ओवल टेस्ट मैच के आखिरी दिन अगर आपने थोड़ी देर के लिए टीम इंडिया को बल्लेबाजी करते देख लिया होता तो आप भ्रम में पड़ जाते. यकीन मानिए आपके लिए ये तय कर पाना मुश्किल होता कि ये टेस्ट सीरीज चल रही है या वनडे. गेंद का रंग और खिलाड़ियों की पोशाक देखकर आप यकीन करने की स्थिति में आते कि ये टेस्ट मैच है तब तक एक खतरनाक किस्म का चौका या छक्का आपको फिर से भ्रम में डाल देता.


टीम इंडिया के प्रदर्शन पर ये व्यंग कतई नहीं है. यही सच है. जिसे करोड़ो हिंदुस्तानियों ने मंगलवार को टीवी सेट्स पर देखा. एक तरफ से केएल राहुल और दूसरी तरफ से ऋषभ पंत. दोनों ने मिलकर इंग्लैंड के गेंदबाजों के छक्के छुड़ा दिए. इंग्लैंड के फील्डर्स के पसीने बहा दिए. अंपायर्स हर ओवर में चौके छक्के का इशारा कर-करके थक से गए. दर्शकों का भी पैसा वसूल हुआ. दोनों बल्लेबाजों ने सीरीज में अपना अपना पहला शतक भी जमा लिया.

इन सारी तथाकथित उपलब्धियों के बाद भी नतीजा क्या हुआ वो भी सबने देखा. इंग्लैंड ने ओवल टेस्ट में भारत को 118 रनों से हराया. टेस्ट सीरीज पर 4-1 से कब्जा किया. साथ ही साथ विराट कोहली की अगुवाई वाली दुनिया की नंबर एक टीम को ये संदेश देकर विदा किया कि जीतने के लिए टीम बनकर खेलना होता है. व्यक्तिगत प्रदर्शन के लिए कई दूसरे खेल हैं. टीम इंडिया के पास ये संदेश कब तक पहुंचेगा और कब वो उसे अमल में लाएगी ये कहना मुश्किल है.

फिलहाल आप तय कर लीजिए कि आप किस बात को याद रखना चाहेंगे, केएल राहुल और पंत के शतक को या फिर जिस सीरीज की शुरूआत में जीत का दावा था उसमें 4-1 की शर्मनाक हार को?

क्या अपनी अपनी जगह बचाने के लिए खेले राहुल और पंत
आज नहीं तो कल ये सवाल जरूर उठेगा. ओवल टेस्ट मैच की आखिरी पारी से पहले केएल राहुल ने पूरी सीरीज में बुरी तरह निराश किया था. उन्होंने 9 पारियों में कुल जमा 150 रन बनाए थे. उन्हें पता था कि इस प्रदर्शन के आधार पर उन्हें अगली सीरीज के लिए टीम में जगह नहीं मिलेगी. ओवल टेस्ट की दूसरी पारी में 464 रनों का लक्ष्य सामने था. विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे आउट हो चुके थे. यानी जीत दिलाने की बात सपने में भी सोचना बेकार था.

केएल राहुल ने सोचा होगा कि जिस मैच में जीत की उम्मीद कोई कर ही नहीं रहा उस मैच में ‘रिस्क’ लेकर खेल लिया जाए. उनका ये रिस्क काम कर गया. बल्ला चल गया तो उन्होंने सिर्फ 118 गेंद पर शतक जड़ दिया. इसमें 16 चौके और 1 छक्का शामिल था. जो बताता है कि वो किस दर्जे की ‘टेस्ट इनिंग’ खेल रहे थे.

उनसे दो कदम आगे निकल गए ऋषभ पंत. ऋषभ पंत का खून तो और ज्यादा गर्म है. उन्होंने तो 117 गेंद पर ही अपना शतक ठोंक दिया. टेस्ट करियर का पहला शतक. 14 चौके और 3 छक्के के साथ. यानी उन्होंने 70 से ज्यादा रन चौके छक्के से बनाए. ऋषभ पंत भी जान चुके हैं कि भले ही उन्होंने इस सीरीज में तमाम कैच लपके हैं लेकिन जिस तरह से वो कीपिंग कर रहे थे उसमें बचकानापन झलक रहा था. पहले टेस्ट में तो बात समझ नहीं आई लेकिन धीरे धीरे दिखने लगा कि वो गेंद की कूद रहे हैं.

टेस्ट मैच ड्रॉ कराने की क्यों नहीं सोची
केएल राहुल और ऋषभ पंत का यही शतक इतिहास में दर्ज हो सकता था. इन दोनों बल्लेबाजों को गजब का सम्मान दिला सकता था. बशर्ते इनके नजरिए में वो बात होती. टेस्ट मैच के आखिरी दिन जब चाय का समय हुआ तब भारत का स्कोर था 5 विकेट पर 298 रन. केएल राहुल और ऋषभ पंत दोनों अपने अपने शतक लगा चुके थे. बावजूद इसके जीत के बारे में सोचना दूर दूर तक संभव नहीं था.

हां, ये जरूर संभव था कि दोनों बल्लेबाज तय करते कि तीसरे सेशन में वो क्रीज पर वक्त बिताएंगे. कोशिश करेंगे कि मैच को ड्रॉ की तरफ ले जाया जाए. इन दोनों बल्लेबाजों ने 464 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए अगर अपनी टीम के लिए अगर ये टेस्ट मैच ड्रॉ भी करा लिया होता तो इनके शतकों में स्वाद आ जाता. अभी तो इन दोनों बल्लेबाजों के शतक फीके हैं. बेजान हैं. बावजूद इसके कुछ औपचारिकताएं तो निभानी ही पड़ती हैं इसलिए केएल राहुल और ऋषभ पंत आप दोनों को आपके ताबड़तोड़ शतक की बधाई.