सर्टिफिकेट बहुत जरूरी होते हैं. सर्टिफिकेट ना मिला होता तो हम सर्टिफाइड अनपढ़ रह जाते. इसलिए देश के बहुत से इलाकों में नकल करा-करा कर या अपनी जगह दूसरों को बैठा कर सर्टिफिकेट हासिल किए जाते हैं. ऐसा काम ना हो तो सर्टिफिकेट खरीद भी लिए जाते हैं. सर्टिफिकेट की इसी महत्ता के चलते देश में सर्टिफिकेट बांटने की दुकानें खुल गई हैं. इन दुकानों को लोगों ने श्रद्धा अनुसार अलग-अलग नाम दिए हुए हैं.
एक दुकान है जहां ईमानदारी का सर्टिफिकेट सालों से बांटा जा रहा है. इस दुकान का सर्टिफिकेट लीजिए तो आपको दुनिया में कोई भी बेइमान साबित नहीं कर सकता. चाहे कुछ कर लीजिए, जमीन हथिया लीजिए, रिश्वत मांग लीजिए, कमीशन पर ठेका उठा लीजिए, यहां तक की राशन कार्ड बनवा दीजिए, मजाल है कि आपकी ईमानदारी की सफेद टोपी पर कोई एक दाग भी टिक पाएगा. कहने वाले कहते रह जाएंगे पर ईमानदारी की गाड़ी की स्पीड कम नहीं होगी.
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ऐसे ही सर्टिफिकेट आजकल देशभक्ति का बंट रहा है. जरूरी नहीं कि आप देशभक्त हो हीं. आप सत्ता की मलाई काटने वाले हो सकते हैं ,हत्या, बलात्कार टाइप कोई भी इल्जाम हो लेकिन ये सर्टिफिकेट लेने के बाद आपकी देशभक्ति का ग्राफ कभी नीचे नहीं गिरेगा. कई खनन माफियाओं ने भी इस सर्टिफिकेट का पूरा फायदा उठाया पैसा भी बनाया और उनकी देशभक्ति में लेशमात्र भी कमी नहीं आई. इस सर्टिफिकेट को लेने के बाद आपको पूरा हक मिल जाता है कि किसी दूसरी आवाज को या तो अनसुना कर दें या विरोधियों पर देशविरोधी होने का सर्टिफिकेट चस्पां कर दें. इस सर्टिफिकेट को ना लेने वालों के लिए पाकिस्तान की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है.
पहले पाकिस्तान और अमेरिका विरोधी नारों से देशभक्ति पता लगती थी आजकल सिर्फ पाकिस्तान के सहारे ही सर्टिफिकेट मिल जाता है. अमेरिका दोस्त हो गया है. कुछ खास मौकों पर नारे लगाइए या कुछ पहचाने चेहरों को सोशल मीडिया पर गाली-गलौच कर दीजिए, घोर देशभक्त का सर्टिफिकेट जल्दी मिल जाएगा.
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ऐसे ही एक सर्टिफिकेट है बुद्धिजीवी होने का. बुद्धिजीवी होने के लिए आपको हमें चाहिए आजादी टाइप के नारों का समर्थन करना जरूरी है. अगर सत्ता की नजदीकी से पुरस्कार वगैरह कुछ मिले हों तो उन्हें किसी बहाने वापस लौटाकर आपको ये सर्टिफिकेट मिल सकता है. कुछ खास यूनिवर्सिटियों की डिग्री के साथ तो ये सर्टिफिकेट आपको फ्री मिल सकता है. वैसे कुछ खास दुकानें तो उनकी दुकान से कोई भी प्रोडक्ट खरीदें तो ये सर्टिफिकेट तैयार रहते हैं बस नाम लिखना बाकी होता है.
इसी तरह एक दुकान से जुड़ते ही आप देश के गरीबों के मसीहा हो जाते हैं. चाहे आपके नाम दर्जनों हत्या, बलात्कार के मामले हों लेकिन सर्टिफिकेट लेते ही आप रॉबिनहुड हो जाएंगे. इस सर्टिफिकेट को ना लेने वाले लोगों के दिमाग में गरीबों-दलितों-पिछड़ों के खिलाफ साजिश ही चलती रहती हैं. लेकिन एक बार सर्टिफिकेट लेते ही आप सबसे बड़े शुभचिंतक हो जाते हैं. ऐसा ही एक सर्टिफिकेट है कम्यूनल या सेक्यूलर होने का. इस दुकान का सर्टिफिकेट लिया तो सेक्यूलर नहीं तो कम्यूनल. चुनावों के दौरान कम्यूनल से सेक्यूलर होने के सर्टिफिकेट बड़ा काम आता है.
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दिलचस्प ये भी है कि ये सारे सर्टिफिकेट आप एक साथ नहीं ले सकते. इनमें से आपको एक चुनना होगा. अगर एक तरफ से दूसरी तरफ सरके तो दूसरा तो बाद में मिलेगा लेकिन पहला आपसे वापस ले लिया जाएगा. दिलचस्प ये है कि वापस पहले सर्टिफिकेट के लिए घर वापसी के रास्ते आपके लिए हमेशा खुले हैं खुले रहेंगे. यहां छूत-अछूत जैसी कोई सोच काम नहीं करती. बस जरूरी ये है कि असली सोच, असली देशभक्ति और असली ईमानदारी को आपको किनारे रखना होगा और इन सर्टिफिकेट की दुकानों के आगे माथा टेकना होगा बाकी ये आपकी इच्छा पर है कि आपको कौन सा सर्टिफिकेट कब सूट करता है और कौन सा नहीं.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.
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