विश्व के सबसे बड़े फिल्म समारोह ऑस्कर में भारत के दो दिग्गज कलाकार ‘चांद’ और ‘चांदनी’ को श्रद्धांजलि देने से इन दोनों कलाकारों को तो विशेष सम्मान मिला ही है, साथ ही इससे अन्तरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय सिनेमा का भी गौरव बढ़ा है. इस 90 वें एकेडमी पुरस्कार समारोह में शशि (शाब्दिक अर्थ चांद) को श्रद्धांजलि जायेगी,इस बात के संकेत तो मिल रहे थे लेकिन भारतीय सिनेमा की ‘चांदनी’ श्रीदेवी को भी यहाँ श्रद्धांजलि दी जायेगी ऐसी सम्भावना दूर दूर तक नहीं थी.

असल में एकेडमी फिल्म समारोह के ‘इन मेमोरियम’ वर्ग में हॉलीवुड और विश्व सिनेमा के दिग्गज कलाकारों के दिवंगत होने पर उस बरस श्रद्धांजलि देने की परंपरा तो पुरानी है. लेकिन जिस प्रकार भारतीय फ़िल्में ऑस्कर अवार्ड से दूर हो जाती हैं, उसी प्रकार भारतीय सिनेमा के दिग्गजों को भी दिवंगत होने के बाद ‘इन मेमोरियम’ से अक्सर दूर ही रखा गया है. लेकिन पिछले बरस जब 89 वें एकेडमी समारोह में पहली बार भारतीय अभिनेता ओम पुरी को वहां याद किया गया तो सभी भारतीयों को यह अच्छा लगा.


ओम पुरी को ऑस्कर में याद करने का एक कारण यह भी था कि ओम पुरी बरसों से हॉलीवुड की फिल्मों में काम करते रहे हैं. पहली बार ओम पुरी ने सन 1982 में प्रदर्शित रिचर्ड एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ में नहारी की सिर्फ 90 सेकेंड्स की एक छोटी सी भूमिका की थी. लेकिन ‘गांधी’ फिल्म ने उस बरस 55 वें एकेडमी अवार्ड में 8 ऑस्कर अवार्ड जीतकर सभी को चकित कर दिया था. इस पुरस्कार समारोह में एक नया इतिहास यह भी रचा गया कि ‘गांधी’ फिल्म के माध्यम से पहली बार किसी भारतीय भानु अथैया को सर्वश्रेष्ठ वेशभूषा के लिए ऑस्कर पुरस्कार मिलने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ. हालांकि ओम पुरी को हॉलीवुड की फिल्म में दोबारा काम करने का मौका दस बरस बाद फिल्म ‘सिटी ऑफ़ जॉय’ से मिला. लेकिन इस बार ओम पुरी छोटी भूमिका में नहीं केन्द्रीय भूमिका में थे. इसके बाद ओम पुरी का हॉलीवुड से नाता और मजबूत हो गया. उन्होंने बाद में सन 1996 से 2014 तक हॉलीवुड की 6 और फिल्मों - ‘द घोस्ट एंड द डार्कनेस’, माय सन द फेनेटिक’, ‘ईस्ट इज ईस्ट’, ‘चार्ली विल्संस वॉर’. ‘वेस्ट इज वेस्ट’ और ‘द हंड्रेड फुट जर्नि’ में काम किया. इसलिए ओम पुरी को ऑस्कर में श्रद्धांजलि  इसलिए भी बनती थी कि वह हॉलीवुड की कई फिल्मों से भी जुड़े रहे.

इसी आधार पर ही यह सम्भावना थी कि शशि कपूर को भी एकेडमी समारोह में याद किया जाएगा. क्योंकि शशि कपूर तो सन 60 के दशक से ही ब्रिटिश-अमेरिकन फिल्मों में काम कर रहे थे. इस्माइल मर्चेंट और जेम्स आइवरी की प्रोडक्शन ‘मर्चेंट-आइवरी’ के तो शशि कपूर बेहद प्रिय अभिनेता थे. शशि ने जिन ब्रिटिश-अमेरिकन फिल्मों में काम किया उनमें द हाउस होल्डर, शेक्सपियरवाला,बॉम्बे टाकी, हीट एंड डस्ट, सिद्दार्था, द डिसिवर्स, साइड स्ट्रीस और कस्टडी जैसी फ़िल्में भी हैं. सही मायने में शशि कपूर हॉलीवुड फिल्मों में काम करने वाले पहले भारतीय अभिनेता थे. इस कारण एकेडमी अवार्ड में शशि कपूर को शिद्दत से याद करना बनता ही था. इसलिए हमारे इस शशि, हमारे चाँद को ऑस्कर में एक अभिनेता और निर्माता दोनों रूप में याद किया तो अच्छा लगना ही था.


