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Blog: 60 की उम्र में भी संजय दत्त को मिल रही हैं खूब फिल्में

संजय दत्त आज 60 बरस के हो गए. संजू बाबा के रूप में विख्यात संजय दत्त अपने परिवार और करीबी दोस्तों के साथ तो अपना यह विशेष जन्मदिन मना ही रहे हैं. साथ ही उनके अनेक प्रशंसक भी अपने संजू बाबा के इस जन्मदिन को अपने अपने ढंग से मना रहे हैं.

मैं उनके करियर के लगभग शुरुआती दौर से देख रहा हूं. संजय के प्रति मेरा आकर्षण और विशेष लगाव तीन कारणों से कुछ ज्यादा ही रहा है. पहला इसलिए कि संजय दत्त के साथ मेरी जन्म तिथि भी 29 जुलाई है. दूसरा इसलिए कि संजय दत्त ने एक प्रतिष्ठित और सम्पन्न फिल्म परिवार में जन्म लेने के बावजूद जिस तरह के कई बड़े दुख और कष्टों को लगातार झेला, वैसे उदाहरण आधुनिक दौर में फिल्म इंडस्ट्री में शायद कोई और न मिलें.

तीसरा इसलिए कि उनके पिता सुनील दत्त के साथ मेरे बरसों मधुर संबंध रहे. कुछ मौकों पर उन्होंने संजू के करियर और उसके दुख के साथ अपने परिवार की पीड़ा भी मेरे साथ साझा की. मुझे वे क्षण तो कभी नहीं भूलते जब 1989 में एक शाम मैं उनके मुंबई के 58 पाली हिल बंगले में ही उनके साथ बैठा था. तब संजू की पहली पत्नी ऋचा शर्मा दत्त केंसर ग्रस्त होने पर अमेरिका में इलाज करा रही थीं.

इधर संजू का करियर भी निराशाजनक चल रहा था. संजय दत्त को फिल्में तो मिल रही थीं. लेकिन सन 1985 में आई उनकी ‘नाम’ फिल्म के बाद कोई भी फिल्म बड़ी सफलता नहीं पा रही थी. ‘नाम’ से पहले भी संजू की पहली फिल्म सन 1981 में आई ‘रॉकी’ के बाद सिर्फ ‘विधाता’ ही सफल हो पाई थी. लेकिन सुभाष घई की ‘विधाता’ की सफलता का मुख्य श्रेय दिलीप कुमार, शम्मी कपूर, संजीव कुमार जैसे फिल्म के अन्य बड़े सितारों को मिला था. हालांकि नाम की बड़ी सफलता के बाद भी संजय की प्रदर्शित फिल्में या तो बुरी तरह फ्लॉप हो रही थीं या उनमें से किसी किसी फिल्म को थोड़ी बहुत सफलता ही मिल पा रही थी.

ऐसे में सुनील दत्त काफी दुखी थे. अपनी उस मुलाक़ात में दत्त साहब ने मुझसे कहा था “एक तरफ संजू की फिल्में चल नहीं रही हैं. दूसरी तरफ ऋचा गंभीर रूप से बीमार है. उसे देखने हम रुक रुक कर अमेरिका जाते हैं. इन परेशानियों के बीच मैं भी अपनी कोई फिल्म शुरू नहीं कर पा रहा. हम लोगों की ऐसी फेक्टरियाँ तो चल नहीं रहीं कि हम खुद काम नहीं करेंगे तो चलता रहेगा. हम जब खुद काम करते हैं तभी हमारी गाड़ी चलती है. मैं चाहता हूँ संजू की फिल्में चलें, वह अच्छा काम करे और दर्शक उसे बहुत पसंद करें.''

