BLOG: मैं कहता हूं, मैं बढ़ता हूं, नभ की चोटी चढ़ता हूं!
देश का ऐसा कोई जनपद नहीं है, जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राजनीतिक जीवन में कम से कम एक दिन का प्रवास न किया हो, यह नरेंद्र मोदी के अथक परिश्रम और ज़मीन से जुड़े होने की बानगी भर है. यही नहीं पिछले 40 सालों के सार्वजनिक जीवन में मोदी के जीवन में कोई अवकाश नहीं आया. प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी अभी भी अवकाश से दूर दिन-रात कार्यरत हैं तो यह दबाव उनकी टीम पर भी है. वे खुद भी कह चुके हैं कि छुट्टी उनके शब्दकोश में है ही नहीं. प्रधानमंत्री की इस अक्षय ऊर्जा की तारीफ़ खुद अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी कर चुके हैं.
अब जो शब्द उनके शब्दकोश में ही नहीं है तो भारत जैसे देश में, ख़ासतौर से सरकारी विभागों में अवकाश को लेकर बनी एक छवि को तोड़ने का तिलस्म भी मोदी जानते हैं. कल पूरे देश ने विजयादशमी का अवकाश मनाया और आज मोहर्रम की छुट्टी मना रहा है. लेकिन पीएम मोदी के लिए छुट्टी का कोई दिन नहीं है. ज़ाहिर है, यह नियम उनकी टीम पर भी लागू होता है.पीएम मोदी को नजदीक से जानने समझने वाले और सालों से उनके बेहद करीबी जगदीश ठक्कर की माने तों काम करने को लेकर मोदी का फलसफा कुछ अलग है. पीएम को काम से नहीं बल्कि छुट्टी से थकान होती है. काम जितना ज्यादा होता हो पीएम मोदी उतना ही अधिक ऊर्जावान नजर आते हैं.
प्रधानमंत्री के तौर पर तो नरेन्द्र मोदी ने एक भी छुट्टी नहीं ली है लेकिन ऐसा नहीं कि उन्होंने यह आदत दिल्ली आकर डाली हो. गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर भी नरेन्द्र मोदी ने कभी छुट्टी नहीं ली. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि नरेन्द्र मोदी संभवतः एकमात्र राजनेता हैं जिन्होंने देश के सभी 640 जिलों में कभी न कभी किसी न किसी रुप में एक रात अवश्य काटी है. लगातार काम करते रहने का मोदी का सफर चालीस साल पुराना है.
आज भी नरेन्द्र मोदी की दिनचर्या सुबह पाँच शुरू हो जाती है. टहलने के बाद योगा और फिर देश-दुनिया की ख़बरों पर सरसरी नज़र. पीएम की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार एसपीजी के अधिकारी भी उनके बेहद देर रात सोने जाने व तड़के उठकर शुरू होने वाले काम की दृष्टि से बेहद बड़े दिन में उनकी कभी खत्म न होने वाली ऊर्जा को लेकर चेतावनी जताते हैं. पीएम सवेरे खुद ही तमाम ईमेल चेक करते हैं, उनके जवाब को लेकर दिशा-निर्देश देते हैं. इसके बाद पौने सात बजे से ही पीएमओ के अधिकारियों या मंत्रियों को फोन कर जरुरी निर्देश देना शुरु कर देते हैं.
दिन चाहे जो भी हो अवसर चाहे जैसा हो प्रधानमंत्री नौ बजने से पाँच मिनट पहले पीएमओ में पहुँच जाते हैं और देर रात तक काम करते रहते हैं. ज़ाहिर है बदलाव ऊपर से शुरू होता है. ऐसे में पीएमओ के सभी अधिकारी कर्मचारी भी पीएम मोदी के वर्कस्टाइल में ढल गए हैं और उनका आउटपुट भी पहले से कई गुना बढ़ गया है. प्रधानमंत्री बनने के पहले नरेन्द्र मोदी चुनावी रैलियों के बीच अपनी यात्रा के दौरान नींद पूरी करते थे. दिन-भर में पाँच से छह रैलियां करने के बाद थ्रीडी तकनीक से रैली करने के लिए भी स्वयं तैयारियों में जुट जाना, हर बारिकी पर काम करके संबोधन करना लगभग हर रोज का काम था.
राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर प्रधानमंत्री की कोशिश होती है कि वो कहीं ऐसी जगह पहुँचे जहाँ से देश को कुछ हासिल हो सके. देश की सेवा के लिए अपने परिवार से दूर सैनिकों को मनोबल बढ़ाने मोदी पीएम बनने के बाद पिछली दीवाली उनके साथ मना चुके हैं.