एक्सप्लोरर

चुनाव परिणाम 2024

(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

BLOG: क्या राष्ट्रपति के रूप में सफल रहे प्रणब दा!

राजनीति के कुशल खिलाड़ी के रूप में भले ही प्रणव मुखर्जी अपना एक विशेष स्थान रखते हो लेकिन राष्ट्रपति के रूप में उनका राजनीतिक कौशल नहीं दिखा. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपने आप को एक दायरे तक ही सीमित रखा. हालांकि वह कई ऐसी चीजें बोल और लिख सकते थे लेकिन उन्होंने अपने आप को सरकार के सहयोगी के रूप में ही पेश किया. उन्होंने राष्ट्रपति रहते दोनों प्रधानमंत्री यों डॉ. मनमोहन सिंह और नरेन्द्र मोदी का पूरा सहयोग किया. दोनों सरकारों से उन्होंने बेहतर तालमेल रखा.

देश के तेरहवें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की रायसीना हिल्स से रविवार को ससम्मान विदाई हो गई. बिना निकोटिन का पाइप मुंह में रखने वाले प्रणब मुखर्जी का पाँच साल का कार्यकाल भी बिना किसी खास उपलब्धि के समाप्त हो गया. जिस तरह वह मुँह में पाइप रखकर यह महसूस किया करते थे कि वह धुम्रपान कर रहे हैं उसी तरह अपने पाँच साल के कार्यकाल में वह सिर्फ महसूस ही करते रहे कि वह देश के सबसे सर्वोच्च पद पर आसीन हैं. यहाँ सवाल यह है कि प्रणव मुखर्जी को आखिर देश राष्ट्रपति के रूप में किस बात के लिए याद रखेगा. कभी कहा जाता था कि प्रणव मुखर्जी देश के लिए एक अच्छे प्रधानमंत्री साबित हो सकते हैं. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति पद के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया और वह राष्ट्रपति पद पर आसीन भी हुए.

प्रणव मुखर्जी से पहले राष्ट्रपति रहे अन्य 12 राष्ट्रपतियों की बात करें तो वह किसी न किसी खास उपलब्धि के लिए याद किए जाते रहे हैं. चाहे फिर वह के. आर. नारायणन हो, डॉ. शंकरदयाल शर्मा या फिर एपीजे अब्दुल कलाम. पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायण ने उस वक्त प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पत्र लिख कर याद दिलाया कि क्यों न न्यायिक सेवा में दलितों पिछड़े वर्गों का भी आरक्षण हो. हालांकि, इस पर कुछ हुआ तो नहीं लेकिन चर्चा ज़रूर हुई. जब पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे उस वक्त के राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने 6 दिसंबर 1992 को हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कहा कि यह देश के लिए अच्छा नहीं है. लेकिन इसका एक इम्पैक्ट ये हुआ कि लोगों ने चर्चा की कि देश के प्रथम नागरिक संवेदनशील हैं. वही डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने कार्यकाल के दौरान युवाओं के बीच एक अलग पैठ बनाई. आपको बता दें कि डॉ कलाम ने पूरे भारत में घूम कर करीब 1 करोड़ 70 लाख युवाओं से मुलाकात की थी.

राजनीति के कुशल खिलाड़ी के रूप में भले ही प्रणव मुखर्जी अपना एक विशेष स्थान रखते हो लेकिन राष्ट्रपति के रूप में उनका राजनीतिक कौशल नहीं दिखा. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपने आप को एक दायरे तक ही सीमित रखा. हालांकि वह कई ऐसी चीजें बोल और लिख सकते थे लेकिन उन्होंने अपने आप को सरकार के सहयोगी के रूप में ही पेश किया. उन्होंने राष्ट्रपति रहते दोनों प्रधानमंत्री यों डॉ. मनमोहन सिंह और नरेन्द्र मोदी का पूरा सहयोग किया. दोनों सरकारों से उन्होंने बेहतर तालमेल रखा.