हालांकि सुनील दत्त साहब से इस मुलाक़ात के बाद संजय दत्त की कुछ फिल्में अच्छी ख़ासी चल निकलीं. साजन, सड़क,यलगार और क्षत्रिय जैसी फिल्में तो सुपर हिट हो गईं. लेकिन संजू इसी दौरान जहां ड्रग्स का शिकार बनते रहे वहाँ सन 1993 में मुंबई ब्लास्ट मामले में उनका नाम आने से तो वह ऐसे फंसे कि उनकी जिंदगी बरसों उलझ कर रह गयी. यह संयोग था कि जब संजय मुंबई बम कांड में आरोपित हो रहे थे उसी समय उनकी एक फिल्म ‘खलनायक’ भी प्रदर्शित हो रही थी.

जिसमें एक गीत था –“नायक नहीं खलनायक हूं मैं’’. इस कारण संजू को भी एक वर्ग ने नायक की जगह खलनायक बनाकर ऐसा पेश किया गया कि संजू ही नहीं सुनील दत्त और नर्गिस की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गयी. उसके बाद जो हुआ वह किसी से छिपा नहीं है. उधर 1996 में संजय की पहली पत्नी ऋचा दत्त का भी निधन हो गया. अपनी परेशानियों की आते जाते दौर के बीच एक दिन अचानक संजय ने माडल रिया पिल्ले से शादी कर ली. लेकिन उनकी यह शादी भी सफल नहीं हो पायी. परिणाम स्वरूप रिया से कुछ बरस बाद उनका तलाक हो गया.

संजय दत्त की परेशानियों का चरम काल तब आया जब मुंबई ब्लास्ट मामले में अपनी 5 साल की सजा पूरा करने के लिए 16 मई 2013 को जेल जाना पड़ा. संजय ने तब जैसे तैसे अपनी रुकी फिल्मों की शूटिंग तो पूरी कर ली थी. उस समय संजय दत्त का करियर अच्छा खासा चल रहा था. जेल से आने के बाद संजय दत्त का करियर क्या आगे चल पाएगा. जेल में लंबे समय तक रहने पर क्या संजू उतने मजबूत रह सकेंगे जितने अब हैं. ऐसे कई सवाल थे लेकिन संजय ने अब सब सवालों के जवाब खुद दे दिये हैं.

जेल से लौटने के बाद भी कायम है जज़्बा

जेल में संजय ने जिस तरह की मानसिक, शारीरिक पीड़ा झेली यह उनकी जिंदगी पर बनी फिल्म ‘संजू’ में भी दिखाया जा चुका है. लेकिन 25 फरवरी 2016 को अपनी सज़ा पूरी करके जेल से घर लौटने के बाद संजू ने जिस तरह जल्द ही खुद को व्यवस्थित कर लिया है वह सब बताता है कि संजू का जज्बा और हिम्मत अभी कायम है. अपने मुश्किलों के दिनों में जहां संजय को सबसे बड़ा एक और झटका तब लगा जब सन 2005 में उनके पिता का निधन हो गया. देखा जाये तो संजय की हर मुश्किल घड़ी में सुनील दत्त अपने बेटे के साथ एक ढाल की तरह खड़े थे. लेकिन इसी दौरान संजय की जिंदगी में एक खुशी तब आई जब 2008 में उन्होने मान्यता से शादी कर ली. साथ ही दूसरी खुशी तब 2010 में उनके यहाँ दो प्यारे प्यारे जुड़वां बच्चों शहरान और इकरा ने जन्म लिया. उनकी पहली पत्नी ऋचा से पहले ही उनकी एक बेटी त्रिशला है जो अब 31 साल की हो चुकी है.

फिर से पटरी पर ले आए हैं करियर को

अपने 60 वें जन्म दिन पर संजय दत्त का उत्साह देखते ही बनता है. वह अपने सभी पुराने रंज और गम भूलकर अपने परिवार और करियर को फिर से पटरी पर ले आए हैं. जेल से लौटने के बाद संजय दत्त की तीन फिल्में ‘भूमि’, ‘साहिब बीवी और गैंगस्टर-3’ और ‘कलंक’ प्रदर्शित हुईं हैं. लेकिन इन तीनों फिल्मों को सफलता नहीं मिल सकी. जिसे देख लग रहा है कि संजय को अपना करियर स्थापित करने के लिए फिर से पुरज़ोर मेहनत करनी पड़ेगी. बड़ी और अच्छी बात यह है कि संजय दत्त पर फ़िल्मकार अब भी अपना भरोसा कायम रखे हैं.

