एक्सप्लोरर

BLOG: सियासी इफ्तार पार्टियों का दौर- 'वो रोजा तो नहीं रखता पर इफ्तारी समझता है'

रमजान के पाक महीने में दुनिया भर के मुसलमान रोजा रखते हैं और शाम के वक्त रोजा खोलते हुए हलाल की कमाई से पारिवारिक या समाजी इफ्तारी करते हैं. लेकिन भारत में रोजेदारों के लिए धार्मिक के साथ-साथ राजनीतिक इफ्तार पार्टियां भी रखी जाती हैं. खास तौर पर राजनीतिक दल इफ्तार पार्टियों का आयोजन करके खुद के लिए धर्मनिरपेक्ष होने का तमगा हासिल करते हैं. यह रवायत पंडित नेहरू के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही चली आ रही है, जो तबके अपने जंतर-मंतर स्थित कार्यालय में इफ्तारी करवाया करते थे. यह रवायत इंदिरा जी के जमाने में भी लागू रही और राजीव जी के जमाने में भी.

उत्तर प्रदेश के सीएम स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा भी इफ्तार पार्टियां आयोजित किया करते थे. वीपी सिंह और राजनारायण जैसे बड़े नेता टोपियां लगाकर इनमें शिरकत करते थे. आगे चलकर इनकी देखा-देखी मुलायम सिंह यादव और लालू यादव जैसे क्षत्रप भी भव्य इफ्तार पार्टियां देने लगे. लेकिन इस बात की परवाह या तस्दीक आज तक किसी ने नहीं की कि यह सबाब लूटने के लिए क्या नेता लोग वाकई हलाल की कमाई खर्च करते हैं !

इस साल भी इफ्तार पार्टियों की बाढ़ आई हुई है लेकिन कांग्रेस पार्टी इस मामले में पिछड़ गई है. बिहार में जेडीयू और आरजेडी, दिल्ली में केजरीवाल और महाराष्ट्र में बीजेपी ने बाजी मार ली है. और तो और आरएसएस से जुड़े संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने इस बार महाराष्ट्र सरकार के अल्पसंख्यक विभाग के गठबंधन में इफ्तार पार्टी का आयोजन करके नए विवाद को जन्म दे दिया है. राष्ट्रीय मुस्लिम मंच पिछले कई सालों से इफ्तार पार्टियों का आयोजन कर रहा है लेकिन इस बार पैसे के खर्च और नीयत को लेकर एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने सवाल उठा दिया है. मलिक साहब का कहना है कि अगर आरएसएस इफ्तार पार्टी देना ही चाहता है तो सरसंघचालक मोहन भागवत को नागपुर में हम लोगों को खुलकर बुलाना चाहिए और हम खुशी से उनकी इफ्तार पार्टी में शामिल होंगे. इस तरह परदे के पीछे से मुसलमानों को लुभाने की जरूरत क्या है. इस पर वरिष्ठ आरएसएस प्रचारक इंद्रेश कुमार चुनौती दे रहे हैं कि अगर पार्टी में हुए खर्च को लेकर किसी को आपत्ति है तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है और मुसलमानों का ठेका दूसरों ने नहीं ले रखा है .

यहां राहत इंदौरी का शेर याद आता है- ‘सियासत में ज़रूरी है रवादारी समझता है, वो रोजा तो नहीं रखता पर इफ्तारी समझता है.’ विडंबना देखिए कि आजकल राजनीति में न तो किसी को रवादारी (सहिष्णुता) से लेना-देना रह गया है, न ही इफ्तारी से. सभी जानते हैं कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2019 के आम चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं हैं. सियासी इफ्तार पार्टियों की कवायद मुस्लिम मतदाताओं का हितैषी दिखने का हिस्सा मात्र है. कर्नाटक और उपचुनावों के बाद बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. अब वह मुस्लिम मतदाताओं को नजरअंदाज नहीं कर सकती इसलिए वह भी इफ्तार पार्टी के खेल में शामिल हो गई है. वरना राजनीतिक दल मुसलमानों के कितने हितैषी हैं, यह आजादी के सत्तर साल बाद भारत में मुसलमानों की स्थिति देखकर ही समझा जा सकता है. बीजेपी कांग्रेस पर तुष्टीकरण का आरोप लगाती है और कांग्रेस बीजेपी का डर दिखाकर मुसलमानों के वोट हासिल करती है. इस नूरा कुश्ती का फायदा लालू और मुलायम जैसे नेता उठाते रहे हैं और इफ्तार पार्टियां सभी दलों का एक सियासी औजार बनती रही हैं.

