एक्सप्लोरर

BLOG: तांडव पर इतना तांडव, हिंदु धर्म के लिए चिंता की बात

क्या हम हिंदु इतने छुई मुई हैं जो एक दो डायलाग से मुरझा जाएंगे.....क्या हम हिंदु इतने कमजोर हैं कि एक दो डायलाग से हिंदु धर्म संकट में आ जाएगा.....क्या हम हिंदु इतने डरपोक हैं कि एक दो डायलाग से इस कदर डर जाएंगे कि सीरिज पर रोक लगाने की मांग करने लगेंगे.

एक सवाल का जवाब दीजिए, अगर आपको कोई टेलीविजन सीरीज पसंद नहीं आती तो आप क्या करते हैं...आप चैनल बदल देते हैं. एक और सवाल का जवाब दीजिए....अगर आपको लगता है कि किसी सीरीज से आपकी धार्मिक भावनाओं को ठेस लग रही है तो आप क्या करेंगे.....आप पुलिस में शिकायत करेंगे. आप धरना प्रदर्शन भी कर सकते हैं लेकिन क्या आप सीरीज बनाने वालों को जूतों से पीटने की धमकी देंगे......क्या कानून को अपना काम करने देंगे या सीरीज बनाने वालों से माफी मांगने को कहेंगे. सवाल बहुत से हैं जवाब भी बहुत से हैं लेकिन लोकतंत्र में सवाल पूछने का एक सलीका होता है और जवाब देने का भी एक सलीका होता है.

पहले मैं साफ कर दूं कि मैंने ताडंव सीरिज के पूरे नौ एपिसोड देखे हैं. गौर से देखे हैं. मुझे लगता है कि जो लोग विरोध कर रहे हैं उनमें से बहुतों ने सीरिज देखी तक नहीं है. एक भी एपिसोड देखा नहीं है या फिर एक दो एपिसोड देखे हैं या फिर पूरे नौ एपिसोड गहराई के साथ नहीं देखे हैं. अगर देखे होते तो इस तरह शोर नहीं मचा रहे होते. वैसे भी जिस सीरीज के नौ एपिसोड हों उसमें से अपने मतलब के एक दो डायलाग छांट कर आलोचना करना ठीक नहीं है. ये तो बात का बतंगड बनाना हुआ या फिर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करना हुआ. मैं ये बात इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कोई भी चीज पूरी संपूर्णता में देखी जानी चाहिए. खंड खंड में चीजों को देखेंगे तो पाखंड ही ज्यादा नजर आएगा.

हिंदुवादी संगठन और दलित के पक्ष

ओटीटी पर तांडव सीरिज को लेकर देश भर में तांडव हो रहा है. हिंदुवादी संगठनों का कहना है कि उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई गयी है. बीजेपी और विश्व हिंदु परिषद इस बात को जोर शोर से उठा रहे है. दलितों का कहना है कि दलितों के खिलाफ ऐसा कुछ दिखाया गया है जिससे दलितों का अपमान होता है. दलित संगठन और मायावती इसे जोर शोर से उठा रहे हैं. लेकिन लेफ्ट के लोग चुप हैं. कांग्रेस भी चुप है. या तो लेफ्ट के लोगों ने सीरियल देखा नहीं है या फिर अभिव्यक्ति की आजादी में उनका यकीन है. यही बात कांग्रेस के लिए नहीं की जा सकती क्योंकि अभिव्यक्ति की आजादी का व्याख्या कांग्रेस बीजेपी की तरह करती है.

सत्तारुढ़ पार्टी में पक्ष भी छुपा है और विपक्ष भी

पहले तांडव सीरिज की बात करते हैं. इसमें एक राजनीतिक पार्टी बताई गयी है जहां सत्ता के लिए संघर्ष चल रहा है. कौन बनेगा प्रधानमंत्री की लडाई चल रही है. हैरानी की बात है कि पूरे नौ एपिसोड में केवल सत्तारुढ़ पार्टी का ही जिक्र किया गया है. विपक्ष को कहीं दिखाया तक नहीं गया है. यानि सत्तारुढ़ पार्टी में पक्ष भी छुपा है और विपक्ष भी. राजनीतिक दल ऐसा है जिसमें आप कांग्रेस की छाप देख सकते हैं , बीजेपी की छाप देख सकते हैं , जातिगत राजनीति करने वालों की छाप देख सकते हैं. यानि भारत की सभी पोलिटिकल पार्टियां अगर एक हो जाएं तो कैसा काकटेल बनेगा इसका स्वाद तांडव में लिया जा सकता है. एक और कहानी साथ साथ चलती है. वो है वीएनयू यूनिवसिर्टी के छात्र संघ चुनाव की. यहां लेफ्ट और हिंदुवादी संगठनों की छात्र संघ इकाईयों के बीच मुकाबला दिखाया गया है. जवाहरलाल नेहुरु युनिवर्सिटी का आभास साफ तौर पर मिलता है. शिवा के रुप में जो कैरेक्टर है वो लेफ्ट की तरफ से है जो कन्हैया की याद दिलाता है. आजादी के नारे भी जेएनयू की तर्ज पर लगाए गये हैं. भूख से आजादी , बेरोजगारी से आजादी , जातिवाद से आजादी , पूंजीवाद से आजादी , गरीबी से आजादी.

