ये वाकई ट्रंपकार्ड सेलेक्शन ही था. पिछले कुछ महीनों में बतौर कप्तान विराट कोहली ने यजुवेंद्र चहल के मुकाबले कुलदीप यादव को प्लेइंग 11 में ज्यादा तरजीह दी है. यजुवेंद्र चहल टीम में लगातार हैं लेकिन प्लेइंग 11 में उन्हें मौका नहीं मिल रहा था. यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज के तीनों मैच में भी उन्हें मौका नहीं मिला था. टेस्ट टीम में तो खैर अभी उन्हें जगह भी नहीं मिली है. इस बात की आशंका बढ़ती जा रही थी कि यजुवेंद्र चहल इस दौरे से बगैर मैदान में उतरे ही वापस लौटेंगे.

लेकिन शुक्रवार को विराट कोहली ने वनडे सीरीज के आखिरी मैच के लिए टीम में तीन बदलाव किए. इसी में एक बदलाव था कुलदीप यादव की जगह यजुवेंद्र चहल का सेलेक्शन. यजुवेंद्र चहल ने कप्तान के इस फैसले को सौ फीसदी सही साबित किया. कंगारुओं ने कुलदीप यादव के खिलाफ तो सुरक्षात्मक रणनीति बना ली थी लेकिन यजुवेंद्र चहल उनके लिए ‘सरप्राइज पैकेज’ की तरह आए और कंगारुओं के बल्लेबाजी क्रम को ध्वस्त कर दिया. यजुवेंद्र चहल ने 10 ओवर में 42 रन देकर 6 विकेट चटकाए. ये उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी हो गया. यजुवेंद्र चहल को मैन ऑफ द मैच भी चुना गया. जाहिर है हर तरफ आज उनकी तारीफ हो रही है. सचिन तेंदुलकर ने भी ट्विटर पर उनकी पीठ थपथपाई है.


गेंद हाथ में आते ही दिखाई विकेटों की भूख

तीसरे मैच में चहल प्लेइंग 11 में तो आ गए लेकिन विराट कोहली ने उन्हें गेंदबाजी काफी देर से कराई. 23 ओवर तक उन्हें गेंद नहीं मिली थी. ये विराट कोहली की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है. खैर, कंगारुओं की पारी के 24वें ओवर में चहल ने गेंद थामी. उस वक्त तक ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 2 विकेट पर 99 रन था. शॉन मार्श और उस्मान ख्वाजा के बीच एक साझेदारी बनती दिख रही थी. दोनों अच्छी फॉर्म में थे. लेकिन हाथ में गेंद थामे यजुवेंद्र चहल खुद को साबित करने के लिए भूखे थे. उन्होंने अपनी दूसरी ही गेंद पर बड़ी चतुराई से शॉन मार्श को स्टंप करा दिया. इसके ठीक एक ही गेंद बाद उन्होंने उस्मान ख्वाजा को भी चलता किया. उनकी लेग ब्रेक पर उस्मान ख्वाजा उन्हें ही कैच थमा बैठे. 99 पर दो का स्कोर अब 101 पर चार में तब्दील हो चुका था.

असल मायने में तो यजुवेंद्र चहल ने अपनी उपयोगिता यहीं साबित कर दी थी. लेकिन उनकी भूख पूरी नहीं हुई थी. पारी के तीसवें ओवर में उन्होंने स्टायनिस को भी पवेलियन की राह दिखाई. ये उनकी लेग स्पिन का कमाल था. मैक्सवेल ने यजुवेंद्र चहल पर कुछ हाथ खोलने की कोशिश की तो उन्हें मोहम्मद शामी ने पवेलियन का रास्ता दिखाया. इसके बाद चहल ने ही हैंड्सकॉम्ब का विकेट भी चटकाया. हैंड्सकॉम्ब ने ही ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे ज्यादा 58 रन बनाए थे. निचले क्रम में एडम जैम्पा और स्टेनलेक भी यजुवेंद्र चहल की फिरकी को झेल नहीं पाए. पूरी टीम पचास ओवर के पहले ही 230 रन पर सिमट गई.

चहल और कुलदीप दोनों की है जरूरत

ये सच है कि यजुवेंद्र चहल और कुलदीप यादव एक जैसी गेंदबाजी करते हैं. बावजूद इसके दोनों के पास वेरिएशन अलग अलग हैं. दोनों ‘हंटिग पेयर’ की तरह खेलते हैं. इस मैच के बाद संभवत: टीम इंडिया मैनेजमेंट को कुछ महीने पहले की रणनीति पर वापस लौटना होगा. जब कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल दोनों टीम के प्लेइंग 11 का हिस्सा होते थे. साल 2018 में यजुवेंद्र चहल ने 17 मैच में 29 विकेट लिए हैं. जबकि कुलदीप यादव ने पिछले साल खेले गए 19 मैचों में 45 विकेट चटकाए हैं. ये आंकड़े इस बात को साबित करने के लिए काफी हैं कि वनडे टीम में इन दोनों खिलाड़ियों की प्लेइंग 11 में जगह बनती है. खास तौर पर जब 2019 विश्व कप में कुछ ही हफ्तों का समय बचा हो तो दोनों स्पिनर्स के आत्मविश्वास को बनाए रखना टीम मैनेजमेंट की जिम्मेदारी होगी. भूलें नहीं कि अगला विश्वकप इंग्लैंड की पिचों पर खेला जाना है. जहां स्पिनर्स वैसे भी बहुत कारगर साबित होंगे.