के मुसलमानों का व्यापक समर्थन मिल रहा है. इसके अलावा मुस्लिम मतदाता द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के साथ वाली इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और मनिथानेय मक्कल काची के गठबंधन और टीटीवी दिनाकरन के साथ वाली एआईएमआईएम और एसडीपीआई के गठबंधन के बीच बंटे हुए हैं.
यहां अच्छी तादाद में हैं मुस्लिम तमिलनाडु के दो जिले वेल्लोर और रामनाथपुरम ऐसे जिले हैं जहां मुसलमानों की अच्छी-खासी तादाद है और यहां मुस्लिम मतदाता काफी प्रभावी हैं. इसी आधार पर असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी यहां अपनी पार्टी का खाता खोलने की संभावाएं तलाश करने में जुटी है. 2016 में हुए राज्य विधान सभा चुनावों के दौरान एआईएमआईएम ने वेल्लोर जिले की सीटों वनियाम्बदी और कृष्णागिरी पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। 2019 में वेल्लोर में हुए उपचुनाव में ओवैसी ने डीएमके के लिए चुनाव प्रचार भी किया था. 2019 में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने रामनाथपुरम सीट जीत ली थी. ऐसे में कहा जा सकता है कि तमिलनाडु इलेक्शन में ओवैसी और आईयूएमएल अपने सहयोगी दलों को समर्थन देकर और कुछ स्थानों पर अपने उम्मीदवार खड़े करके अपना दम-खम दिखाएंगे.
AIMIM और SDPI ने किया गठबंधन तमिलनाड़ु में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले टीटीवी दिनाकरन ने मुस्लिम अल्पसंख्यक वोट बैंक पर नजर रखते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के साथ गठबंधन किया है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तमिलनाडु की राजनीति में बने रहने के लिए दिनाकरन ने यह चुनावी गठबंधन किया है. राजनितिक प्रेक्षकों का कहना है कि 'हालांकि, तमिलनाड़ु की उभरती हुई राजनीतिक पार्टियों एआईएमआईएम और एसडीपीआई के साथ मिल कर दिनाकरन ने एक जुआ तो खेला है, लेकिन इन पार्टियों का तमिलनाड़ु में जनाआधार कितना है, जो यहां की राजनीति में जमने के लिए उनके लिए मददगार साबित हो सकता है यह देखने वाली बात होगी.'
तमिलनाडु में मुस्लिम, दलित वोट बैंक पर कमल हासन की नजर मशहूर फिल्म अभिनेता और मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के प्रमुख कमल हासन तमिलनाडु में मुस्लिम और दलित वोट बैंक में पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो 6 अप्रैल के विधानसभा चुनाव में उन्हें काफी चुनावी लाभ दिला सकता है. कमल हासन खुद तो ब्राह्मण हैं, लेकिन वे मुस्लिम और दलित दोनों समुदायों को अपना समर्थन देने में मुखर रहे हैं. 2019 के आम चुनावों में प्रचार के दौरान कमल हासन ने मुस्लिम बहुल इलाके अरुवरकुरिची में एक पब्लिक रैली में कहा था कि 'देश का पहला आतंकवादी नाथूराम गौड़से एक हिंदू था.'हालांकि इस बयान से मुस्लिम समुदाय पर कोई खास असर नहीं पड़ा, लेकिन उनके कार्यों और कई मुद्दों पर उनके समर्थन ने समुदाय को यह महसूस कराया कि कमल हासन उनके साथ हैं पर साथ ही राज्य के कई मुसलमान यह भी मानते हैं कि "बेशक हम कमल हासन से प्यार करते हैं और उनका सम्मान करते हैं क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह कहा था कि भारत में चरमपंथ का बीज महात्मा गांधी की हत्या करके गोडसे ने बोया था लेकिन अभी उनका लिटमस टेस्ट होना बाकी है. "
20 फीसदी है दलित वोट बैंक तमिलनाडु में लगभग 20 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दलित एक मजबूत समुदाय है. सांसद थोल थिरुमावलवन के नेतृत्व वाली विदुथलाई चिरुथाइगल काची (वीसीके) तमिलनाडु की प्रमुख दलित पार्टी है, लेकिन दलित वोट अभी तक द्रमुक, कांग्रेस और अन्नाद्रमुक पार्टियों में बंट जाता रहा है. बहुत कम संख्या में दलित वोट बीजेपी के हिस्से में जाता है. कमल हासन अल्पसंख्यक मुसलमानों और ईसाइयों के साथ दलितों में अपनी लोकप्रियता के आधार पर कोयंबटूर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. यहां इन समुदायों के करीब 45 फीसदी वोट हैं. यहां कमल हासन का मुकाबला बीजेपी नेता वनाथी श्रीनिवासन से है जो कि पार्टी की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और जो एआईएडीएमके-बीजेपी गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं.
अरकोनम में एमएनएम के एक पदाधिकारी वैद्यनाथन का कहना है कि कमल हासन निश्चित रूप से एक अच्छे वोट-कैचर हैं और इस तरह के मुद्दे उन्हें आगे ले जाएंगे. हम उम्मीद करते हैं कि दलित हमारे उम्मीदवारों के लिए बड़ी संख्या में मतदान करेंगे. एमएनएम इस बार विधानसभा चुनावों में 154 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और पार्टी के नेता मुस्लिम और दलित दोनों समुदायों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पार्टी उम्मीदवारों के लिए जीत आसान हो सके.
अब देखना यह है कि इन चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं का रुझान क्या रहता है. फिलहाल मुसलमानों का बहुमत डीएम के पार्टी और उसके गठबंधन के साथ जाता हुआ दिखाई देता है. इसके दो वजह हैं एक तो इस गठबंधन में कांग्रेस और मुस्लिम लीग शामिल हैं दूसरे सत्ताधारी एआईडीएमके का गठबंधन बीजेपी के साथ है.
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