एक्सप्लोरर

BLOG: मीठे शब्दों वाले घोषणापत्रों के ढेर में मतदाता छोटा होता जा रहा है

महिला मतदाताओं का क्या है, उन्हें मेनिफेस्टोज़ पर अब उतना भरोसा नहीं है. सत्तर सालों से इस देश को घोषणापत्रों के सहारे ही चलाया गया है. अंबार लग गए हैं.

बड़े-बड़े ऐलान हो चुके हैं. राजनीतिक दल घोषणा कर रहे हैं कि अब वे सिद्धांत और योजनाओं की राजनीति करेंगे. इसके लिए उन्होंने सिद्धांत और योजनाओं की घोषणा भी कर दी है. मतदाताओं को पिछले सत्तर सालों से सिद्धांतों और योजनाओं के बारे में सुनते-सुनते इतनी एलर्जी हो चुकी है कि हर सिद्धांत और योजना में दाल में काला नजर आता है. जब राजनीतिक दल कहते हैं, हम आपका कल्याण करेंगे, तो वे घबराने लगते हैं. जनकल्याण के मारे मतदाताओं की किस्मत में कब तक जनकल्याण लिखा रहेगा- पता नहीं.

इस बार महिला कल्याण के मसले पर सभी वाचाल हो गए हैं. बीजेपी का हालिया घोषणापत्र महिलाओं को कई तरह के वादे देता है. तीन तलाक पर काम चालू है. जीतने पर निकाह हलाला, तीन तलाक सब बैन किए जाएंगे. आंगनवाड़ी वर्कर्स और आशा वर्कर्स को आयुष्मान भारत के तहत लाया जाएगा. जो एमएसएमई 50 परसेंट महिला कर्मचारी रखेंगे, उनसे 10 परसेंट सरकारी खरीद की जाएगी. पैडमैन की तर्ज पर एक रुपए में लड़कियों-औरतों को सेनिटरी पैड्स मिलेंगे. एक वादा महिला आरक्षण का भी है. संसद और विधानसभाओं में 33 परसेंट सीटें रिजर्व की जाएंगी. हालांकि पार्टी टिकट बंटवारे में यह पहल करना भूल गई है. पिछले पांच साल में भी बहुमत की सरकार की नींद नहीं टूटी. महिलाओं को आरक्षण देने के लिए अभी पांच साल की और जरूरत है.

घोषणापत्र में महिलाओं का 37 जगह जिक्र किया गया है. एक जिक्र संविधान के आर्टिकल 35 ए का भी है. यह आर्टिकल महिला विरोधी बताया गया है. यह आर्टिकल जम्मू-कश्मीर विधानसभा को यह अधिकार देता है कि वह 'स्थायी नागरिक' की परिभाषा तय कर सके. राज्य में स्थायी नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार मिले हुए हैं. अगर राज्य की कोई लड़की किसी दूसरे राज्य के लड़के से शादी कर लेती है तो स्थायी नागरिक के तौर पर लड़की के सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं. साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं. 2015 में आरएसएस से जुड़ा एक थिंकटैंक इस आर्टिकल को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दे चुका है.

यूं हमारे देश में हर राज्य में अलग-अलग किस्म के फैमिली लॉ या सिविल कोड लागू हैं. इनमें से कई महिला विरोधी भी हैं.जैसे गोवा के सिविल कोड में अलग-अलग समुदायों के लिए अलग-अलग प्रावधान हैं. यहां हिंदू आदमी एक बीवी के रहते दूसरी शादी कर सकता, अगर उसकी बीवी 25 साल की उम्र तक बच्चा पैदा नहीं कर पाई हो या अगर बीवी 30 साल की उम्र तक लड़का पैदा न कर पाई हो. तीन तलाक, निकाह हलाला पर कानून बनाने की कोशिशें एक तरफ, 2012 से गोवा में सरकार चलाने के बावजूद बीजेपी इस प्रोविजन पर चुप ही है.

