एक्सप्लोरर

औरत की आजादी का ही प्रतीक हैं दुर्गा मां!

शारदीय नवरात्र पर दुर्गा पंडालों में, मां दुर्गा का सौम्य रूप देखने को मिलता है. खूब सज-धज वाला. उनके चेहरे पर अलौकिक सौन्दर्य होता है जो भक्तों को मोहित करता है. साथ ही एक हल्की सी मुस्कान होती है. उनके भक्त उन्हें मां कहकर संबोधित करते हैं. उनके गीत गाते हैं. कुछ भक्तों का ध्यान उनके कदमों की तरफ जाता है. एक भैंसे का कटा सिर उनके कदमों तले होता है. मां दुर्गा की सज-धज के कारण आस्था कभी प्रश्न नहीं करती. न ही उनके अस्त्र-शस्त्र की तरफ देखती है. न तो उनके वाहन सिंह की तरफ और न ही भैंसे के कटे सिर से बहने वाले खून की तरफ पर तर्क अपने सवाल गढ़ना जानता है.

एक नन्हे से प्रश्न ने तर्क की सान पर चढ़कर पैर जमा ही लिए. प्रश्न यह था कि रक्त की पिपासा किसी दैवीय शक्ति का कलेवर क्यों है. महिषासुर बुरा क्यों है? यह गढ़े हुए प्रतीक अपनी संस्कृति का हिस्सा क्यों हैं? हमारे यहां रक्त शक्ति पूजा का एक अभिन्न अंग है. बेशक, बहुत से लोग इस सोच से इत्तेफाक न रखते हों लेकिन सदियों से हमारे देश के विभिन्न शक्तिपीठों में पशु बलि की परंपरा चली आ रही है. खास तौर से दशहरा के मौके पर. दशहरा पर ही मां दुर्गा ने महिष नाम के राक्षस का मर्दन किया था. मार्केंण्य पुराण के देवी महात्म्य में मां दुर्गा की इस कथा का उल्लेख है. यह ग्रंथ छठी शताब्दी में लिखा गया था लेकिन देवी पूजा की परंपरा इससे भी अधिक पुरानी है. बौद्ध धर्म की लोकप्रियता और वैदिक ब्राह्मण्डवाद की पुरुष प्रधान सोच के बावजूद मां दुर्गा का असर हमेशा कायम रहा. रक्त चढ़ाने की परंपरा भी कायम रही.

देवी महात्म्य में मां दुर्गा को योद्धा की तरह प्रस्तुत किया गया है. वह आम लोगों को त्रास देने वाले राक्षसों का वध करती हैं. इसीलिए पहले राक्षस को नीम की पत्तियों की माला पहनाई जाती है. फिर उस पर हल्दी और कुमकुम लगाया जाता है. फिर कुल्हाड़ी के एक ही वार से राक्षस का सिर धड़ से अलग कर दिया जाता है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि राक्षस जीवन के लिए संघर्ष करे. जिस क्षण वार हो, उसके अगले ही क्षण उसका दम निकल जाए. फिर राक्षस के रक्त और अंतड़ियों को अनाज में मिलाकर खेतों में छि़ड़का जाता है. मांस पकाया जाता है. यह मां दुर्गा का भोग होता है.

भक्त रक्त प्रिय मां दुर्गा के प्रति आस्था रखते हैं. वास्तव में दुर्गा मां हैं. यह बात भारतीय और पाश्चात्य, सभी विद्वान मानते हैं. पर मां क्या करती है? नौ रातों तक एक भैंसे से युद्ध करती है और अंत में उसका वध कर देती है. इसका एक ही स्पष्टीकरण है 'यह बुराई पर अच्छाई की जीत है.''

कुछ महिलावादी भैंसे को पितृसत्तात्मक व्यवस्था से जोड़ते हैं. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि सदियों से महिलाओं को दबाया जाता रहा है. इसी कुंठा को दुर्गा की कथा में दर्शाया गया है जोकि खुद को सताने वाले का वध करती है. इस कथा के जरिए भारतीय स्त्रियों की पितृसत्तात्मक व्यवस्था से आजाद होने की इच्छा जाहिर होती है. दुर्गा शब्द के मायने ही हैं, जिसे कोई हरा न पाए. जो पुरुष उसे जीतना चाहता है, वह उसे हराकर ही दम लेती है. इस लिहाज से वह स्त्री स्वातंत्र्य का प्रतीक दिखाई देती है.