मेरे एक रोजेदार दोस्त का प्रश्न है कि अगर सियासी दलों को मुसलमानों और धर्मनिरपेक्षता की इतनी ही फिक्र है तो हिंदू टी-पार्टी आयोजित कर मुसलमानों को क्यों नहीं बुलाया जाता? सर्वधर्म समभाव की भावना फैलाने के लिए सभी धर्म के लोगों को इफ्तार के लिए क्यों नहीं आमंत्रित किया जाता? नवरात्रि के समय सभी धर्म के लोगों को अपने घर बुलाकर ‘माता का जगराता’ क्यों नहीं करवाते? फिर इफ्तार पार्टियों में मुसलमानों को बुलाकर एक दिन लजीज व्यंजन खिलाने को क्यों न नेताओं की मौकापरस्ती समझा जाए?

इन दावतों के चक्कर में नेतागण इफ्तार के असली मायने ही भूल जाते हैं. जबकि इफ्तार के असली मायने हैं- दिन भर नेकनीयती और पाकीजगी के साथ रोजा रखने के बाद शाम को नमाज पढ़ कर हलाल की कमाई से मिल-बांट कर सादगी के साथ रोजा खोलना. लेकिन नेताओं की इफ्तार पार्टियों में शाही पकवानों की भरमार होती है, खूब दिखावा होता है, राजनीतिक बदनीयती होती है, अमीरों की अमदरफ्त होती है. उनके लिए यह एक ऐसा अवसर होता है, जहां नए गठबंधनों और राजनीतिक समीकरणों की संभावनाएं तलाशी जाती हैं, वोटों के ठेकेदारों का रुख भांपा जाता है.

इस्लाम के जानकार कहते हैं कि रमजान में अगर कोई रोजा इफ्तार करवाता है तो यह उसके गुनाहों की बख़्शीश और दोजख की आग से आजादी का जरिया होने के साथ-साथ उसे रोजेदार के बराबर सवाब का हकदार भी बना देता है यानी वह भी हश्र के दिन बख्शा जाएगा. लेकिन जब रोजेदार नेताओं की इफ्तार पार्टियों में होने वाला ढकोसला देखता है तो जान जाता है कि इनका मतलब और मकसद क्या है? कई लोग तो बिना रोजा रखे ही टोपियां पहनकर पकवानों का मजा लेने पहुंच जाते हैं.

प्रश्न यह है कि नेताओं को अगर इफ्तार पार्टियां देनी ही हैं तो फाइव स्टारनुमा जगहों की बजाए गरीबों की झोपड़ियों में जाकर क्यों नहीं देते? मुसलमानों का पवित्र रमजान धार्मिक पर्व होने के साथ-साथ उनके लिए पारिवारिक और समाजी रिश्ते मजबूत करने का पर्व भी होता है. वे इफ्तारी के लिए अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बुलाते हैं. क्या नेताओं की इफ्तार पार्टियों में उनकी इंट्री हो सकती है? कहना यही है कि नेतागण चाहे इफ्तार पार्टी दें या न दें, शामिल हों या न हों, लेकिन अगर वे मुसलमानों की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में भागीदारी बढ़ाने का जिम्मा उठा लें तो यही उनके लिए बड़े सवाब का काम होगा.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Union Budget 2025: किस वित्त मंत्री को बजट पेश करने का मौका ही नहीं मिला था, क्या था इसके पीछे का कारण
किस वित्त मंत्री को बजट पेश करने का मौका ही नहीं मिला था, क्या था इसके पीछे का कारण
महाकुंभ में हुई मौतों पर धीरेंद्र शास्त्री बोले- 'मरने वाले पाएंगे मोक्ष', नेहा सिंह राठौर ने कहा- 'भगदड़ में खुद क्यों नहीं कूदे'
महाकुंभ में हुई मौतों पर धीरेंद्र शास्त्री बोले- 'मरने वाले पाएंगे मोक्ष', नेहा सिंह राठौर ने कहा- 'भगदड़ में खुद क्यों नहीं कूदे'
अरविंद केजरीवाल ने लॉन्च किया 'बचत पत्र' कैंपेन, गिनाए AAP से हर परिवार को होने वाले फायदे
अरविंद केजरीवाल ने लॉन्च किया 'बचत पत्र' कैंपेन, गिनाए AAP से हर परिवार को होने वाले फायदे
Champions Trophy 2025 Pakistan Squad: पाकिस्तान ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए घोषित की टीम, जानें किसे बनाया कप्तान
पाकिस्तान ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए घोषित की टीम, जानें किसे बनाया कप्तान
ABP Premium

