इस ब्ल़ॉग का मकसद विराट कोहली की बेवजह आलोचना करना नहीं है. बल्कि इस बात का अफसोस है कि एक आसान विकेट पर विराट कोहली तिहरा शतक लगाने से चूक गए. उनके ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं था. उन्हें सिर्फ उसी तरीके से बल्लेबाजी करते रहना था जैसा वो कर रहे थे. उनका घरेलू विकेट था. वो शानदार बल्लेबाजी कर रहे थे. 243 रन बना चुके थे. पिछले कुछ साल में जिस तरह की बल्लेबाजी वो कर रहे हैं उसके बाद ये सोचना भी गलत है कि उनके ऊपर किसी रिकॉर्ड का दबाव रहा होगा.


पिछले एक-डेढ़ साल में विराट कोहली ने जब भी कोई बडी पारी खेली है कोई ना कोई बड़ा रिकॉर्ड कायम हुआ है. ये बात विराट कोहली को भी अच्छी तरह पता है कि अब उनके मैदान में उतरने पर रिकॉर्ड बनते बिगड़ते रहेंगे, फिर कोटला में ऐसा क्या हुआ कि विराट कोहली अचानक एक औसत सी गेंद पर आउट होकर पवेलियन लौट गए. दरअसल, इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है ‘टेंपरामेंट’ यानी विराट कोहली का मिजाज. विराट कोहली को आज भी गुस्सा जल्दी आता है. वो आज भी झुंझलाते जल्दी है. वो आज भी परिपक्वता के उस मुकाम तक नहीं पहुंचे हैं जहां उन्हें गुस्सा करने से पहले अपने फायदे- नुकसान का अंदाजा हो. कोटला में भी यही हुआ.


श्रीलंका की टीम खराब मौसम के नाम पर बार बार मैच रोकने में लगी हुई थी. इस बात पर बहस करना फिलहाल ठीक नहीं लगता कि वो समय खराब कर रहे थे या फिर वाकई उन्हें तकलीफ हो रही थी. हम ये मान कर चलते हैं कि उन्हें तकलीफ हो रही थी लिहाजा उन्होंने उसका इजहार किया. इसी बात पर गुस्सा विराट कोहली को आ गया. उनके गुस्से की चर्चा आज मीडिया में भी है. पहले तो उन्होंने अपना बल्ला पटका. जो हर किसी ने देखा और फिर इसी झुंझलाहट का शिकार हो गए.


औसत सी गेंद पर गंवाया विकेट


स्पिनर संदाकन की वो गेंद ऑफ स्टंप पर टप्पा खाई थी. शॉर्ट ऑफ लेंथ गेंद को विराट कोहली ने बैकफुट पर जाकर खेला. गेंद की लाइन को समझने में चूके विराट कोहली उसे अपने पैड से खेल गए और एलबीडब्लयू करार दिए गए. बेहद औसत सी गेंद पर गलत शॉट सेलेक्शन का नतीजा ये हुआ कि विराट कोहली अपने करियर का पहला तिहरा शतक लगाने से चूक गए. चर्चा इस बात पर होनी चाहिए कि ये गलत शॉट सेलेक्शन विराट कोहली की उस झुंझलाटह का नतीजा था क्या जो थोड़ी देर पहले वो मैदान में दिखा चुके थे? क्या ये उस संयम को खोने का नतीजा था जो उन्होंने सिर्फ इस बात पर खो दिया कि विरोधी टीम को मौसम से तकलीफ थी. ऐसी स्थिति तो कतई नहीं कि समय की कमी रही हो, ऐसा भी नहीं था कि मैच या मैदान की स्थिति में कोई बदलाव आने वाला हो. ये सिर्फ संयम के खोने का मामला था जिसने विराट कोहली को आउट करा दिया.


तिहरे शतक धारियों से लेनी होगी तालीम


भारत में पहला और सबसे ज्यादा दो तिहरे शतक लगाने का रिकॉर्ड वीरेंद्र सहवाग के नाम है. सहवाग ने 2004 में मुल्तान टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ और चेन्नई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 319 रनों की पारी खेली थी. हालांकि वीरू भी अपने टेस्ट करियर में कुछ और तिहरे शतक से चूके लेकिन उन्होंने अपने दोनों तिहरे शतक में जो ‘टेंपरामेंट’ मैदान में दिखाया वो भूलना नहीं चाहिए. वो आक्रामक थे, वो तेजी से रन जोड़ते थे, छक्के लगाने से भी उन्हें कोई परहेज नहीं था. लेकिन वो मैदान में गुस्सा करते नहीं दिखते थे. उनके चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान दिखती थी बल्कि वीरू तो गेंदबाज और आस पास के फील्डर्स को परेशान करने के लिए गाना गाया करते थे. मुद्दा ये है कि विराट कोहली को मुन्नाभाई एमबीबीएस का डायलॉग याद करने की जरूरत है- टेंशन लेने का नहीं देने का. बात बात पर नाराजगी और झुंझलाहट का उन्हें कोई फायदा होने वाला नहीं.