विरोध की वजह

सबसे ज्यादा एतराज हिंदुवादी संगठनों को हो रहा है. लेकिन साफ नहीं है कि विरोध आखिर किस बात को लेकर है. कहा जा रहा है कि शिव का रुप धारण करके शिवा कहता है कि सोशल मीडिया पर रामजी के फालोवर्स की संख्या बढ रही है. ये डायलाग शिवजी रामजी से कह रहे हैं. अगर वास्तव में इसी बात पर एतराज है तो समझ से परे है कि किस बात पर एतराज है. क्या एतराज इस बात पर है कि किसी कैरेक्टर को शिवजी का रुप कैसे धारण करवाया गया तो जवाब यही है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. क्या एतराज इस बात पर है कि शिवा की भूमिका निभाने वाला लेफ्ट विचारधारा से जुड़ा है इसलिए उसका डायलाग अखर रहा है...क्या एतराज इस बात पर है कि शिवा का कैरेक्टर निभाने वाला अभिनेता मुस्लिम है...कोई खुलकर बोल नहीं रहा है लेकिन हर कोई बोल रहा है.

हिंदु धर्म के लिए चिंता की बात

सवाल उठता है कि क्या हम हिंदु इतने छुई मुई हैं जो एक दो डायलाग से मुरझा जाएंगे.....क्या हम हिंदु इतने कमजोर हैं कि एक दो डायलाग से हिंदु धर्म संकट में आ जाएगा.....क्या हम हिंदु इतने डरपोक हैं कि एक दो डायलाग से इस कदर डर जाएंगे कि सीरिज पर रोक लगाने की मांग करने लगेंगे. अगर इन सब सवालों का जवाब हां में है तो ये हिंदु धर्म के लिए चिंता की बात है. अलबत्ता ये सवाल जरुर उठाया जा सकता है कि आखिर हरकोई हिंदु धर्म को लेकर इतनी आजादी क्यों लेता है...किसी अन्य धर्म को लेकर विवाद में क्यों नहीं पड़ता है. क्यों अन्य धर्म को लेकर इतनी लिबर्टी नहीं लेते फिल्म या सीरियल बनाने वाले...

दलितों का एतराज

वैसे देखा जाये तो हिंदुवादी संगठनों से ज्यादा एतराज तो दलितों की राजनीति करने वालों को होना चाहिए. तांडव में एक दलित नेता से प्रधानमंत्री कहते हैं कि दलितों को तो हमारे पूर्वजों का अहसानमंद होना चाहिए क्योंकि जो अत्याचार उन्होंने किये उसके कारण ही आज दलितों को सुविधाएं मिल रही हैं , आरक्षण जैसा लाभ मिल रहा है. इसी तरह एक अन्य जगह एक दलित शिक्षक सवर्ण जाति की प्रेमिका से कहता है कि दलित जब किसी उच्च वर्ग की लड़की के साथ संभोग करता है तो वो सदियों के अत्याचारों का बदला ले रहा होता है. मेरी नजर में इस तरह के डायलाग आपत्तिजनक हैं. मैं यहां साफ कर दूं कि पूरा डायलाग हुबहू वैसा नहीं है जैसा कि मैंने जिक्र किया है. अलबत्ता मूल भाव यही है. दलित नेता को बेहद खामोश दिखाया गया है , सवर्ण जाति के नेताओं का पिछल्गू बताया गया है जबकि सच्चाई तो यही है कि आज की दलित राजनीति बहुत आक्रामक है , उग्र है और संविधान के तहत मिले अपने अधिकारों को लेकर बेहद सजग है.

कांग्रेस का एतराज

वैसे कांग्रेस को भी एतराज होना चाहिए क्योंकि एक डायलाग कुछ ऐसा है कि अगर मां बेटे का पार्टी पर कब्जा हो गया तो हमारी राजनीति पिट जाएगी. लेफ्ट को भी एतराज होना चाहिए क्योंकि एक डायलाग में कहा गया है कि आजकल लेफ्ट को राइट होने में समय ही कितना लगता है. कुल मिलाकर तांडव वैसा भव्य सीरियल नहीं है जैसा कि ओटीटी प्लेटफार्म में दिखाए जाते रहे हैं या दिखाए जा रहे हैं. कुछ कुछ जगह संवाद जरुर चुटकीलें हैं लेकिन आमतौर पर सतही सोच ही नजर आती है. वैसे यहां हमारा काम तांडव की समीक्षा करने का नहीं है. यहां बहस तो हिंदु और दलितों के एतराज पर हो रही है. निर्माताओं ने माफी मांग कर मामला खत्म करने की कोशिश की है लेकिन सवाल उठता है कि अब जब सीरियल आन एयर है , जब लाखों लोग इसे देख चुके हैं तो ऐसे में माफी मांगने से मामला खत्म हो जाएगा या डायलाग हटा देने से हिंदुवादी संगठन खुश हो जाएंगे , दलित अपना आंदोलन समाप्त कर देंगे.