इन दिनों जहां वह अपनी एक फिल्म ‘पानीपत’ की शूटिंग में व्यस्त हैं वहां वह खुद निर्माता बनकर अपनी एक फिल्म ‘प्रस्थानम’ भी बना रहे हैं. जो 20 सितम्बर को प्रदर्शित होगी. ‘पानीपत’ उन फ़िल्मकार आशुतोष गोवारीकर की फिल्म है जो ‘लगान’, ‘स्वदेश’ और ‘जोधा अकबर’ जैसी शानदार फिल्म बना चुके हैं. उधर संजय अब निर्देशक अभिषेक दुधैया की एक फिल्म ‘भुज’ में भी एक नए अवतार में नज़र आएगे. इसी के साथ संजय यशराज बैनर की चर्चित फिल्म ‘शमशेरा’ में भी रणबीर कपूर के साथ आ रहे हैं. रणबीर ने संजय दत्त की जिंदगी पर बनी फिल्म ‘संजू’ में जिस तरह संजय की भूमिका में चार चाँद लगाये, उसके बाद रणबीर और संजय में अच्छे संबंध हो गए हैं. फिर संजय जल्द ही महेश भट्ट के साथ ‘सड़क-2’ भी शुरू करेंगे.

इधर संजय के इस जन्म दिन पर उनकी एक और बड़ी फिल्म ‘केजीएफ –चैप्टर -2’ की भी घोषणा हो गयी है. जिसमें संजय दत्त अधीरा की एक सशक्त भूमिका कर रहे हैं. ‘केजीएफ’ का पहला संस्करण पिछले वर्ष दिसम्बर में ही आया था. मूलतः यह कन्नड फिल्म है जिसने कमाई के माले में कन्नड फिल्मों के लगभग तमाम पुराने रिकॉर्डस को ध्वस्त कर दिए थे. साथ ही इसके हिन्दी संस्करण ने भी 40 करोड़ की कमाई करके बड़ी सफलता पाई थी.

‘मुन्नाभाई’ ने बादल दी संजू की जिंदगी

संजय दत्त के अब तक के करियर में उनकी माइल्सस्टोन फिल्मों को देखें तो नाम, साजन, सड़क और यलगार के अलावा हसीना मान जाएगी, वास्तव, मिशन कश्मीर, परिणीता, गुमराह, कांटे, अग्निपथ, सन ऑफ सरदार जैसी फिल्में तो हैं हीं. लेकिन इन सबके साथ वे दो फिल्में तो संजय दत्त के करियर में वरदान बनकर आयीं जिन्होने संजू की जिंदगी ही बदल दी. वे दो फिल्में हैं- ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ और ‘लगे रहो मुन्नाभाई’. यदि संजू को ये दो फिल्में न मिलतीं तो उनका करियर इतना खूबसूरत और उनका नाम इतना लोकप्रिय न होता जितना अब है.

आज संजय दत्त का नाम आते ही सबसे पहले मुन्नाभाई सीरीज की इन दो फिल्मों की याद आती है. निर्देशक राज कुमार हीरानी ने संजय को मुन्नाभाई के रूप में ढालकर उनके अभिनय को जो नया शिखर दिया उससे संजय फिल्म इतिहास में एक बेहतरीन अभिनेता के रूप में अमर हो गए हैं.

मुन्नाभाई का तीसरा सीकवेल भी बहुत दिनों से प्रतीक्षा में है. लेकिन अभी तक इसकी कोई विधिवत घोषणा नहीं हुई है. लेकिन उम्मीद है संजय दत्त मुन्नाभाई बनकर एक बार फिर लौटेंगे. साथ ही संजय दत्त की अभिनय यात्रा 60 बरस की उम्र में भी पुराने उत्साह के साथ जारी रहेगी. संजय बाबा को उनके इस जन्म पर हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनाएं.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

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