प्रियंका चोपड़ा ने फिर खींची है एक उजली लकीर, ये लकीरें समाज में जितनी बार खिंची जाएं उतना अच्छा
प्रियंका जैसी के लिए हम खुश हैं. पुरुष प्रायोजित अंधरों में औरत अपनी उजली लकीर जितनी बार खींचेगी, अच्छी ही लगेगी. ये लकीरें कितनी बार खिंच चुकी हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
कितना ऑड कपल है. किराने की दुकान में अखबार पे आंख गड़ाए एक सयाने ने कहा. कौन.. प्रियंका चोपड़ा और निक जोनास. दूसरे सयाने ने पूछा- प्रियंका तो ठीक, लेकिन ये निक जोनास कौन है? लिखा है अमरीकी है, शायद गाता है. एक संगोष्ठी सी चालू हो गई. ये इंडियन हीरोइनें पगला गई हैं क्या? एक ने अपने से बीस साल बड़े हीरो से शादी की (वो करीना कपूर को गरिया रहे थे), दूसरी ने छोकरा पकड़ लिया. देखो कैसा दूध पीता बच्चा सा है. इतनी ऑड जोड़ियां- बेमेल शादी. बाप रे... ये प्रियंका इत्ती सी उम्र में सठिया गई लगती है.
प्रियंका-निक की इंगेजमेंट की अफवाह क्या उड़ी, हर पुलिया-ठिये पर गप्पबाजी को न्यौता मिल गया. प्रियंका चोपड़ा बॉलीवुड और अब हॉलिवुड स्टार हैं उम्र 36 साल. निक जोनास अमेरिकी सिंगर, सॉन्ग राइटर, एक्टर. उम्र 25 साल. दोनों के बीच इश्क और फिर सगाई की खबरें. खबर हैं, प्रियंका ने निक से शादी रचाने के लिए सलमान खान के साथ वाली फिल्म ‘भारत’ छोड़ दी. यह भी कि इस पर सलमान बौरा गए हैं. खबरें हैं जाहिर है अपुष्ट हैं. सही भी हो सकती हैं पर हम ये नहीं कह सकते. कहेंगे तो बतौर ‘संजू’- मीडिया वाले हर खबर के साथ question mark लगाकर अपना स्केप रूट निकाल लेते हैं. यह बात है कि बॉलिवुड वालों के लिए स्केप रूट उनके फैन्स निकालते रहते हैं. फिर भी हम लिखते हैं, सुनते हैं.
सुनते हैं कि प्रियंका निक के साथ ज्यादा समय बिताना चाहती हैं इसलिए उन्होंने सलमान वाली फिल्म छोड़ दी है. प्रियंका से पहले निक के बहुत से फ्लिंग्स थे. आधा दर्जन लड़कियों को डेट करने के बाद वह प्रियंका पर ठहरे हैं. किसी को उनके इस ऑड रिश्ते पर कोई भी उज्र हो, वह खुश हैं. सेलेब्रिटीज के पास खुश रहने के लिए अपना समाज होता है. उस समाज में किसी दूसरे-तीसरे-चौथे की इंट्री अलाउड नहीं. आप सिर्फ दूर से खड़े होकर तालियां या गालियां दे सकते हैं. प्रियंका को जो देना चाहें. प्रियंका ‘क्वांटिको’ के नाम पर गालियां खा चुकी हैं, इस बार उन्हें तालियों की दरकार है. तालियां क्योंकि वह रोल मॉडल हैं कितनी ही लड़कियों की. एक करिश्माई स्त्री, जिसने पुरुष सत्ता के सिनेमाई गढ़ में घुसकर जगह हासिल की है. नेपोटिज्म की जो बात कंगना ने साल भर पहले उठाई थी, प्रियंका उसकी सुरंग पथ पर कई साल पहले चल चुकी है. अब उनका नया ठौर सात समुंदर पार है. वहां प्रेम संबंध भी बना रही हैं. वहां की धरती से, वहां के शख्स से. निक उनका प्यार हैं उम्र में छोटा सही. पर इससे आपको क्या?
यूं पंचायत करना अपना परम सुख है. पंचायत करते-करते हम फलसफे भी झाड़ते रहते हैं. इस फलसफे में जेंडर, संस्कृति एक हथियार की तरह इस्तेमाल की जाती है. कोई हमें ऑड लगता है, क्योंकि ईवन के मानदंड हमने पहले से तय कर लिए हैं. लड़की उम्र में, कद में, रुतबे में छोटी होगी काम करती होगी तो तनख्वाह में भी. लड़का हर लिहाज से बड़ा होगा. यह सब ईवन है. यह भी ईवन है कि समाज जातियों में बंटा रहे. जातियों के अंदर शादियां ईवन हैं. गोत्र के अंदर ऑड. यह भी ईवन है कि लड़कियां घर वालों की पसंद से शादियां करें, शादियों के बाद घर संभालें. तलाक न दें. दारू न पिएं. रात को अकेली न घूमें. यह पलटेगा तो सब ऑड हो जाएगा. प्रियंका-निक का जोड़ा भी ऑड लगता है, तो इसीलिए क्योंकि एक आजादख्याल औरत ने पसंद का फैसला किया है.
समय बदल गया है. याद आती है, पचपन खंभे लाल दीवारें उपन्यास की सुषमा. 33 बरस की जिंदगी में जिम्मेदारियों और सोसायटी के प्रेशर से दबी हुई. उम्र में छोटे नील के प्रेम को जबरन ढकेलकर बाहर करती सी. लेखिका ऊषा प्रियंवदा 1962 के इस नॉवेल में भी सुषमा और नील के सहजीवन की कल्पना नहीं कर पातीं. लेकिन वो ‘’पचपन खंभे’’ अब पचपन साल बाद हिल रहे हैं. कोई बड़ी बात न लगे, फिर भी ऑड तो नहीं लगती. जिस करीना कपूर का जिक्र किया गया है, उनके शौहर सैफ भी ऐसी ही एक मिसाल दे चुके हैं. उनकी पहली बीवी अमृता सिंह उनसे कई साल बड़ी थीं. नरगिस ने भी अपने से एक साल छोटे सुनील दत्त से शादी की थी. ऐश्वर्या राय अभिषेक बच्चन से दो साल, फराह खान शिरीष कुंदर से आठ साल, जरीना वहाब आदित्य पंचोली से छह साल बड़ी हैं. हाल ही में ब्रिटिश राजकुमार हैरी ने अपने से तीन साल बड़ी ऐक्ट्रेस मेगन मार्केल से शादी रचाई है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की बीवी ब्रिगेट तो उनसे 24 साल बड़ी हैं और उनकी ड्रामा टीचर भी रह चुकी हैं. हॉलिवुड में ऐसे रिश्ते खूब हैं. एश्टन कचर-डेमी मूर, निक कैनन-मारिया कैरी, गाय रिची-मैडोना और भी कई. किसी की सेहत पर इससे क्या फर्क पड़ता है. वो खुश हैं तो खुश रहें.
प्रियंका जैसी के लिए हम खुश हैं. पुरुष प्रायोजित अंधरों में औरत अपनी उजली लकीर जितनी बार खींचेगी, अच्छी ही लगेगी. ये लकीरें कितनी बार खिंच चुकी हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. स्त्री सशक्तिकरण को इस तरह से भी देखा जा सकता है ‘’साहसी और समझदार लड़की का फैसला’’ भले ही यह कुछ खब्तियों को पसंद न आए.
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