शुक्रवार को कोलकाता में गुजरात लायंस की टीम कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ मैदान में उतरेगी. गुजरात के लिए ये लगभग आखिरी मौका है कि वो जीत हासिल करे और टूर्नामेंट की खिताबी दौड़ में बनी रहे क्योंकि अगर शुक्रवार का मैच गुजरात की टीम हार जाती है तो टूर्नामेंट से उसकी खाली हाथ विदाई लगभग तय है.


ऐसा इसलिए क्योंकि अभी गुजरात की टीम 5 में से 4 मैच हारकर प्वाइंटस टेबल में सबसे नीचे हैं. ऐसे में एक और हार का मतलब ये होगा कि उसके खाते में 6 मैच के बाद सिर्फ 2 प्वाइंट होंगे. इसके बाद भी सीजन में 8 मैच बचेंगे लेकिन मौजूदा प्रदर्शन इस तरफ इशारा कर रहा है कि गुजरात की टीम अब कोई करिश्मा नहीं कर पाएगी.


इतनी बुरी हालत क्यों हुई?


जाहिर है सबसे पहला सवाल दिमाग में यही आता है कि गुजरात की टीम की इतनी बुरी हालत कैसे हुई. सच्चाई ये है कि हार के सिलसिले की जिम्मेदारी गुजरात के गेंदबाजों को लेनी होगी. इस सीजन में अब तक खेले गए पांच में से चार मैचों में गुजरात की टीम ने 170 से ज्यादा रन बनाए हैं. आईपीएल में 170 रनों का स्कोर अच्छा स्कोर माना जाता है बावजूद इसके गुजरात की टीम हारती रही.


टॉप 10 बल्लेबाजों की लिस्ट में गुजरात के ब्रैडन मैककुलम दूसरे नंबर पर हैं. ब्रैंडन मैककुलम ने 5 मैचों में 45 की औसत से 225 रन बनाए हैं. इसमें दो अर्धशतक शामिल है. मैककुलम की स्ट्राइक रेट भी 146 से ज्यादा की है. वहीं गेंदबाजी में आलम ये है कि पहले 25 गेंदबाजों की लिस्ट खंगाल लीजिए तो गुजरात का सिर्फ एक गेंदबाज मिलेगा. ऑस्ट्रेलिया के एंड्रयू टाई ने एक मैच में हैट्रिक ली थी जिसकी बदौलत उनके खाते में 7 विकेट हैं और वो टॉप गेंदबाजों की फेहरिस्त में पांचवें नंबर पर हैं. वरना गुजरात के गेंदबाजों को लेंस लगाकर ढूंढना पड़ रहा है.


धवल कुलकर्णी, बासिल थंपी, प्रवीण कुमार और मुनाफ पटेल जैसे गेंदबाजों के भरोसे मैदान में उतर रही गुजरात की टीम को उनके गेंदबाजों ने बुरी तरह निराश किया है. स्पिनर के नाम पर शिविल कौशिक और शादाब जाकाती टीम में हैं. इन दोनों का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा है. रवींद्र जडेजा भी अब तक कोई कमाल नहीं कर पाए हैं. इसके अलावा गुजरात की टीम में जो घरेलू क्रिकेटर शामिल किए गए हैं वो भी रंग में नजर नहीं आ रहे हैं.


एक के बाद एक हार ही हार


सीजन का पहला मैच गुजरात ने कोलकाता के खिलाफ 7 अप्रैल को राजकोट में खेला था. गुजरात ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 183 रनों का स्कोर भी खड़ा किया था लेकिन गुजरात के गेंदबाजों की टोली कोलकाता की सलामी जोड़ी को ही नहीं रोक पाई. नतीजा ये हुआ कि गौतम गंभीर के 76 और क्रिस लिन के 93 रनों की बदौलत कोलकाता ने गुजरात को 10 विकेट के बड़े अंतर से हराया. कोलकाता ने ये मैच 15वें ओवर में ही जीत लिया था.


दूसरे मैच में भी हालात कुछ ऐसे ही थे. गुजरात ने पहले बल्लेबाजी की और 135 रन बनाए. इस बार उन्हें सनराइजर्स हैदराबाद ने 9 विकेट के बड़े अंतर से हराया. इस बार भी मैच में अभी 27 गेंदें फेंकी जानी बाकि थीं. सीजन के तीसरे मैच में गुजरात को पहली जीत का स्वाद मिला. पुणे के 172 रनों के लक्ष्य को गुजरात ने तीन विकेट खोकर 18 ओवर में हासिल कर लिया. ऐसा लगा कि यहां से गुजरात की टीम की किस्मत बदलनी चाहिए लेकिन मुंबई इंडियंस के खिलाफ अगले ही मैच में गुजरात फिर फिसड्डी साबित हुई.


इस बार उसने मुंबई को 177 रनों का लक्ष्य दिया जो मुंबई ने मैच की तीन गेंद पहले ही हासिल कर लिया. अब तक गुजरात के खाते में 4 में से सिर्फ 1 मैच में जीत हाथ आई थी. सीजन के पांचवे मैच में गुजरात का सामना बैंगलोर की टीम से था. बैंगलोर ने पहले बल्लेबाजी करते हुए जबरजस्त 213 रन बनाए. 214 रनों का लक्ष्य कभी भी आसान नहीं होता, गुजरात ने अच्छी कोशिश की लेकिन अच्छी कोशिश से काम नहीं बना. गुजरात की टीम 20 ओवर में 192 रन ही बना पाई और उसे 21 रनों से हार का सामना करना पड़ा.


दिलचस्पी बचेगी तो सिर्फ रैना में


शुक्रवार को अगर गुजरात हार जाती है तो सच पूछिए क्रिकेट फैंस की दिलचस्पी सिर्फ सुरेश रैना मे रहेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि सुरेश रैना फिलहाल भारतीय टीम से बाहर हैं. उन्हें सलाना करार की सूची से भी बाहर कर दिया गया है. आईपीएल के तुरंत बाद भारतीय टीम को चैंपियंस ट्रॉफी खेलना है. रैना की निगाहें आईपीएल में अच्छे प्रदर्शन के जरिए टीम में वापसी पर हैं. अभी तक खेले गए 5 मैचों में उन्होंने 159 रन बनाए हैं. एक अर्धशतक भी वो लगा चुके हैं. अगर रैना का बल्ला रंग में रहा तो शायद वो गुजरात की टीम में दिलचस्पी की इकलौती वजह होगी.