आग में कौन हाथ डाले, इसलिए कांग्रेस भी महिला विरोधी कानूनों पर चुप है. कुछ घोषणाएं की हैं, पर उनमें बहुत अलग कुछ नहीं है. सिर्फ एक बात अलग है- सेंट्रल गवर्नमेंट की नौकरियों में औरतों के लिए 33 परसेंट सीटें रिजर्व करने की. बाकी लोकसभा-विधानसभा में 33 परसेंट के आरक्षण का फिर से वादा किया गया है. सालों-साल सरकार चलाने के बावजूद हर बार इस घोषणा पर कौन भरोसा करेगा. न्याय की घोषणा भी मौजूदा सरकार की सबसिडी स्कीम्स जैसी ही है. हां, राशि कुछ बड़ी है. न्याय के तहत हर साल 72,000 रुपए औरतों के बैंक खाते में आएंगे.घोषणापत्र के दूसरे ऐलानों में समान काम के लिए समान वेतन, स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स में महिलाओं के लिए हॉस्टल और सेफ ट्रांसपोर्ट, प्रवासी महिलाओं के लिए नाइट शेल्टर्स, साफ-सुथरे शौचालय, पब्लिक स्पेसेज़ में सैनिटरी वेंडिंग मशीन वगैरह शामिल हैं. वर्कप्लेस में सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट को अच्छी तरह से लागू करना भी एक प्रायॉरिटी है.कुछ दूसरे प्रॉमिस भी हैं. जैसे महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले जघन्य अपराधों की जांच के लिए अलग से एक एजेंसी बनाई जाएगी और राज्यों को भी ऐसी एजेंसी बनाने को कहा जाएगा. शादियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा. औरतों को कानूनी स्तर पर जागरूक बनाने के लिए हर पंचायत में अधिकार मैत्री की नियुक्ति की जाएगी.

दूसरी पार्टियों ने भी अपने घोषणापत्रों में कुछ वादे किए हैं. 41 परसेंट महिला उम्मीदवारों को इस बार लोकसभा चुनावों में खड़ा करने वाली तृणमूल कांग्रेस ने राज्य स्पेसिफिक प्रॉजेक्ट कन्याश्री प्रकल्प को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का वादा किया है. इस योजना के लिए राज्य को संयुक्त राष्ट्र का पुरस्कार मिल चुका है. इसमें लड़कियों वाले गरीब परिवारों को आर्थिक मदद दी जाती है ताकि वे नाबालिक लड़कियों की शादी न करें, बल्कि उन्हें पढ़ाएं. पार्टी ने आईपीसी और सीआरपीसी के उन प्रावधानों को मजबूत करने की बात भी की है जिससे औरतों के खिलाफ अपराधों को कम किया जा सके.

सीपीएम ने जेंडर बजटिंग में बढ़ोतरी की घोषणा की है. मतलब महिलाओं के लिए हर स्कीम में अधिक आबंटन किया जाएगा. 33 परसेंट के आरक्षण की बात सीपीएम के घोषणापत्र में भी है. साथ ही मैरिटल और प्रॉपर्टी राइट्स के कानून लागू करने की बात कही गई है. पार्टी ने चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए आचार संहिता का भी वादा किया है ताकि वे सार्वजनिक टिप्पणियां करते समय महिलाओं को अपमानित करने वाली भाषा का इस्तेमाल न करें.

पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिला संगठनों के राष्ट्रीय एलायंस ने एक घोषणापत्र जारी किया था जिसे नाम दिया गया था- (वु)मेनिफेस्टो(wo)manifesto. जो सिर्फ आदमियों को ही नहीं, औरतों को भी ध्यान में रखे. इसमें सभी राजनीतिक दलों से कहा गया था कि वे महिला मुद्दों को अपने घोषणापत्र का आधार बनाएं. पार्टियों ने ऐसा किया तो है लेकिन उस महिला घोषणापत्र के कई पहलुओं को किनारे लगा दिया.हां, इतना जरूर है कि बढ़ते महिला वोटरो को लुभाने की हर पार्टी ने अपनी तरफ से कोशिश की है.

महिला मतदाताओं का क्या है, उन्हें मेनिफेस्टोज़ पर अब उतना भरोसा नहीं है. सत्तर सालों से इस देश को घोषणापत्रों के सहारे ही चलाया गया है. अंबार लग गए हैं. लोकतंत्र के हर त्योहार पर देशवासियों को घोषणापत्र थमाए जाते हैं. बढ़िया सुनहरे रंगों-मीठे शब्दों वाले घोषणापत्र. घोषंणापत्र के ढेर में, मतदाता छोटा होता जा रहा है. महिला मतदाता क्या उससे इतर हैं? उन्हें सिर्फ संकल्प या ऐलान नहीं चाहिए- ठोस काम भी चाहिए.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