वीडियोज

Pandit Dhirendra Shastri का Maha Kumbh के मृतकों पर आया दंग करने वाला बयानDelhi Election 2025: रमेश बिधूड़ी और आतिशी को कैसे टक्कर दे रही हैं अलका लांबा ? | AAP | CongressPM Modi की गारंटी 'BJP सरकार बनी तो मोदी आपका पक्का घर भी जरूर बना के देगा'Mahakumbh Stampede: स्नान का नंबर दिखाकर नाकामियों पर पर्दा ? | Prayagraj | ABP News | UP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Union Budget 2025: किस वित्त मंत्री को बजट पेश करने का मौका ही नहीं मिला था, क्या था इसके पीछे का कारण
किस वित्त मंत्री को बजट पेश करने का मौका ही नहीं मिला था, क्या था इसके पीछे का कारण
महाकुंभ में हुई मौतों पर धीरेंद्र शास्त्री बोले- 'मरने वाले पाएंगे मोक्ष', नेहा सिंह राठौर ने कहा- 'भगदड़ में खुद क्यों नहीं कूदे'
महाकुंभ में हुई मौतों पर धीरेंद्र शास्त्री बोले- 'मरने वाले पाएंगे मोक्ष', नेहा सिंह राठौर ने कहा- 'भगदड़ में खुद क्यों नहीं कूदे'
अरविंद केजरीवाल ने लॉन्च किया 'बचत पत्र' कैंपेन, गिनाए AAP से हर परिवार को होने वाले फायदे
अरविंद केजरीवाल ने लॉन्च किया 'बचत पत्र' कैंपेन, गिनाए AAP से हर परिवार को होने वाले फायदे
Champions Trophy 2025 Pakistan Squad: पाकिस्तान ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए घोषित की टीम, जानें किसे बनाया कप्तान
पाकिस्तान ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए घोषित की टीम, जानें किसे बनाया कप्तान
कभी रेंट भरने के लिए फिल्मों में करती थीं काम, फिर बनीं बॉलीवुड की ग्लैमर क्वीन और नवाब की बेगम, पहचाना?
कभी रेंट भरने के लिए करती थीं फिल्में, फिर बनीं बॉलीवुड की ग्लैमर क्वीन
Economic Survey 2025: इकोनॉमिक सर्वे से अच्छी खबर, 2025 में सोने की कीमतें आएंगी नीचे, जानें चांदी पर क्या अनुमान
इकोनॉमिक सर्वे से अच्छी खबर, 2025 में सोने की कीमतें आएंगी नीचे, जानें चांदी पर क्या अनुमान
सिसोदिया, जैन, चड्ढा, पाठक! राहुल गांधी ने टीम केजरीवाल पर उठाए सवाल, बोली- नहीं दिखेगा दलित-आदिवासी-अल्पसंख्यक
सिसोदिया, जैन, चड्ढा, पाठक! राहुल गांधी ने टीम केजरीवाल पर उठाए सवाल, बोली- नहीं दिखेगा दलित-आदिवासी-अल्पसंख्यक
सुनीता विलियम्स ने बनाया स्पेस में वॉक करने का रिकॉर्ड, जानें इस दौरान उन्होंने क्या किया?
सुनीता विलियम्स ने बनाया स्पेस में वॉक करने का रिकॉर्ड, जानें इस दौरान उन्होंने क्या किया?
Embed widget