ये भारतीय गेंदबाज ही तो हैं जो पिछले दो साल से उसकी कामयाबी का डंका बजा रहे हैं. टेस्ट क्रिकेट से लेकर वनडे फॉर्मेट तक इन गेंदबाजों ने विरोधी टीम के बल्लेबाजों की नाक में दम कर दिया है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा वनडे सीरीज के पहले दोनों मैच भी भारतीय गेंदबाजों की बदौलत हमारी झोली में आए. पिछले वनडे में तो आखिरी ओवरों में भारतीय गेंदबाजों ने बाजी पलट दी. विजय शंकर के करिश्माई ओवर के अलावा भी आखिरी के ओवरों में लाजवाब गेंदबाजी हुई.
अब तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार भी तरोताजा होकर टीम के साथ जुड़ गए हैं. उन्हें शुरूआती मैचों में ‘रेस्ट’ दिया गया था. जाहिर है 2-0 की बढ़त ले चुकी टीम इंडिया की पूरी कोशिश है कि शुक्रवार का मैच जीतकर सीरीज को कब्जे में किया जाए. जिससे अगर बाकि दो मैचों में टीम मैनेजमेंट और खिलाड़ियों को आजमाना चाहे तो आजमा सके. 2019 विश्व कप के मद्देनजर टीम में कई तरह के ‘एडजस्टमेंट’ चल रहे हैं. भारतीय टीम की इस कामयाबी में ये पहलू भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि पिछले कुछ मैचों से भारतीय टीम अपनी ‘फुलस्ट्रेंथ’ से मैदान में नहीं उतरी है. बावजूद इसके गेंदबाजों ने हालात को बखूबी संभाला है.
पूरी टीम को समेटने में महारत हासिल
पिछले 10 मैचों को याद कीजिए. आप दो बातें देखेंगे. एक तो भारतीय गेंदबाज विरोधी टीम को बड़ी मुश्किल से ढाई सौ रनों का आंकड़ा पार करने देते हैं. इसके अलावा अब भारतीय गेंदबाज विरोधी टीम को ऑल आउट करने की रणनीति के साथ मैदान में उतरते हैं. पिछले मैच में भारतीय गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलिया को 242 रनों पर समेट दिया. इसके पहले वाले मैच में कंगारुओं ने 50 ओवर में 236 रन बनाए थे. इससे पहले न्यूज़ीलैंड दौरे पर भारतीय गेंदबाजों ने पहले मैच में कीवियों को 157 रन पर ऑल आउट कर दिया था.
दूसरे मैच में न्यूजीलैंड की पूरी टीम 234 रन ही बना पाई. तीसरे मैच में 243 रनों पर पूरी न्यूजीलैंड की टीम सिमट गई. चौथे वनडे में टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था. आखिरी वनडे में भी न्यूज़ीलैंड 217 रनों पर ऑल आउट हो गई थी. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर भी तीन वनडे मैचों की सीरीज के तीसरे मैच में भारतीय गेंदबाजों ने पूरी टीम को 230 रनों पर समेट दिया था. पिछले दस मैचों में से 6 मैच ऐसे हैं जब भारतीय गेंदबाजों ने विरोधी टीम को पचास ओवर के मैच में ऑल आउट किया है. ध्यान रखने वाली बात है कि ये ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की टीमों के खिलाफ भारतीय गेंदबाजों के आंकड़े हैं.
पेसर्स और स्पिनर्स दोनों एक से बढ़कर एक
इस कामयाबी का श्रेय तेज गेंदबाजों और स्पिनर्स दोनों को जाता है. पिछले एक साल के आंकड़े इस बात को साबित करते हैं. अभी हम सिर्फ टीम इंडिया के फ्रंटलाइन या कहें कि स्पेशलिस्ट गेंदबाजों का जिक्र कर लेते हैं. कुलदीप यादव ने तो धमाल मचा रखा है. उन्होंने पिछले एक साल में खेले गए 21 मैचों में 43 विकेट झटके हैं. उनके जोड़ीदार यजुवेंद्र चहल ने पिछले एक साल में 17 मैच खेले हैं. इसमें उन्होंने 28 विकेट लिए हैं. भुवनेश्वर कुमार ने पिछले एक साल में 17 मैच में 24 विकट लिए हैं. मोहम्मद शामी ने पिछले एक साल में 11 वनडे मैच खेले हैं. जिसमें उनके खाते में 19 विकेट हैं.
जसप्रीत बुमराह ने पिछले एक साल में 9 मैच में 18 विकेट अपने नाम किए हैं. बतौर ऑलराउंडर टीम की पहली पसंद हार्दिक पांड्या ने बीते 12 महीने में 7 मैच ही खेले हैं. जिसमें पांच विकेट उनके नाम हैं. फिलहाल वो अनफिट हैं. इन नियमित गेंदबाजों के अलावा केदार जाधव, रवींद्र जडेजा और विजय शंकर जैसे गेंदबाज भी हैं जो मौके पर अपने कप्तान की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं. जाहिर है अब वो वक्त आ गया है कि जब टीम इंडिया की जीत का श्रेय बल्लेबाजों से ज्यादा गेंदबाजों की झोली में जाता दिखाई दे रहा है.
BLOG: गेंदबाजों की कामयाबी में कैसे छुपी है टीम इंडिया की जीत
शिवेन्द्र कुमार सिंह, वरिष्ठ खेल पत्रकार
Updated at:
07 Mar 2019 09:29 PM (IST)
ये भारतीय गेंदबाज ही तो हैं जो पिछले दो साल से उसकी कामयाबी का डंका बजा रहे हैं. टेस्ट क्रिकेट से लेकर वनडे फॉर्मेट तक इन गेंदबाजों ने विरोधी टीम के बल्लेबाजों की नाक में दम कर दिया है.
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