BLOG: क्या राष्ट्रपति के रूप में सफल रहे प्रणब दा!प्रणव मुखर्जी ने सरकार के प्रति कभी अविश्वास जाहिर नहीं किया कोई भी बिल हो या कोई भी मामला हो, उदाहरण के लिए राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने पर वो अपनी राय रख सकते थे लेकिन उन्होंने अपनी राय नहीं रखी. रविवार को राष्ट्रपति भवन से विदाई लेते समय ज़रूर उन्होंने सरकार को अध्यादेश लाने से बचने की नसीहत दे डाली. अपने विदाई भाषण में प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अपने संबंधों का ज़िक्र भी किया और कहा कि उनके प्रति विनम्र व्यवहार के लिए वो हमेशा मोदी को याद रखेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में एक कार्यक्रम के दौरान प्रणब को 'पिता की तरह' बताया था. इसे राजनीतिक शिष्टाचार का बड़ा उदाहरण भी मान सकते हैं. लेकिन सवाल यहाँ यह भी नहीं है कि उनका सरकार से तालमेल कैसा रहा? सवाल यह कि जब 25 जुलाई 2012 को उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली उस समय देश की 100 से ज्यादा जनता को उनसे काफी उम्मीदें जुड़ गई थी क्योंकि भारतीय संविधान में राष्ट्रपति संसद और सरकार से ऊंचा पद होता है.

हालांकि, विश्वसनीयता और गोपनीयता के मामले में प्रणव मुखर्जी पर कोई सवाल खड़ा करना मुश्किल है. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने तो यहाँ तक कहा था कि प्रणव के मुँह से राज नहीं सिर्फ धुंआ निकलेगा. यह भी संभव है कि ऐसा ही कहते कभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी दिख जाए क्योंकि उनके तीन साल के शासन काल में ऐसे कई मुद्दे रहे जिन पर प्रणव मुखर्जी ने अपनी ज़ुबान तक नहीं खोली. चाहे फिर वह नोटबंदी का फैसला हो या फिर सर्जिकल स्ट्राईक का मामला. प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति रहते 32 दया याचिका उनके पास आई जिसमें से 28 को उन्होनें खारिज कर दिया.

प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति रहते कई राज्यपालों ने कई गैर ज़िम्मेदाराना बयान दिए लेकिन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कभी इस पर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी. उदाहण के लिए असम के राज्यपाल पी. बी. आचार्य को गैरजिम्मेदाराना बयान के लिये बर्खास्त किये जाने की मांग बीएसपी सुप्रिमो मायावती ने की थी आचार्य ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि “हिन्दुस्तान केवल हिन्दुओं के लिए है” जो कि एक संवैधानिक पद पर बैठ व्यक्ति के लिए गैर ज़िम्मेदाराना था. इसी तरह त्रिपुरा के राज्यपाल ने अनेक विवादित बयान दिये.

भले ही प्रणब मुखर्जी की राष्ट्रपति के रूप में प्रमुख उपलब्धियाँ ज्यादा न हो पर राष्ट्रपति पद से सेवा निवृत्ति के बाद सभी की नज़रें उन पर टिकी है कि वह अब कैसा जीवन जीते है. हालांकि कुछ काँग्रेसी नेता उनके राजनैतिक जीवन की दूसरी पारी शुरू होने की बात भी कहते है. लेकिन अभी तक जिस तरह पिछले 12 राष्ट्रपतियों के जीवन पर नज़र दौड़ाए तो वह वापस सक्रिय राजनीति में वापस नहीं आए हैं. लेकिन इसके विपरीत कांग्रेसी नेता यह मानते है कि कांग्रेस पार्टी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्रणब दा एक संकटमोचक की भूमिका में कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर सकते है. बहरहाल कयासों पर कुछ कहा नहीं जा सकता पर प्रणब मुखर्जी के व्यक्तित्व और उनके राजनीतिक जीवन को देखते हुए यह कह पाना मुश्किल ही होगा कि उनका अगला कदम क्या होगा. कुल मिलाकर राष्ट्रपति के रूप में वह वास्तविक रबर स्टांप के रूप में काम करने वाले राष्ट्रपति के रूप में ज्यादा याद किए जाएंगे, बल्कि इसके कि वह एक सशक्त और प्रभावशील राष्ट्रपति थे.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार और आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

लेखक से ट्विटर पर जुड़े https://twitter.com/rasheedkidwai लेखक से फेसबुक पर जुड़े  https://www.facebook.com/rasheed.kidwai
और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

