पिछले मैच में शर्मनाक हार के बाद विराट कोहली की टीम एक बार फिर आज मैदान में उतरेगी. आज बैंगलोर में उसका मुकाबला सनराइजर्स हैदराबाद की टीम से होगा. बैंगलोर की टीम इस सीजन में अब तक अपने रंग में नहीं दिख रही है. अब तक खेले गए 7 मैचों में से बैंगलोर की टीम को सिर्फ 2 मैचों में जीत मिली है. प्वाइंट टेबल में बैंगलोर इस वक्त आखिरी पायदान पर है.


विराट कोहली, एबी डीविलियर्स और क्रिस गेल जैसे धुरंधर खिलाड़ियों वाली इस टीम का ये हाल किसी ने सोचा नहीं था. बतौर कप्तान विराट कोहली पर इस बात की जिम्मेदारी है कि वो अपनी टीम के मनोबल को बढ़ाए और टूर्नामेंट में टीम को जीत की पटरी पर वापस लाएं लेकिन इन सारी बातों से पहले विराट कोहली को एक काम और करना होगा. उन्हें अपनी उस आदत से छुटकारा पाना होगा जहां वो एक नए नए खिलाड़ी की तरह मैदान में गुस्सा निकालते दिखाई देते हैं.


विराट कोहली अब सिर्फ बैंगलोर की टीम के कप्तान नहीं हैं वो भारतीय टीम के कप्तान हैं, भारतीय क्रिकेट के एम्बेसडर है और इतनी जिम्मेदारियों को साथ लेकर चलने वाले खिलाड़ी में संतुलन का होना बहुत जरूरी है. मैदान पर शोर शराबा करना, गुस्सा दिखाना ये सब खिलाड़ी की छवि पर बुरा असर डालते हैं.


कोलकाता के खिलाफ मैदान में भड़क गए थे विराट


कोलकाता और बैंगलोर का मैच चल रहा था. पहली झड़प तो विराट कोहली ने तब की जब अंपायर ने गौतम गंभीर को आउट देने से पहले थोड़ा वक्त लिया. दरअसल अंपायर को शायद इस बात पर संदेह था कि विकेटकीपर ने गौतम गंभीर का कैच सही तरीके से पकड़ा है या नहीं, अभी अंपायर आपस में सलाह मश्विरा कर ही रहे थे कि विराट कोहली वहां पहुंच गए.


उन्होंने हाथ से इशारा करके अंपायरों को ये बताना शुरू कर दिया कि कैच ‘क्लीन’ है. विराट कोहली शायद ये भूल गए कि मैदान में फैसला करने का काम अंपायर का है ना कि उनका. उस वक्त उनके चेहरे के भाव दिखा रहे थे कि वो अंपायर से कितना नाराज हैं. अगर यही काम उन्होंने किसी अंतर्राष्ट्रीय मैच में किया होता तो निश्चित तौर पर वो परेशानी में पड़ जाते. खैर, बाद में अंपायर ने गौतम गंभीर को आउट दिया.


गंभीर से भी नहीं थी ऐसी उम्मीद


गौतम गंभीर ने उस मैच में जिस तरह का बर्ताव किया वो खेल भावना के तहत नहीं आता. उनके बल्ले से अच्छा खासा ‘एज’ लगा था. बावजूद इसके उन्होंने इस तरह का ‘रिएक्शन’ दिया जैसे उन्हें गेंद के बल्ले से छूने का पता हीं नहीं चला. शायद वो ये भी दिखाना चाह रहे थे कि गेंद ने उनकी कोहनी के ऊपर के हिस्से को छुआ है. आज की तारीख में इतने ‘कैमरा एंगल’ मौजूद हैं कि अंपायर को भ्रम की स्थिति में मदद मिल जाती है.


जो उस मैच में भी हुआ. रीप्ले देखने के बाद उन्हें आउट करार दिया गया. क्रिकेट में इस बात पर काफी समय से बहस होती रही है कि आउट होने की सूरत में बल्लेबाज को ‘वॉक’ करना चाहिए या नहीं लेकिन अब ज्यादातर मौकों पर अगर बल्लेबाज आउट है तो तीसरे अंपायर को पता चल ही जाता है. हालांकि गंभीर को फिर भी ‘बेनेफिट ऑफ डाउट’ दिया जा सकता है कि उन्हें ‘एज’ का पता नहीं चला. लेकिन विराट कोहली ने इसी मैच में एक बार फिर वही हरकत की.


आउट होने के बाद फिर बिफरे विराट कोहली

कोलकाता के खिलाफ मैच में विराट कोहली बिना खाता खोले आउट हो गए. नाथन क्वॉलटर नाइन ने विराट कोहली को कैच आउट कराया. इसके बाद तो डग आउट में पहुंच कर विराट कोहली ने अपना गुस्सा, अपनी झुंझलाहट बल्ले और हेलमेट पर उतारी. जिस बल्ले से विराट कोहली ने दर्जनों शतक बनाए हैं विराट ने उस पर भी गुस्सा दिखाया.


उसके बाद उन्होंने फील्ड स्टाफ को बुलाया. फील्ड स्टाफ पर अपनी नाराजगी जाहिर की. दरअसल विराट कोहली को ‘साइडस्क्रीन’ से परेशानी थी. विराट कोहली ने बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बात कही भी कि वो ‘साइडस्क्रीन’ से खुश नहीं थे. विराट कोहली चाहते तो मैच के बीच में ही इस बारे में अंपायर से शिकायत कर सकते थे. गेंदबाज को रोक सकते थे. मैदान में चीखने चिल्लाने की बजाए ये बातें बेहतर विकल्प थीं. दरअसल सच ये है कि ये विराट कोहली की झुंझलाहट थी.


एक छोटे स्कोर को ‘चेज’ करने की नाकाम होती दिख रही कोशिश का गुस्सा था. आपको याद दिला दें कि उस मैच में विराट कोहली की पूरी टीम सिर्फ 49 रन बनाकर आउट हो गई. जो आईपीएल इतिहास का सबसे छोटा स्कोर है. बैंगलोर का कोई भी बल्लेबाज दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाया. ऐसा भी आईपीएल में पहली बार ही हुआ है.


और अंत में...


विराट को ये किस्सा शायद नहीं पता होगा. हरभजन सिंह की आदत थी कि वो नाराजगी में कई बार गेंद को पैर से मार देते थे. एक बार सचिन तेंडुलकर को इस बात पर गुस्सा आ गया. उन्होंने हरभजन सिंह को बुलाकर डांट लगाई. सचिन ने कहाकि ये गेंद ही है जिसकी वजह से पूरी दुनिया में हरभजन सिंह का नाम है. उन्हें गेंद को हमेशा इज्जत देनी चाहिए. उसके बाद हरभजन सिंह ने अपनी आदत में सुधार किया.