एडिलेड टेस्ट में एक अलग कंगारूओं की टीम दिख रही है. ये टीम डरी हुई है. ये टीम ऑस्ट्रेलिया की परंपरागत क्रिकेट से अलग क्रिकेट खेल रही है. ये टीम जीतने के लिए नहीं बल्कि ना हारने के लिए खेल रही है. 88 ओवर में 191 रन का स्कोर ही कंगारूओं के इस डर को बता रहा है. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाजी की लेकिन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ‘बैकफुट’ पर हैं. ये बात सिर्फ भारतीय मीडिया या भारतीय फैंस नहीं कह रहे हैं बल्कि ऑस्ट्रेलिया में भी इस बात पर चर्चा हो रही है.

एडिलेड टेस्ट के दूसरे दिन कॉमेंट्री के दौरान लगातार इस बात पर चर्चा होती रही कि क्या ये उसी ऑस्ट्रेलियाई टीम के बल्लेबाज हैं जिसका एक वक्त पर विश्व क्रिकेट पर रूतबा हुआ करता था. बहुत पुराने इतिहास में ना भी जाएं तो रिकी पॉन्टिंग, मैथ्यू हेडेन, एडम गिलक्रिस्ट, जस्टिन लैंगर, माइकल क्लार्क, माइकल हसी जैसे बल्लेबाजों की सोच से मौजूदा बल्लेबाजों की सोच 360 डिग्री अलग दिखाई दे रही है. अफसोस इस बात का भी है कि अगर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज इस तरह की सुस्त और रक्षात्मक बल्लेबाजी चौथी पारी में कर रहे होते तो फिर भी ठीक था.

पहली पारी में बल्लेबाजी का ये नजरिया और सोच बहुत नकारात्मक है. भारत ऑस्ट्रेलिया के बीच दिलचस्प लड़ाई देखने की उम्मीद से टीवी पर नजर गड़ाए क्रिकेट फैंस को पूरे मैच में स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर की कमी खलती रही. आपको याद दिला दें कि ये दोनों बल्लेबाज गेंद के साथ छेड़छाड़ करके आरोप में प्रतिबंध झेल रहे हैं.

भारत के 250 रनों का कंगारुओं ने कैसे दिया जवाब
इस बात को ऐसे समझिए कि चेतेश्वर पुजारा धीमी बल्लेबाजी करते हैं. उन्होंने इस टेस्ट मैच में 50 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए. उन्होंने 246 गेंदों पर 123 रन बनाए. दिलचस्प बात ये है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम में किसी भी बल्लेबाज ने पचास के स्ट्राइक रेट को नहीं छुआ. जो ऑस्ट्रेलियाई टीम एक दिन के खेल में 350 रनों का जोड़ने का लक्ष्य लेकर मैदान में उतरती थी उसके मौजूदा बल्लेबाजों में सबसे अच्छी 45 की स्ट्राइक रेट मार्कस हैरिस की है, जिन्होंने 57 गेंद पर 26 रन बनाए.

ऑस्ट्रेलिया के चार बल्लेबाज तो दहाई के आंकड़े को पार ही नहीं कर पाए. अति रक्षात्मक बल्लेबाजी उन्हें ले डूबी. ट्रैविस हेड ने बाद में थोड़ी सामान्य बल्लेबाजी की. जिसकी वजह से उन्हें कुछ रन भी मिले. वो अब तक 149 गेंद पर 61 रन बनाकर क्रीज पर डटे हुए हैं. ऑस्ट्रेलिया की टीम पहली पारी में कहां तक पहुंचेगी ये बात ट्रैविस हेड की बल्लेबाजी पर ही निर्भर करती है. उन्हें छोड़ दिया जाए तो कंगारुओं के पुछल्ले बल्लेबाज ही पवेलियन में बचे हैं.

भारतीय गेंदबाजों ने बल्लेबाजों की अति रक्षात्मकता का फायदा उठाया
चूंकि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज रन नहीं बना रहे थे इसलिए विकेट गिरते ही उनका दबाव में आना स्वाभाविक है. जिस तरह के गलत और लापरवाही भरे शॉट्स खेलकर भारतीय बल्लेबाजों ने विकेट खोया कंगारुओं की तरफ से भी वैसी ही बल्लेबाजी देखने को मिलेगी. जिसकी शुरूआत एरॉन फिंच ने की थी. जिन्होंने बाहर जाती गेंद के साथ जबरदस्ती छेड़छाड़ करने की कोशिश में पहले ही ओवर में विकेट खो दिया. इसके बाद ईशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह और आर अश्विन ने सूझबूझ भरी गेंदबाजी की.

कुछ तो उन्होंने कसी गेंदबाजी की और कुछ ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज रन बनाने के मूड में नहीं दिख रहे थे. ऐसे में जैसे ही लंच के बाद दो विकेट गिरे ऑस्ट्रेलियाई टीम दबाव में दिखने लगी. उसके बल्लेबाजों ने खुलकर बल्ला चलाया ही नहीं. लंच के बाद आर अश्विन ने अपनी गेंदबाजी में भी बदलाव किया. उन्होंने टॉप स्पिन फेंकना शुरू किया. पहले वो साइड स्पिन कर रहे थे. इसका फायदा आर अश्विन को मिला. रफ्तार से ‘वेरिएशन’ तो आर अश्विन करते ही हैं. वो अब तक 33 ओवर में 50 रन देकर 3 विकेट झटक चुके हैं. जसप्रीत बुमराह की लाइन लेंथ भी अच्छी थी. उन्होंने और ईशांत ने अब तक 2-2 विकेट लिए हैं. तीसरे दिन इस टोली को पुछल्ले बल्लेबाजों को टिकने से रोकना है.