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप

सवाल इससे भी बडा है कि ओटीटी पर जो कुछ दिखाया जाता है उसे सेंसर क्यों किया जाना चाहिए या क्यों नहीं किया जाना चाहिए. आमतौर पर शिकायत है कि चूंकि सेंसर नहीं है इसलिए गालियों की भरमार होती है , नंगापन बहुत दिखाया जाता है , हिंसा विकृत रुप में सामने आती है. मेरा खुद का मानना है कि बहुत बार ऐसा लगता है कि बेवजह गालियां ठूंसी जाती है , सेक्स कहानी का हिस्सा नहीं होता है और हिंसा खून कुछ ज्यादा ही दिखाया जाता है. जहां संकेतों से काम चल सकता है , जहां प्रतीकों का सहारा लिया जा सकता है वहां भी मां बहन की गाली , बेडरुम सीन और गला रेतने के क्लोज शाट दिखाए जाते हैं.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस किताब समीक्षा से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.
और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

क्या मिट जाएगा फिलिस्तीन का नामो-निशान? UNGA में नेतन्याहू ने दिखाए जो मैप, उनमें दिखा ही नहीं
क्या मिट जाएगा फिलिस्तीन का नामो-निशान? UNGA में नेतन्याहू ने दिखाए जो मैप, उनमें दिखा ही नहीं
मुंबई में आतंकी हमले का अलर्ट, इन जीचों पर लगाई गई रोक
मुंबई में आतंकी हमले का अलर्ट, इन जीचों पर लगाई गई रोक
IIFA 2024: आराध्या को लेकर पूछा गया था सवाल, ऐश्वर्या राय ने अपने जवाब से रिपोर्टर की कर दी बोलती बंद, बोलीं- 'वो मेरी बेटी है हमेशा...'
आईफा में आराध्या को लेकर पूछा गया था सवाल, ऐश्वर्या राय ने अपने जवाब से रिपोर्टर की कर दी बोलती बंद
बड़े बजट की पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
ABP Premium

वीडियोज

Azerbaijan ने Pakistan से खरीदे लड़ाकू विमान- रिपोर्ट | ABP NewsUNGA में Pakistan ने उठाया था कश्मीर का मुद्दा, भारत ने दिया तगड़ा जवाब | Breaking NewsMumbai University Elections में Shivsena (UBT) का दबादबा..युवा सेना ने दर्ज की बड़ी जीत | BreakingJammu-Kashmir Elections: आज जम्मू-कश्मीर में दो जनसभाएं करेंगी Priyanka Gandhi | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
क्या मिट जाएगा फिलिस्तीन का नामो-निशान? UNGA में नेतन्याहू ने दिखाए जो मैप, उनमें दिखा ही नहीं
क्या मिट जाएगा फिलिस्तीन का नामो-निशान? UNGA में नेतन्याहू ने दिखाए जो मैप, उनमें दिखा ही नहीं
मुंबई में आतंकी हमले का अलर्ट, इन जीचों पर लगाई गई रोक
मुंबई में आतंकी हमले का अलर्ट, इन जीचों पर लगाई गई रोक
IIFA 2024: आराध्या को लेकर पूछा गया था सवाल, ऐश्वर्या राय ने अपने जवाब से रिपोर्टर की कर दी बोलती बंद, बोलीं- 'वो मेरी बेटी है हमेशा...'
आईफा में आराध्या को लेकर पूछा गया था सवाल, ऐश्वर्या राय ने अपने जवाब से रिपोर्टर की कर दी बोलती बंद
बड़े बजट की पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
IND vs BAN 2nd Test: होटल लौट गईं भारत-बांग्लादेश की टीमें, बारिश की वजह से दूसरे दिन नहीं शुरू हो सका खेल
होटल लौटी टीम इंडिया, बारिश की वजह से दूसरे दिन नहीं शुरू हो सका खेल
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
गलती से दो बार कट गया है टोल टैक्स तो कैसे मिलता है रिफंड? ये हैं नियम
गलती से दो बार कट गया है टोल टैक्स तो कैसे मिलता है रिफंड? ये हैं नियम
World Heart Day 2024: 30 साल की उम्र में दिल की बीमारियों का खतरा कितना, इसकी वजह क्या?
30 साल की उम्र में दिल की बीमारियों का खतरा कितना, इसकी वजह क्या?
Embed widget