बहुत कम ही ऐसा होता है जब एक बड़ी सीरीज के नतीजे पर एक गेंदबाज का असर अलग से ही दिखाई दे जाए. न्यूज़ीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में यही बात देखने को मिली. मोहम्मद शमी की गेंदबाजी वनडे सीरीज में अलग ही दिखाई दी. जसप्रीत बुमराह की गैरमौजूदगी में उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. अहम मौकों पर विकेट लिए. टीम की जीत में जमकर योगदान दिया. मोहम्मद शमी ने पांच वनडे मैचों की सीरीज में चार मैच खेले. इन चार मैचों में उन्होंने 4.75 की इकॉनमी से 9 विकेट लिए. वनडे फॉर्मेट में 4.75 की इकॉनमी बताती है कि गेंदबाज ने विरोधी टीम के बल्लेबाजों को किस तरह काबू में रखा था. इसी शानदार प्रदर्शन के लिए मोहम्मद शमी को वनडे सीरीज में प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया.

मोहम्मद शमी के इस शानदार फॉर्म की झलक इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ  टेस्ट और वनडे सीरीज में भी दिखाई दी थी. न्यूज़ीलैंड के खिलाफ आखिरी वनडे में मिली जीत में भी मोहम्मद शमी का बड़ा योगदान रहा. 18 रन पर चार विकेट गंवाने के बाद भारतीय बल्लेबाजी को संभालने का श्रेय अगर अंबाती रायडू को जाता है तो सिर्फ 253 रनों के लक्ष्य को ‘डिफेंड’ करने का श्रेय मोहम्मद शमी को जाता है.

बल्लेबाजी के लिए आसान पिच पर दिखाया जलवा
मैच के बाद रोहित शर्मा ने खुद ही कहा कि इस पिच पर 253 रनों का स्कोर कुछ भी नहीं था. ऐसा इसलिए क्योंकि मैच शुरू होने के बाद धीरे धीरे बल्लेबाजी आसान होती चली गई. टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी के फैसले के पीछे सिर्फ और सिर्फ ये संदेश देना था कि पिछले मैच की हार से टीम इंडिया बैकफुट पर नहीं है. खैर, 253 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी न्यूज़ीलैंड की टीम ने नहीं सोचा होगा कि उनके लिए ये लक्ष्य भी मुश्किल हो जाएगा. ये कारनामा मोहम्मद शमी की गेंदबाजी का है. उन्होंने सबसे पहले हेनरी निकोलस को छोटी गेंद पर चकमा दिया. 140 किलोमीटर से ज्यादा की रफ्तार वाली गेंद को निकोलस गलत तरीके से खेल गए. केदार जाधव ने शॉर्ट मिडविकेट पर कोई गलती नहीं की. उन्हें इसीलिए वहां लगाया भी गया था.

छोटे लक्ष्य पर जीत हासिल करने के लिए न्यूजीलैंड को साझेदारी की जरूरत थी. जिसे शमी ने जमने ही नहीं दिया. इस बार उन्होंने कॉलिन मुनरो को अपनी छोटी गेंद का शिकार बनाया. कॉलिन मुनरो बाहर जाती गेंद को कट करने की कोशिश में उसे अपने स्टंप पर ही खेल गए. अब न्यूजीलैंड का स्कोर हो गया 37 रन पर 2 विकेट. दोनों सलामी बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे. इन दो विकेट के अलावा शमी की किफायत पर भी बात होनी चाहिए. उन्होंने इस मैच में 30 ‘डॉट’ गेंद फेंकी.  इसके अलावा उनका इकॉनमी रेट रहा- 4.37. शमी ने इस मैच में दो अच्छे कैच भी लपके. मिचेल सैंटनर और ट्रेंट बोल्ट का कैच शमी ने ही लपका.

मुश्किल परिस्थितयों से निकले हैं शमी
पिछला साल शमी के लिए व्यक्तिगत तौर पर अच्छा नहीं रहा था. उनकी पत्नी के साथ हुए विवादों में बात बहुत बढ़ गई थी. उनकी पत्नी ने शमी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. उन आरोपों से बरी होकर मोहम्मद शमी जब मैदान में उतरे तो उन पर निश्चित तौर पर दबाव रहा होगा. इसी दौरान बीसीसीआई के योयो टेस्ट में भी मोहम्मद शमी फेल हो गए. उन्होंने जमकर प्रैक्टिस की. अपनी फिटनेस पर काम किया. मुश्किल परिस्थितियों में सिर्फ अपनी गेंदबाजी पर ‘फोकस’ किया. रफ्तार के साथ गेंद को अंदर लाने की उनकी काबिलियत ने उन्हें उपयोगी बनाए रखा.

टेस्ट क्रिकेट में वो लगातार शानदार गेंदबाजी करते रहे. इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उन्होंने 5 टेस्ट मैच में 16 विकेट लिए. उनका इकॉनमी रेट 3.60 का था. ऑस्ट्रेलिया में 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में उनकी शानदार फॉर्म जारी रही. कंगारुओं के खिलाफ भी उन्होंने 3.06 की इकॉनमी से 4 टेस्ट मैचों में 16 विकेट लिए. जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी निश्चित तौर पर इस वक्त विश्व क्रिकेट में तेज गेंदबाजी के स्टार हैं.