ढाई साल में योगी सरकार का काम असली या ढपली?
कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर योगी सरकार ने स्पष्ट किया कि हालात बदल चुके हैं और लॉ एंड ऑर्डर जैसा मुद्दा प्रदेश से खत्म हो चुका है...
उत्तर प्रदेश की सियासत में आज जश्न का मौका है...जश्न भी उसके लिए जो सत्ता में है... क्योंकि सरकार के ढाई साल पूरे हुए हैं...और अपनी सरकार के पूरे हुए इस आधे सफर पर मुख्यमंत्री योगी अपने सहयोगियों के साथ मीडिया के सामने खुद हाजिर हुए... प्रदेश में विकास को लेकर सरकार ने कई दावे किए हैं..और अपने कामकाज को पहली सरकारों के मुकाबले कहीं बेहतर और तेज बताया है। योगी सरकार ने कृषि, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा और कानून व्यवस्था जैसे तमाम बड़े मुद्दों पर पिछले ढाई साल को न केवल विकास के लिहाज से बेंचमार्क बताया, बल्कि इन्हीं मुद्दों पर केंद्र से सहयोग और खींचतान के लिए पिछली सरकारों की कोताही और लापरवाही को उजागर किया।
कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर योगी सरकार ने स्पष्ट किया कि हालात बदल चुके हैं और लॉ एंड ऑर्डर जैसा मुद्दा प्रदेश से खत्म हो चुका है...योगी सरकार ने 30 महीनों में प्रदेश की सूरत बदलने के लिए जितने जतन किए हैं...उनके आंकड़ें भी बताए...हालांकि इन आंकड़ों को लेकर विपक्ष को आपत्ति है...सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सरकार के दावों पर पलटवार करते हुए इन्हें खोखला बताया है...जिन मुद्दों को योगी सरकार ने अपनी उपलब्धियों में जोड़ा है...उन्हीं मुद्दों पर विपक्ष योगी सरकार को घेर रहा है...सियासत की ये रस्म है...लिहाजा सब अपने-अपने हिस्से की अदायगी कर रहे हैं...
तो योगी सरकार कानून व्यवस्था को लेकर जो भी दावे कर रही है...उससे विपक्ष कितना इत्तेफाक रखते हैं ये अलग मसला है...वैसे विपक्ष अगर सवाल उठाता है तो उसकी वजह भी है...जैसे बीते दिनों जिस तरह भाजपा के दो बड़े नेताओं पर संगीन आरोप लगा...उसने समूची व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया...उन्नाव के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर प्रदेश की दो बेटियों ने रेप जैसे गुनाह का आरोप लगाया। इतने गंभीर आरोप के बावजूद सत्ता के रसूख के चलते दोनों नेताओं पर पुलिस मामला दर्ज करने से बचती रही। बाद में जब ये मामला सुर्खियां बटोरने लगे, मीडिया में आया कोर्ट की चौखट तक पहुंचा तो पुलिस ने इन मामलों में कार्रवाई शुरू की...
योगी सरकार का ये दावा पुलिसिंग के साथ ही कानून व्यवस्था से जुड़ा है...हालांकि सवाल सिर्फ कानून व्यवस्था का नहीं बल्कि पुलिस के काम करने के तरीके को लेकर भी है...जैसे माननीयों या सत्ता तक पहुंच रखने वालों के आगे पुलिस किस तरह घुटने टेक देती है...लेकिन आम आदमी को देखते ही सवार बन जाती है...सिद्धार्थनगर और कुशीनगर की घटनाएं इसका सटीक उदाहरण है...जहां महज हेलमेट न पहनने को लेकर सरेआम चौराहे पर युवक की इज्जत मार-मार कर उतार ली गई...और बेटे की गुनाह की सजा बाप को देने के लिए उसे थाने की जागीर बना दिया गया... पुलिसिंग के ऐसे तरीके ट्रेनिंग, ज्ञान या फिर शिक्षा से दूर होंगे...इसका यकीन बहुत कम ही लोगों को है...लेकिन सरकारी स्कूलों की बेहतर हालत को लेकर सरकार ने ढाई साल में कई रिकॉर्ड बनाएं हैं...योगी सरकार के मुताबिक सरकारी स्कूलों में माहौल पहले मुकाबले बदला है...
