क्या आप जानते हैं कि इस सीजन में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा गेंदबाजी किस गेंदबाज ने की है. एक दो नहीं सात सौ से ज्यादा ओवर. ऐसा करने वाले दोनों गेंदबाज भारत के हैं. आर अश्विन और रवींद्र जडेजा. उसमें भी पूरी दुनिया में जडेजा सबसे ज्यादा किफायती गेंदबाज रहे हैं



इसलिए बात आज रवींद्र जडेजा की. उस खिलाड़ी के नाम पर चुटकुले बने. जबसे धोनी ने उन्हें ‘सर’ की उपाधि दी वो खूब चर्चा में रहे. आईपीएल में उन्हें जो ‘फीस’ दी गई उस पर भी लोगों ने नाक भौं सिकोड़ी. मैदान के बाहर कभी कभार बात उनकी मूंछों की भी हुई. कुछ एक मौकों पर उनकी नाराजगी ने भी सुर्खियां बटोंरी. लेकिन ज्यादातर मौकों पर वो शांत रहे. हल्की मुस्कान बिखेरते मैदान में अपना काम करते रहे. अपने अंदर के फाइटर को हमेशा जिंदा रखा. टीम से अंदर-बाहर भी हुए लेकिन मस्त रहे.


शायद ही कभी कोई शिकायत की. असल में रवींद्र जडेजा ने अपने करियर में अपनी छवि एक ‘ईजी गोइंग’ खिलाड़ी की बनाई. वही जडेजा आज ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत के हीरो बने हैं. पांच साल के टेस्ट करियर में ये पहला मौका है जब रवींद्र जडेजा को टेस्ट सीरीज में मैन ऑफ द सीरीज चुना गया है. जडेजा पर आज इसलिए भी बात कर रहे हैं क्योंकि उनके करियर की


शुरूआत का किस्सा बड़ा मजेदार है.


साल 2009 की बात है. भारतीय टीम श्रीलंका के दौरे पर थी. होटल ताज के स्विमिंग पूल के किनारे हम लोग तीन चार खिलाड़ियों के साथ बैठे बातचीत कर रहे थे. पूल के दूसरी तरफ रवींद्र जडेजा हैरान-परेशान घूम रहे थे. तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार ने बताया कि जडेजा इसलिए परेशान है क्योंकि तब तक उसकी किट नहीं पहुंची थी. जडेजा तब करीब 20 साल के थे, जोश से भरे हुए थे.


खैर देर सबेर उनकी किट आई और उन्होंने 8 फरवरी 2009 को अपने करियर की शुरूआत की. उस मैच में भारतीय टीम हार गई लेकिन जडेजा ने निचले क्रम में बल्लेबाजी करते हुए शानदार 60 रन बनाए. भारतीय टीम ने वो सीरीज जीती थी. लिहाजा आखिरी मैच को गंवाने का ऐसा कोई अफसोस नहीं था. मैच की अगली सुबह रवींद्र जडेजा जब नाश्ते की टेबल पर हम लोगों से मिले तो उनके चेहरे पर सुकुन के भाव थे.


दरअसल 2009 से पहले क्रिकेट फैंस ने जब भी रवींद्र जडेजा का नाम सुना था, तब उन्होंने किसी घरेलू मैच में ढेर सारे रन बनाए होते थे. बड़े बड़े शतक. तिहरा शतक. उस पर से गेंदबाजी में भी कमाल. लेकिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट घरेलू क्रिकेट से बिल्कुल अलग होता है और उन्हें खुद को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साबित करना था. इस घटना के करीब आठ साल बाद आज रवींद्र जडेजा यही कमाल कर चुके हैं.


सीरीज के सबसे कामयाब खिलाड़ी


ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में रवींद्र जडेजा मैन ऑफ द सीरीज चुने गए. धर्मशाला के निर्णायक मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया. पहली पारी में 95 गेंद पर 63 रनों की उनकी पारी ने ही मैच को भारत के पक्ष में किया. इसके अलावा उन्होंने धर्मशाला में 4 विकेट भी लिए. पूरी सीरीज में उन्होंने 25 विकेट लेने के साथ साथ बड़ी मुश्किल परिस्थितियों में दो अर्धशतक भी लगाए.


जडेजा की कामयाबी पर चर्चा इसलिए होनी चाहिए क्योंकि टेस्ट क्रिकेट में उपयोगिता को लेकर सबसे ज्यादा पैनी निगाहें रवींद्र जडेजा पर रही हैं. उन्हें ‘फुलटाइम स्पिनर’ के तौर पर नहीं देखा जाता है. टीम में ‘फुलटाइम स्पिनर’ और पिछली कई सीरीज के हीरो रहे आर अश्विन हमेशा बतौर स्पिनर टीम की पहली पसंद हैं. अश्विन और जडेजा में कोई तुलना की जरूरत नहीं लेकिन इस सीरीज में जडेजा ने अश्विन के मुकाबले ज्यादा समझदारी के साथ गेंदबाजी की. गेंदों की रफ्तार के साथ भी जडेजा ने जमकर प्रयोग किए और ज्यादातर मौकों पर उन्हें कामयाबी मिली.


पुणे में की गई गलती को उन्होंने सुधारा. पुणे में जडेजा अपनी गेंद इतनी ज्यादा ‘टर्न’ करा रहे थे लेकिन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को गेंद छोड़ने के लिए कुछ सोचना तक नहीं पड़ रहा था. आंकड़े भी बताते हैं कि इस सीरीज में जडेजा ने अश्विन के मुकाबले बेहतर गेंदबाजी की है. वैसे तो टेस्ट क्रिकेट में किफायत का बहुत ज्यादा महत्व नहीं होता, लेकिन इस सीरीज में गेंदबाजी औसत का भी काफी महत्व रहा. ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों ही तरफ से कोई बहुत बड़ा विशाल स्कोर पूरी सीरीज में नहीं दिखाई दिया. इस सीरीज में जडेजा अश्विन के मुकाबले किफायती रहे. अश्विन 27.38 की औसत से 21 विकेट लिए जबकि जडेजा ने 18.56 की औसत से 25 विकेट चटकाए.


ऑलराउंडर की छवि बरकरार रखें जडेजा


रवींद्र जडेजा को भारतीय टीम में एक ऐसे खिलाड़ी के तौर पर शामिल किया गया था, जो अच्छी बल्लेबाजी के साथ साथ गेंदबाजी भी कर लेता है. हालांकि रणजी ट्रॉफी में उनके नाम शानदार गेंदबाजी के रिकॉर्ड भी दर्ज रहे हैं. दिक्कत ये भी कि जडेजा टेस्ट करियर में काफी समय तक बल्लेबाजी के मुकाबले गेंदबाजी में बेहतर प्रदर्शन करते रहे.


उनसे उम्मीद थी कि वो बल्ले से भी अपना योगदान देंगे. इस सीरीज में जडेजा ने वो जरूरत भी पूरी की. उनके दोनो अर्धशतक ऐसे वक्त में लगे जब टीम को उसकी जरूरत थी. अगर जडेजा इसी ‘फॉर्म’ और ‘रोल’ को बरकरार रख पाते हैं तो टीम में लंबे अरसे से चल रही एक अदद ऑलराउंडर की खोज भी खत्म होगी.जो अच्छी गेंदबाजी और बल्लेबाजी के साथ साथ शानदार फील्डिंग करता हो. जडेजा फिलहाल देश के लिए तीनों फॉर्मेट में खेलते हैं. टी-20, वनडे और टेस्ट. मौजूदा दौर में जडेजा भारतीय टीम के लिए एक कंपलीट पैकेज हैं.