ऐसा नहीं है कि देवी केवल ध्वंस का प्रतीक हैं. वह योद्धा रूप में नहीं, वधू रूप में सजती हैं. चमकीले कपड़ों और गहनों में पंडालों में उतरती हैं. ये गहने विवाह का प्रतीक हैं, युद्ध का नहीं. उनके बच्चे उनके इर्द-गिर्द होते हैं. पर उनके पति यानी शिव उनके साथ नहीं होते. शिव एकांतवासी हैं. सांसारिकता में उनकी कोई रुचि नहीं. वह आत्मा का रूप हैं, चेतना का मूलस्रोत हैं.

दुर्गा का रूप यही बताता है. उनका वधू रूप, जीवन के रचनात्मक पहलू को दर्शाता है और योद्धा रूप विनाशक पहलू को. लोककथाओं में शिव और पार्वती बहस करते हैं. शिव विनाश के महत्व के बारे में बताते हैं और पार्वती जीवन के आनंद के बारे में. दरअसल देवी का रूप, दैवीय शक्ति के नर रूप का संपूरक है. देवताओं ने जिस संसार को उत्पन्न किया है, देवी उसी संसार का प्रतीक हैं. शिव-पार्वती की संतान, लक्ष्मी धन का, सरस्वती ज्ञान का, गणेश बुद्धि का और कार्तिकेय बाहुबल का प्रतीक हैं. ये सभी सांसारिक जीवन की सर्वश्रेष्ठ वस्तुएं हैं. शिव सांसारिकता के मोह से खुद को दूर रखते हैं. दूसरी तरफ दुर्गा सांसारिकता में डूबकर, योद्धा और मां, दोनों ही भूमिकाओं को निभाती हैं. उन्हें रक्त पीना पड़ता है क्योंकि उसी के बाद वह दूध पान करा सकती हैं. वही दूध जिसे शिव को चढ़ाया जाता है. जिसे बिलोकर मक्खन बनाया जाता है और विष्णु और श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है. इसी से जीवन, प्रकृति और देवत्व का चक्र चलता रहता है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
मुंबई में आतंकी हमले का अलर्ट, इन जीचों पर लगाई गई रोक
मुंबई में आतंकी हमले का अलर्ट, इन जीचों पर लगाई गई रोक
विनोद खन्ना ने बनाया था हिरोइन, सलमान खान संग दी  हिट फिल्म, लेकिन करियर रहा फ्लॉप, अब 12 सालों से जी रही गुमनाम जिंदगी
सलमान खान संग दी हिट फिल्म, लेकिन करियर रहा फ्लॉप, अब 12 सालों से जी रही गुमनाम जिंदगी
बड़े बजट की पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
ABP Premium

वीडियोज

क्यों लेगी Central Government दूसरी छमाही में  ₹6.61 लाख करोड़ का उधार?Tax Rule Changes:Income Tax, STT, TDS Rates, आधार कार्ड को लेकर 1 अक्टूबर 2024 से बदल जाएंगे ये नियमबिना Bank Account के भी निकालें पैसे! NCMC कार्ड की पूरी जानकारी |UP Politics : यूपी टू बिहार...बैंड बाजा नाम विवाद | 24 Ghante 24 Reporter

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
मुंबई में आतंकी हमले का अलर्ट, इन जीचों पर लगाई गई रोक
मुंबई में आतंकी हमले का अलर्ट, इन जीचों पर लगाई गई रोक
विनोद खन्ना ने बनाया था हिरोइन, सलमान खान संग दी  हिट फिल्म, लेकिन करियर रहा फ्लॉप, अब 12 सालों से जी रही गुमनाम जिंदगी
सलमान खान संग दी हिट फिल्म, लेकिन करियर रहा फ्लॉप, अब 12 सालों से जी रही गुमनाम जिंदगी
बड़े बजट की पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
IPL 2025: रिटेंशन अनाउंसमेंट पर बड़ा अपडेट, बेंगलुरु में मीटिंग के बाद आज हो सकती है घोषणा
IPL रिटेंशन अनाउंसमेंट पर अपडेट, बेंगलुरु में मीटिंग के बाद होगी घोषणा
Bhagat Singh Jayanti 2024: खून से सनी मिट्टी को घर पर क्यों रखते थे भगत सिंह? जो बन गई अंग्रेजों का काल
खून से सनी मिट्टी को घर पर क्यों रखते थे भगत सिंह? जो बन गई अंग्रेजों का काल
नॉर्थ-ईस्ट में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का विरोध! प्रदर्शन करने वाले बोले- बीफ हमारे खाने का हिस्सा
नॉर्थ-ईस्ट में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का विरोध! प्रदर्शन करने वाले बोले- बीफ हमारे खाने का हिस्सा
चाय के साथ सुट्टा खूब पीते हैं लोग, जान लीजिए कितना खतरनाक है ये कॉम्बिनेशन
चाय के साथ सुट्टा खूब पीते हैं लोग, जान लीजिए कितना खतरनाक है ये कॉम्बिनेशन
Embed widget