तस्वीर बदलनी भी चाहिए...क्योंकि ये महज सरकार की साख के लिए नहीं..बल्कि देश के भविष्य के लिहाज से भी जरूरी है...अच्छी शिक्षा का मतलब अच्छे नागरिक भाव से है...लेकिन ये भाव बेहतर शिक्षा के साथ-साथ बेहतर सुविधाओं से भी आता है...और सरकार के आंकड़े बताते हैं कि कुल 1 लाख से ज्यादा स्कूलों के होते हुए भी तकरीबन इसके आधे स्कूलों में बिजली के कनेक्शन नहीं है। मिड-डे मील को लेकर स्कूलों में शिकायतें खत्म नहीं हुई हैं...वो भी तब जब मंत्री लोग दौरे में कई गड़बड़ियां पाते हैं.... मंत्रियों के दौरे का असर भी अगर स्कूलों पर न हो...तो फिर व्यवस्था पर सवाल उठने लाजमी है...हालांकि कई बार ये सवाल जरूरी नहीं विपक्ष से उठे...सरकार के अपने तर्कों से भी उठ जाते हैं...
योगी सरकार का दावा है कि किसानों की स्थिति पहले की सरकारों के मुकाबले उन्होंने काफी बेहतर कर दी है...और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने से प्रदेश में किसान की आत्हत्या का एक भी मामला सामने नहीं आया है...लेकिन मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कृषि मंत्री रहे राधामोहन सिंह ने सांसद दिनेश त्रिवेदी के एक सवाल के जवाब में कहा था कि एनसीआरबी ने 2016 के बाद किसानों की आत्महत्या के कोई आंकड़े ही नहीं जारी किए...तो है न हैरानी की बात...और सरकार के दावे के आधार को भी आप समझ रहे होंगे...
तो इतने बड़े निवेश के बावजूद बेरोजगारी का रोना रोया जा रहा है...विपक्ष तो गंभीर आरोप लगा रहा है...लेकिन अगर सरकारी रिपोर्ट को ही मानें तो मई 2019 के आखिर में जारी हुई सांख्यिकी कार्यालय रिपोर्ट बताती है कि दिसंबर 2018 की तिमाही में उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी 16 फीसदी की दर से दर्ज हुई...ऐसे में इससे आगे कुछ कहने के लिए रह नहीं जाता है... सरकार के दावों पर विपक्ष के भी हमले हैं...और सबसे ज्यादा विपक्ष के मुताबिक मुफीद मुद्दा कानून व्यवस्था का है...जिसे लेकर उसने सवाल उठाएं हैं... तो अब सवाल ये कि ढाई साल में योगी सरकार का काम असली या सिर्फ ढपली ? योगी राज के 30 महीनों ने बदले यूपी के मुद्दे और सूरत ? सत्ता के तमाम दावों पर विपक्ष के हमले महज कुंठा या सियासी हकीकत ?
साफ है मुख्यमंत्री योगी अपने ढाई साल के पूरे होने का जश्न ऐसे मौके पर मना रहे हैं...जबकि प्रदेश में स्वामी चिन्मयानंद पर एक छात्रा के सनसनीखेज आरोप से सत्ता और सिस्टम पर कई सवाल खड़े हैं, और अपराधियों के एनकाउंटर की तमाम तस्वीरों के बाद भी अपराध का ग्राफ सुधरता नहीं दिख रहा है। ऐसे में दावों से ज्यादा अगले ढाई साल में मुख्यमंत्री योगी को और ज्यादा जमीनी स्तर पर काम करने और सख्त समीक्षा की जरूरत होगी । मुख्यमंत्री योगी की मंशा पर सवाल नहीं खड़े किए जा सकते, लेकिन उनके अनुपालन में योगी को और कठोरता दिखानी होगी।