यहां यह भी बता दें कि शशि कपूर का असली नाम बलबीरराज कपूर था. लेकिन उनकी मां और भाई राज कपूर उन्हें प्यार से मेरा शशि, मेरा चाँद कहकर पुकारते थे. इसलिए उनका नाम बलबीर से शशि हो गया. यह एक संयोग ही था कि गत 4 दिसम्बर को इस दुनिया से विदा हुए शशि को भी इसी समारोह में  श्रद्धांजलि दी गयी और हाल ही में 24 फरवरी को दिवंगत श्रीदेवी कपूर को भी इसी समारोह में श्रद्धांजलि के लिए चुन लिया गया, जो अपने सौन्दर्य, अपनी चमक दमक, अपने शानदार अभिनय और अपनी फिल्म ‘चांदनी’ के कारण चांदनी के नाम से मशहूर रहीं.लेकिन हमारी चांदनी को एकेडमी अवार्ड में याद करके सम्मानित किया जाएगा, किसी ने ऐसा ठीक ऐसे ही नहीं सोचा था जैसे किसी ने यह नहीं सोचा था कि यह ‘चांदनी’ इतनी जल्दी हमसे जुदा हो जायेगी. पहला तो इसलिए कि श्रीदेवी ने कभी बॉलीवुड फिल्म में काम नहीं किया था.

एक बार स्टीवन स्पीलबर्ग ने अपनी फिल्म ‘जुरासिक पार्क’ में श्रीदेवी को अभिनय करने का प्रस्ताव तो दिया था लेकिन श्री ने भारतीय फिल्मों में अत्यंत व्यस्त होने के कारण ‘जुरासिक पार्क’ में काम करने से मना कर दिया था. फिर दूसरा इसलिए भी यह संभव नहीं लग सकता था कि श्रीदेवी का निधन चंद दिन पहले ही हुआ था. जबकि एकेडमी अवार्ड समारोह की तैयारियां काफी पहले ही पूरी हो जाती हैं.लेकिन ऑस्कर के आयोजकों ने सभी संभावनाओं को खारिज करते हुए श्रीदेवी को ऑस्कर में श्रद्धांजलि देकर एक नयी परंपरा को जन्म दे दिया है. इससे निश्चय ही श्रीदेवी और भारतीय सिनेमा दोनों का कद बढ़ा है.

शशि और श्रीदेवी में कुछ समानताएं 

ऑस्कर में याद किये गए इन दोनों कलाकारों के बीच यूं कोई सीधी समानता तो नहीं है.दोनों ने एक फिल्म ‘गैरकानूनी’ में जरुर काम किया. पर उस फिल्म में श्रीदेवी के नायक गोविंदा थे, शशि नहीं. लेकिन इस सबके बावजूद दोनों में संयोग वश कुछ दिलचस्प समानताएं हैं. पहली तो यही कि एक चांद (शशि) है तो दूसरी चांदनी. फिर ये दोनों कपूर हैं. यहां तक शशि कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर और श्रीदेवी के ससुर सुरेन्द्र कपूर दोनों पेशावर से हैं. दोनों में करीबी रिश्तेदारी भी रही है. साथ ही सुरेन्द्र कपूर काफी समय तक पृथ्वीराज कपूर के सचिव भी रहे. इसके अलावा दोनों के नाम ‘एस’ अक्षर से शुरू होते हैं. फिर शशि और श्रीदेवी दोनों ने बाल कलाकार के रूप में अपनी अभिनय यात्रा शुरू की. इसके अलावा दोनों में एक समानता यह भी बन गयी कि शशि कपूर और श्रीदेवी दोनों का एक ही स्थान विले पार्ले में संस्कार किया गया. फिर दोनों के निधन पर उन्हें राजकीय सम्मान और गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया गया. अभी तक फिल्म संसार के व्यक्ति के नाते से तिरंगे में बिदाई का इस तरह का सम्मान पाने वाले सिर्फ ये ही दो व्यक्ति हैं. अब ऑस्कर के एक ही समारोह में दोनों को एक साथ याद किया जाना दोनों की एक और समानता बन गयी है.अब इसे संयोग कहें या कुछ और !

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