ये सच है कि आर अश्विन एक मैच विनर गेंदबाज हैं. ये भी सच है कि पिछली तमाम बड़ी जीतों में बल्लेबाजी में जो रोल विराट कोहली का रहा है गेंदबाजी में वही रोल आर अश्विन ने निभाया है. अश्विन इस वक्त दुनिया के सबसे खतरनाक ऑफ स्पिनर हैं. वो अनुभवी हैं. वनडे क्रिकेट में उनका इकॉनमी रेट 5 से कम का है. उनके खाते में 145 वनडे विकेट हैं. इन सारी काबिलियतों के बाद भी एक सवाल है जो किसी भी क्रिकेट प्रेमी के दिमाग में उठ सकता है.


वो ये सवाल किसी भी मंच पर पूछ सकता है कि क्या आर अश्विन, कप्तान विराट कोहली और कोच अनिल कुंबले के बनाए गए नियमों से भी ऊपर हैं. ये सवाल इसलिए बहुत जायज है क्योंकि बतौर कप्तान और कोच विराट कोहली और अनिल कुंबले की जोड़ी ने ये तय किया था कि कोई भी खिलाड़ी ‘फिटनेस टेस्ट’ पास किए बिना टीम में वापसी नहीं करेगा. ‘फिटनेस टेस्ट’ पास करने की परिभाषा यहां मैच खेलने से थी. इस नियम के बाद भी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए चुनी गई टीम में आर अश्विन को जगह दी गई है. जबकि आर अश्विन ने अभी तक कोई मैच खेलकर ‘फिटनेस टेस्ट’ दिया हो इसकी कोई खबर नहीं है.


बीसीसीआई की ईमेल में थी अनफिट होने की जानकारी


1 अप्रैल 2017 की सुबह सुबह बीसीसीआई ने बाकायदा एक ईमेल किया था. इस ईमेल में कई खिलाड़ियों की मेडिकल रिपोर्ट जारी की गई थी. रिपोर्ट में बताया गया कि विराट कोहली और लोकेश राहुल के कंधे में तकलीफ है. इसके अलावा रवींद्र जडेजा, मुरली विजय जैसे खिलाड़ियों की चोट की भी जानकारी उस ईमेल में दी गई थी. इसी ईमेल में जिक्र था कि आर अश्विन की ग्रोइन यानि जांघ के पीछे की मांसपेशियों में तकलीफ है इसलिए वो आईपीएल में नहीं खेल पाएंगे.


करीब 40 दिन बाद चयनकर्ताओं ने जब चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टीम चुनी तो उसमें आर अश्विन का नाम शामिल था. लिहाजा ये सवाल उठना लाजमी है कि आर अश्विन का फिटनेस टेस्ट कब हुआ? अगर उन्होंने कहीं कोई फिटनेस टेस्ट पास किया है तो उसकी जानकारी भी दी जानी चाहिए थी या अगर इंग्लैंड रवाना होने से पहले उनका फिटनेस टेस्ट किया जाएगा तो वो भी बताया जाना चाहिए. जैसा हमने पहले भी साफ किया था यहां ये बात भी ध्यान देने लायक है कि कोहली और कुंबले की ‘थ्योरी’ मैच फिट होने से थी फिटनेस टेस्ट पास करने से नहीं.


बाकि खिलाड़ियों के लिए कसौटी अलग


मोहम्मद शमी, रोहित शर्मा, शिखर धवन, भुवनेश्वर कुमार. ये कुछ ऐसे नाम हैं जो फिटनेस की वजह से टीम से बाहर थे. आईपीएल के इस सीजन में इन सभी खिलाड़ियों ने मैच खेले. पसीना बहाया. अपनी फिटनेस साबित की. उसके बाद जाकर इन्हें टीम में जगह मिली. ज्यादा समय नहीं बीता जब महेंद्र सिंह धोनी तक को झारखंड के लिए घरेलू क्रिकेट खेलकर अपनी फिटनेस साबित करनी पड़ी थी. फिटनेस के साथ साथ शिखर धवन और भुवनेश्वर कुमार तो शानदार फॉर्म में हैं.


शिखर धवन सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं. उन्होंने 12 मैचों में 450 रन बनाए हैं. उन्ही की टीम सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेल रहे भुवनेश्वर कुमार सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की लिस्ट में टॉप पर हैं. उन्होंने 12 मैचों में 23 विकेट लिए हैं. रोहित शर्मा का प्रदर्शन भी अच्छा रहा है. शुरूआती मैचों की नाकामी के बाद वो संभले और उन्होंने कुछ अच्छी पारियां खेली हैं. जाहिर है इन खिलाड़ियों ने आईपीएल के मैच खेलकर ना सिर्फ अपनी फिटनेस साबित की है बल्कि अपनी फॉर्म को भी हासिल किया है. जबकि आर अश्विन ने ऐसा कुछ नहीं किया.


आपत्ति इस बात को लेकर नहीं है कि आर अश्विन टीम के साथ इंग्लैंड क्यों जा रहे हैं? आपत्ति इस बात को लेकर है कहीं उनको ले जाकर कप्तान विराट कोहली फंस ना जाएं. चोट छुपाकर खेलने और फिर प्रदर्शन ना कर पाने के उदाहरण भारतीय क्रिकेट में पहले भी मिले हैं. ऐसे में बेहतर होता अगर आर अश्विन इंग्लैंड रवाना होने से पहले अपनी फिटनेस साबित करते. जिससे एक आम क्रिकेट प्रेमी से लेकर क्रिकेट के जानकार तक कोई भी टीम में उनकी जगह पर सवाल नहीं खड़े कर पाता. यहां तक कि इसके लिए वो आईपीएल के आखिरी कुछ मैच खेल सकते थे. उनकी टीम प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई कर चुकी है.


टीम के अनुभवी स्पिनर इमरान ताहिर भी अब साथ नहीं हैं. ऐसे में अश्विन के पास ये मौका था कि वो मैदान में उतरते, पसीना बहाते और अपने प्रदर्शन से इस सवाल का जवाब देते कि वो किस आधार पर चैंपियंस ट्रॉफी के लिए चुने गए हैं. जाहिर है उनके नाम पर कोहली और कुंबले ने भी सहमति दी होगी लेकिन सिर्फ इसी नाते इस फैसले को सही ठहराना तर्कसंगत नहीं.