भारत प्रतिवर्ष 26 जनवरी को अपने महान गणतंत्र का राष्ट्रीय पर्व मनाता है तो पाकिस्तान प्रतिवर्ष जनवरी में भारतीय सीमा पर हमलों का कुकर्म संपन्न करता है. भारत नई दिल्ली और अपने सभी राज्यों की राजधानियों में होने वाली गणतंत्र दिवस परेड को भव्य और दिव्य बनाने के लिए हफ्तों मशक्कत करता है. वहीं पाकिस्तान नियंत्रण-रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा के पार अपने आतंकी घुसपैठिये दाखिल कराने की नापाक तैयारी में मुब्तिला रहता है.


इस मौसम में भी पाक की ओर से जम्मू-कश्मीर के लगभग हर सेक्टर में फायरिंग हो रही है. अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हाई अलर्ट जारी करना पड़ा है. भारत की तरफ अरनिया और आरएस पुरा सेक्टर स्थित बीएसएफ की 40 से ज्यादा चौकियों को निशाना बनाया गया है, जिसमें कुछ नागरिक और सेना के जवान शहीद हो गए हैं. यानी 26 जनवरी से ऐन पहले भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण-रेखा पर तनाव हस्बेमामूल बढ़ गया है.


हमारे गणतंत्र दिवस मनाने में चंद दिन शेष हैं लेकिन दिल्ली के राजपथ पर इसकी तैयारियों से ज्यादा सीमा पर पाक द्वारा सीजफायर उल्लंघन, भीषण गोलाबारी, भारतीय जवानों की शहादत, सीमावासियों का सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन, बंद होते स्कूल और भारत को दहला देने की आतंकी साजिशें सुर्खियां बटोर रही हैं! आईबी, यूपी एटीएस तथा दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस की परेड और अक्षरधाम मंदिर पर हमले की योजना बना रहे कुछ संदिग्ध आतंकवादियों की धरपकड़ भी की है.


राष्ट्रीय पर्व किसी भी देश की शक्ति को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने का नायाब अवसर होता है. शत्रु देश उसमें विघ्न डालकर यह साबित करने की हरसंभव कोशिश करते हैं कि अमुक देश की शक्ति कितनी खोखली है. भारत की असीम सैन्यशक्ति और जनबल से भुन कर खाक होने वाला पाक हर बार मुंह की खाता है लेकिन बाज नहीं आता. वर्ष 2015 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा समारोह के मुख्य अतिथि थे तब भारत-अमेरिकी नजदीकियां बढ़ने से बौखलाए पाकिस्तान ने उसमें खलल डालने की जी-तोड़ साजिशें रची थीं.


पिछले वर्ष ही पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने बांग्लादेश और नेपाल की सीमा से सटे इलाकों में सक्रिय अपने स्लीपर सेलों के जरिए बिहार के गणतंत्र दिवस समारोहों को तहसनहस करने की कोशिश की थी. लावारिस पशुओं के गले में विस्फोटक बांध कर जगह-जगह धमाका कराने की उसकी योजना थी. लेकिन गृह-मंत्रालय की खुफिया रिपोर्ट और सीमावर्ती जिलों की सतर्कता ने वह साजिश विफल कर दी थी. आईएसआई की जम्मू, सांबा, कठुआ, राजौरी और पुंछ सेक्टर से होकर 200 आतंकी भारतीय सीमा में दाखिल कराने की योजना में भी बीएसएफ के जवानों ने पलीता लगा दिया था. नब्बे के दशक में कश्मीर घाटी के सुलगने के बाद से बना यह सिलसिला अब पाक का एक जरूरी कर्मकाण्ड बन गया है!


पाकिस्तान के दो टुकड़े होना वहां के जनरलों को किसी दुःस्वप्न की मानिंद रह-रह कर सताता है! आईएसआई पाकिस्तानी सेना की शह पर ही भारत से पंगा लेती है. पाकिस्तानी सेना भारत के हाथों 1948, 1965, 1971 और कारगिल युद्ध में हुई शर्मनाक पराजय को आज तक पचा नहीं पाई. वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा भी उसे नागवार गुजरती है, इसीलिए उसका दिमाग बदले की भावना से खौलता रहता है. वह भारत के मर्मस्थल पर चोट पहुंचाने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देती.


