मंगलवार को सुपरजाइंट पुणे और दिल्ली डेयरडेविल्स का मैच खेला जाना है. ये मैच पुणे में खेला जाएगा. पुणे की टीम अब तक खेले गए 2 मैचों में से एक मैच जीत चुकी है जबकि एक में उसे हार का सामना करना पड़ा है. दिल्ली को पहले मैच में हार मिली थी. मंगलवार को खेले जाने वाले मैच से पहले एक सवाल बड़ा जायज है. वो ये कि आखिर दिल्ली की टीम की किस्मत कब बदलेगी. आप याद करके देखिए, पिछले नौ सीजन में क्या क्या हो गया, कितना कुछ बदला. बस बदकिस्मती रही तो दिल्ली की टीम के साथ.


इस टीम को आजतक आईपीएल में खिताब जीतने का तो छोड़िए फाइनल में खेलने तक का मौका नहीं मिला. यह जानना दिलचस्प है कि आखिर दिल्ली की टीम आईपीएल में फ्लॉप क्यों हो जाती हैं? दिल्ली की टीम आजतक इस टूर्नामेंट के फाइनल में क्यों नहीं पहुंच पाई? शुरूआत में दिल्ली की टीम में वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, रॉस टेलर, मॉर्ने मॉर्कल जैसे बड़े नाम थे. अब भी जहीर खान, पैट कमिन्स, अमित मिश्रा जैसे क्रिकेटर हैं लेकिन दिल्ली की किस्मत फिर भी नहीं बदल रही है. अभी आईपीएल के दसवें सीजन की शुरूआत ही हुई है, लेकिन अपने पहले ही मैच में दिल्ली को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के हाथों 15 रनों से हार का सामना करना पड़ा था.


याद कीजिए एक वक्त पर बड़े बड़े सूरमाओं के साथ तैयार की गई इस टीम के पास वो सबकुछ था जो एक चैंपियन टीम के पास होना चाहिए फिर भी उसके हिस्से नाकामी ही लगी. दिल्ली की टीम के लिए आईपीएल का फाइनल किसी अबूझ पहेली की तरह है, जहां तक टीम पहुंच ही नहीं पाती. 2009 और 2012 को छोड़ दिया जाए तो दिल्ली की टीम टॉप 3 टीमों की लिस्ट से भी हमेशा बाहर ही रही है.


2013 के बाद से तो स्थिति और खराब है. 2013 में टीम नौवीं, 2014 में आठवी, 2015 में सातवीं और 2016 में छठे नंबर पर रही. यानि पिछले चार सीजन में दिल्ली की टीम ने हर साल में एक पायदान का इजाफा किया है. इस रफ्तार से तो उसे चैंपियन बनने में अभी कई साल और लगेंगे. आईपीएल की रिकॉर्ड बुक में जाइए. बल्लेबाजी की बात कीजिए, गेंदबाजी की बात कीजिए, सबसे ज्यादा रन की बात कीजिए, विकेट की बात कीजिए...दिल्ली की मौजूदा टीम के खिलाड़ी बड़ी मुश्किल से दिखाई देते हैं.


कितनी संतुलित है दिल्ली की टीम ?


पिछले नौ सीजन में दिल्ली की टीम का चेहरा पूरी तरह बदल चुका है. टीम मालिकों और दिल्ली के रणनीतिकारों ने बड़ी माथापच्ची के बाद तय किया कि उनकी टीम को किस खिलाड़ी की जरूरत है किसकी नहीं. बड़े बड़े नामचीन खिलाड़ियों को ‘रिलीज’ करके दिल्ली के मालिकों ने ये संदेश देने की कोशिश भी की कि पैसे के दम पर जरूरत से ज्यादा खिलाड़ियों का पूल बनाए रखने और बड़े बड़े नामों को जोड़ने में उसका भरोसा नहीं है.


वो कम नामी गिरामी खिलाड़ियों के साथ भी मैदान मार सकते हैं. लेकिन उनका ये दांव भी अब तक चला नहीं है. इस सीजन में जहीर खान, अमित मिश्रा, कोरे एंडरसन जैसे खिलाडियों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर खिलाड़ियों का नाम तक लोगों ने नहीं सुना. क्विंटन डी कॉक और जेपी ड्यूमिनी दो बड़े खिलाड़ी टीम में थे लेकिन दोनों फिटनेस की वजह से इस सीजन में नहीं खेलेंगे.


संजू सैमसन और ऋषभ पंत जैसे घरेलू खिलाड़ी भी टीम का हिस्सा हैं लेकिन इन खिलाड़ियों के भरोसे दिल्ली इस सीजन में कहां तक का सफर तय करेगी अभी कहना मुश्किल है. इन बदली परिस्थितियों और चेहरों में दिल्ली डेयरडेविल्स को प्लेइंग 11 चुनने में और रणनीति बनाने में या तो थोड़ा ‘प्रैक्टिकल’ होना पड़ेगा या फिर यूं ही हाथ मलते रहने की आदत डालनी होगी.


2012 में आखिरी बार किया था धमाल


2012 में लीग के शुरू होने से लेकर प्लेऑफ तक दिल्ली की टीम जबरदस्त फॉर्म में थी. लीग मैचों में दिल्ली पहले पायदान की टीम थी. 2012 में वीरेंद्र सहवाग की अगुवाई में दिल्ली डेयरडेविल्स अच्छी सोच समझ और संतुलित अंदाज में आगे बढ़ी थी. लेकिन ऐन मौके पर उनकी टीम चूक गई. कोलकाता के खिलाफ फाइनल के लिए खेले गए क्वालीफाइंग मैच में दिल्ली की हार ने टूर्नामेंट में उसकी खिताबी जीत के इरादों पर पानी फेर दिया.


प्वाइंट टेबल में टॉप पर रहने की वजह से दिल्ली को एक और मौका मिला, लेकिन चेन्नई के खिलाफ भी दिल्ली की टीम हार गई. इससे पहले आईपीएल के दूसरे सीजन में भी दिल्ली ने दम दिखाया था. दिल्ली की टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी. लेकिन एडम गिलक्रिस्ट ने सेमीफाइनल में दिल्ली के गेंदबाजों की धुलाई करते हुए सिर्फ 17 गेंदों पर रिकॉर्ड अर्द्धशतक ठोककर अपनी टीम को जीता दिया था. दिल्ली के फैंस के दिल में ये कड़वी यादें अभी ताजा है.