एशिया कप में दूसरी बार हुआ जब कमजोर टीम के खिलाफ भारतीय टीम और उसके फैंस की सांसे थम गईं. ऐसा लगा कि मैच हाथ से निकलने वाला है. एक बार तो गिरते पड़ते जीत मिल गई. दूसरी बार ‘टाई’ से संतोष करना पड़ा. ये दोनों मैच भारत ने हॉंगकॉंग और अफगानिस्तान जैसी अपेक्षाकृत कमजोर टीम के खिलाफ खेले थे.

मंगलवार को अफगानिस्तान के खिलाफ भारतीय टीम को जीत के लिए 50 ओवर में 253 रन चाहिए थे. लेकिन भारतीय टीम 252 रन पर ही सिमट गई. मैच की आखिरी गेंद फेंकी जानी अभी बाकि थी. मैच देख रहे भारतीय फैंस ने सर पीट लिया जब उन्होंने देखा कि आखिरी के दो ओवरों में किस तरह भारतीय टीम ने तीन विकेट गंवाए और अफगानिस्तान को ‘टाई’ का मौका दिया.

यूं तो इस मैच में ‘टाई’ का भारतीय टीम के सफर पर कोई असर नहीं पड़ने वाला क्योंकि 28 तारीख को होने वाले फाइनल में उसकी जगह पक्की है. लेकिन सवाल ये है कि फाइनल मैच से पहले एक साथ इतने प्रयोग की जरूरत क्या थी? आपको बता दें कि अफगानिस्तान मैच में भारतीय टीम ने अपने बेंचस्ट्रेंथ को परखने के लिए टीम में एक साथ 5 बदलाव किए थे.

एशिया कप में कप्तानी कर रहे रोहित शर्मा, शिखर धवन, भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह और यजुवेंद्र चहल इन सभी खिलाड़ियों को आराम दिया गया था, जिसने मैदान में नींद उड़ा कर रख दी. जिसका नतीजा ये हुआ कि भारतीय पारी में तीन बल्लेबाज रन आउट हुए और अफगानिस्तान को बार बार मैच में वापसी करने का मौका मिला. मंगलवार के मैच में कप्तानी का ज़िम्मा महेंद्र सिंह धोनी ने संभाला था.

स्पिनर्स के खिलाफ लड़खड़ाई भारतीय टीम
जिस भारतीय टीम को पारंपरिक तौर पर स्पिन के खिलाफ अच्छी बल्लेबाजी करने वाली टीम समझा जाता था उसी टीम की हालत पिछले कुछ समय में स्पिनर्स के खिलाफ खराब रही है. एशिया कप में अफगानिस्तान की टीम के प्लेइंग 11 में फुलटाइम और पार्टटाइम स्पिनर्स को मिलाकर करीब आधा दर्जन खिलाड़ी होते हैं. एशिया कप में अफगानिस्तान ने दूसरी टीमों को भी काफी परेशान किया है. राशिद खान की अगुवाई में अफगानिस्तान के स्पिन गेंदबाजों ने भारतीय टीम को भी खूब परेशान किया. राशिद खान और मोहम्मद नबी ने 2-2 विकेट लिए.

पिछले पांच मैच में भारतीय टीम के 20 से ज्यादा विकेट स्पिन गेंदबाजों ने लिए हैं. इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ भारतीय बल्लेबाजों की रणनीति कैसी रही है. इससे पहले अफगानिस्तान के सलामी बल्लेबाज मोहम्मद शहजाद ने भी खासा प्रभावित किया. उन्होंने 116 गेंद पर 124 रनों की धमाकेदार पारी खेली. जिसमें 11 चौके और 7 छक्के शामिल थे. जो ये बताने के लिए काफी हैं कि भारतीय गेंदबाजों को उन्होंने किस बेखौफ अंदाज में खेला. निचले क्रम में मोहम्मद नबी ने भी शानदार अर्धशतक लगाया. भारतीय टीम की अपरिपक्व गेंदबाजी इन दोनों बल्लेबाजों को परेशान करने में बिल्कुल बेअसर दिखी.

बेवजह इतने प्रयोग की ज़रूरत क्या है ?
इस सवाल का जवाब भारतीय टीम मैनेजमेंट को देना चाहिए? कहावत है कि दूध का जला छाछ भी फूँक फूँक कर पीता है लेकिन टीम इंडिया ने सबक नहीं लिया. हॉगकॉग के ख़िलाफ़ भारतीय टीम ने कई खिलाड़ियों को आराम दिया था. जिसका नतीजा ये हुआ कि हॉगकॉंग की टीम ने टीम इंडिया के पसीने छुड़ा दिए. बाज़ी वहाँ भी पलट सकती थी. बस वहाँ हॉंगकॉग की टीम की अनुभवहीनता आड़े आ गई.

अफगानिस्तान ने भारत के ख़िलाफ़ उसी अनुभवहीनता को आड़े नहीं आने दिया. टीम इंडिया ने वनडे क्रिकेट के इतिहास में क़रीब आधा दर्जन ‘टाई’ मैच खेले हैं. जिसमें से इस मैच की यादें कड़वी रहेंगी. फाइनल मैच से पहले टीम इंडिया का ये प्रदर्शन उनके हौसले और इरादे के लिहाज से किसी हाल में सकारात्मक नहीं कहा जा सकता है.