इस वर्ष भी पाक सेना ने 26 जनवरी की परेड को निशाना बनाने की शुरुआत इस माह के पहले हफ्ते से ही शुरू कर दी थी. बीते हफ्ते पाकिस्तान ने आरएस पुरा के अरनिया, रामगढ़, हीरानगर और अखनूर के परगवाल और कानाचक्क सब सेक्टर के रिहाइशी इलाकों में लगातार गोलाबारी करके स्पष्ट कर दिया कि मानवता से उसका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है! सीमा के आस-पास बसे किसान अपने खेतों में नहीं जा पा रहे हैं, स्थानीय लोग बैलगाड़ियों, ट्रकों, टैम्पो और ट्रैक्टर ट्रालियों में लदकर अस्थायी शिविरों की ओर भाग रहे हैं. नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास 100 से ज्यादा स्कूल स्थित फौरी तौर पर बंद कर दिए गए हैं. पुंछ जिले में एलओसी व्यापार और यात्रा के संरक्षक मोहम्मद तनवीर बताते हैं कि पाक गोलाबारी के मद्देनजर नियंत्रण रेखा के आरपार यात्रा रोक दी गई है, जिसे पाकिस्तान अपनी बड़ी सफलता मान कर चल रहा है!


गफलत के शिकार पाकिस्तान ने भी शक्ति-प्रदर्शन के इरादे से 7 वर्ष बाद 2017 में अपना गणतंत्र दिवस (पाकिस्तान दिवस) मनाया था और भारत ही की तर्ज पर उसने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दरम्यान अपनी थलसेना, नौसेना और वायुसेना की ताकत का नजारा दुनिया के सामने पेश करने की कोशिश की. लेकिन पाक के पिद्दी होने की पोल उसी वक्त खुल गई थी जब सुरक्षा कारणों से समारोह के दिन ही उसे अपनी सेलफोन, वायरलेस और इंटरनेट सेवाएं ठप रखनी पड़ीं. यहां तक कि राजधानी इस्लामाबाद में शादी समारोह, आतिशबाजी, पतंग और कबूतर उड़ाने समेत बहुत-सी गतिविधियां भी उसे प्रतिबंधित करनी पड़ीं!


लेकिन भारत हर बार खुली हवा में उन्मुक्त हृदय से निडरतापूर्वक अपने राष्ट्रीय पर्व मनाता है. देश की सेना समेत तमाम सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसियां पाक द्वारा प्रायोजित घुसपैठ व आतंकी हमलों की आशंका को देखते हुए चाक-चौबंद रहती हैं. गणतंत्र दिवस की परेड और सैन्य प्रतिष्ठानों के अलावा एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशनों जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर कड़ी सुरक्षा होती है. धार्मिक स्थलों, ऐतिहासिक स्मारकों तथा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए जाते हैं.


पूरी बेफिक्री से हम लाल किले पर भारत की शान तिरंगा फहराते हैं, शूरवीर रेजेमेंटों की विविधवर्णी टुकड़ियां कदमताल करते हुए सलामी देती हैं, हमारे फाइटर पायलेट और लड़ाकू विमानों की टोलियां अपने करतबों से आसमान को भी चकित कर देती है, भारतीय संस्कृति और लोकजीवन की उपलब्धियां झांकियों के रूप में अपार जनसमूह को सम्मोहित करती चलती हैं. स्वदेशी मिसाइलें और अत्याधुनिक टैंक सात समंदर पार बैठे शत्रु के मन में भी दहशत पैदा कर देते हैं.


पाकिस्तान, आप देख लेना! इस 26 जनवरी को भी भारत पूरी आन-बान-शान से अपना गणतंत्र दिवस मनाएगा और आपके सैनिक व आतंकवादी हमारी सेना के डर से कांपते हुए सीमा के उसी पार अपने बिलों में बैठे सर धुनते रह जाएंगे. आमीन!


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(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)