‘पागल और जहरीले लोग दोनों तरफ’, इल्तिजा मुफ्ती के हिंदुत्व वाले बयान की कांग्रेस ने की निंदा
‘पागल और जहरीले लोग दोनों तरफ’, इल्तिजा मुफ्ती के हिंदुत्व वाले बयान की कांग्रेस ने की निंदा
दिल्ली में रोजाना दो हजार सभाएं कर फीडबैक ले रही AAP, 'मुफ्त की रेवड़ी' पर क्या है लोगों की राय?
दिल्ली में रोजाना दो हजार सभाएं कर फीडबैक ले रही AAP, 'मुफ्त की रेवड़ी' पर क्या है लोगों की राय?
Pushpa 2 Breaks Box Office Records: 'पुष्पा 2' ने बॉलीवुड-साउथ ही नहीं, इन दो हॉलीवुड फिल्मों के बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड भी किए ब्रेक
'पुष्पा 2' ने बॉलीवुड-साउथ ही नहीं, इन दो हॉलीवुड फिल्मों के रिकॉर्ड भी किए ब्रेक
U19 Asia Cup 2024 Final: नहीं चला वैभव सूर्यवंशी का जादू, भारत ने गंवाया एशिया कप खिताब, जानें कहां हुई गलती
नहीं चला सूर्यवंशी का जादू, भारत ने गंवाया एशिया कप खिताब, जानें कहां हुई गलती
ABP Premium

वीडियोज

Pradeep Pandey ने Pawan Singh पर कसा तंज! Bhojpuri Cinema में किस बात की है सबसे ज्यादा लड़ाई?Maati Se Bandhi Dor:  Vaiju के सामने आधी रात को आया Ranvijay, क्या पुरानी यादें करेंगी अपना जादू?Bollywood News: रश्मिका ने की 'रणविजय' और 'पुष्पा' के पुष्पाराज की तारीफFarmers Protest Update : सड़क पर ठोंकी कील..बनाई  दीवार, शंभू बॉर्डर पर बढ़ी टेशन | shambhu border

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
‘पागल और जहरीले लोग दोनों तरफ’, इल्तिजा मुफ्ती के हिंदुत्व वाले बयान की कांग्रेस ने की निंदा
‘पागल और जहरीले लोग दोनों तरफ’, इल्तिजा मुफ्ती के हिंदुत्व वाले बयान की कांग्रेस ने की निंदा
दिल्ली में रोजाना दो हजार सभाएं कर फीडबैक ले रही AAP, 'मुफ्त की रेवड़ी' पर क्या है लोगों की राय?
दिल्ली में रोजाना दो हजार सभाएं कर फीडबैक ले रही AAP, 'मुफ्त की रेवड़ी' पर क्या है लोगों की राय?
Pushpa 2 Breaks Box Office Records: 'पुष्पा 2' ने बॉलीवुड-साउथ ही नहीं, इन दो हॉलीवुड फिल्मों के बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड भी किए ब्रेक
'पुष्पा 2' ने बॉलीवुड-साउथ ही नहीं, इन दो हॉलीवुड फिल्मों के रिकॉर्ड भी किए ब्रेक
U19 Asia Cup 2024 Final: नहीं चला वैभव सूर्यवंशी का जादू, भारत ने गंवाया एशिया कप खिताब, जानें कहां हुई गलती
नहीं चला सूर्यवंशी का जादू, भारत ने गंवाया एशिया कप खिताब, जानें कहां हुई गलती
आठ माह के बच्चे ने किया चमत्कार? सुना डाला दामोदर अष्टक का पाठ! वायरल हो रहा वीडियो
आठ माह के बच्चे ने किया चमत्कार? सुना डाला दामोदर अष्टक का पाठ! वायरल हो रहा वीडियो
Petrol-Diesel: क्यों बंधी पेट्रोल-डीजल सस्ता होने की आस, कच्चे तेल के दाम में अचानक ऐसा क्या हुआ कि...
क्यों बंधी पेट्रोल-डीजल सस्ता होने की आस, कच्चे तेल के दाम में अचानक क्या हुआ...
परीक्षा तिथि बढ़ाने की मांग, फॉर्म भरने का मिले समय, BPSC कार्यालय पहुंचा अभ्यर्थियों का दल, क्या हुई बात?
परीक्षा तिथि बढ़ाने की मांग, फॉर्म भरने का मिले समय, BPSC कार्यालय पहुंचा अभ्यर्थियों का दल, क्या हुई बात?
चलने-फिरने की भी मोहताज हैं सायरा बानो, किस बीमारी की वजह से होता है ऐसा?
चलने-फिरने की भी मोहताज हैं सायरा बानो, किस बीमारी की वजह से होता है ऐसा?
Embed widget