मौलाना नोमानी से मुलाकात का भी स्वरा भास्कर-फहद अहमद को नहीं मिला कोई चुनावी फायदा, क्या हो सकती हैं हार की वजहें?
मौलाना नोमानी से मुलाकात का भी स्वरा-फहद को नहीं मिला कोई चुनावी फायदा
Yashasvi Jaiswal Record: यशस्वी ने पर्थ टेस्ट में तोड़ा छक्कों का रिकॉर्ड, 147 सालों में पहली बार हुआ ऐसा
यशस्वी ने पर्थ में तोड़ा छक्कों का रिकॉर्ड, 147 सालों में पहली बार हुआ ऐसा
आचार्य प्रमोद ने राहुल गांधी पर किया तंज, कहा- पालघर के साधुओं का लगा श्राप, विपक्षी नेता बनने लायक नहीं रहे
आचार्य प्रमोद ने राहुल गांधी पर किया तंज, कहा- पालघर के साधुओं का लगा श्राप, विपक्षी नेता बनने लायक नहीं रहे
Housing Prices: रेसिडेंशियल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का निर्माण हो गया 39 फीसदी महंगा, ये है इसकी बड़ी वजह!
रेसिडेंशियल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का निर्माण हो गया 39 फीसदी महंगा, ये है इसकी बड़ी वजह!
ABP Premium

वीडियोज

Salman Khan ने Arfeen Khan को किया Bigg Boss 18 में Bully? Hrithik Roshan के Mind Coach ने दिया Shocking ReactionAaradhya के Birthday पर क्यों गायब रहे Abhishek Bachchan? Aishwarya Rai को लेकर Jaya Bachchan ने कह दी ऐसी बातMaharashtra Election Result : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति को बहुमत | BJP | CongressIPO ALERT: Rajesh Power Services IPO में जानें Price Band, GMP & Full Review | Paisa Live

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
मौलाना नोमानी से मुलाकात का भी स्वरा भास्कर-फहद अहमद को नहीं मिला कोई चुनावी फायदा, क्या हो सकती हैं हार की वजहें?
मौलाना नोमानी से मुलाकात का भी स्वरा-फहद को नहीं मिला कोई चुनावी फायदा
Yashasvi Jaiswal Record: यशस्वी ने पर्थ टेस्ट में तोड़ा छक्कों का रिकॉर्ड, 147 सालों में पहली बार हुआ ऐसा
यशस्वी ने पर्थ में तोड़ा छक्कों का रिकॉर्ड, 147 सालों में पहली बार हुआ ऐसा
आचार्य प्रमोद ने राहुल गांधी पर किया तंज, कहा- पालघर के साधुओं का लगा श्राप, विपक्षी नेता बनने लायक नहीं रहे
आचार्य प्रमोद ने राहुल गांधी पर किया तंज, कहा- पालघर के साधुओं का लगा श्राप, विपक्षी नेता बनने लायक नहीं रहे
Housing Prices: रेसिडेंशियल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का निर्माण हो गया 39 फीसदी महंगा, ये है इसकी बड़ी वजह!
रेसिडेंशियल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का निर्माण हो गया 39 फीसदी महंगा, ये है इसकी बड़ी वजह!
आपका दिमाग अधिक समय तक नहीं रहेगा प्राइवेट! स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
आपका दिमाग अधिक समय तक नहीं रहेगा प्राइवेट! स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
महाराष्ट्र में करोड़ों महिलाओं को मिलेगा BJP की जीत का फायदा, जानें कितना बढ़ सकता है लाडली बहन योजना का पैसा
महाराष्ट्र में करोड़ों महिलाओं को मिलेगा BJP की जीत का फायदा, जानें कितना बढ़ सकता है लाडली बहन योजना का पैसा
Maharashtra Assembly Election Results 2024: सीएम की कुर्सी के लिए संग्राम शुरू, छप गए पोस्‍टर, जानें फडणवीस, अजित पवार, शिंदे का क्‍या रहा रिजल्‍ट
महाराष्‍ट्र: सीएम की कुर्सी के लिए संग्राम शुरू, छप गए पोस्‍टर, जानें फडणवीस, अजित पवार, शिंदे का क्‍या रहा रिजल्‍ट
Embed widget