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BLOG: सिडनी टेस्ट के दूसरे ही दिन कैसे लग गई सीरीज जीतने पर मोहर
यूं तो टेस्ट क्रिकेट में सेशन दर सेशन खेल बदलता रहता है. मैच के दूसरे ही दिन कोई अनुमान लगाना ज्यादातर मौकों पर संभव नहीं होगा. कयास जरूर लगाए जा सकते हैं लेकिन ऐसे कयास अक्सर गलत साबित हो जाते हैं.
यूं तो टेस्ट क्रिकेट में सेशन दर सेशन खेल बदलता रहता है. मैच के दूसरे ही दिन कोई अनुमान लगाना ज्यादातर मौकों पर संभव नहीं होगा. कयास जरूर लगाए जा सकते हैं लेकिन ऐसे कयास अक्सर गलत साबित हो जाते हैं. दिलचस्प बात ये है कि सिडनी में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रहे चौथे और आखिरी टेस्ट मैच में दो दिन के खेल के बाद ही ये बात कही जा सकती है कि अब भारतीय टीम ये मैच हार नहीं सकती.
टेस्ट मैच में किसी भी टीम के लिए नतीजे के लिहाज से जीत, हार या ड्रॉ का विकल्प होता है. भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खुशी की बात ये है कि अब तीन में से दो विकल्प ही बाकि रह गए हैं. अब या तो ऑस्ट्रेलिया की हार होगी या फिर मैच ड्रॉ होगा. दोनों ही सूरत में भारतीय टीम अपने टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक सुनहरा पन्ना जोडेगी. 1932 से लेकर अभी तक भारत ने ऑस्ट्रेलिया में कभी टेस्ट सीरीज जीती नहीं है. सीरीज में 2-1 की बढ़त ले चुकी भारतीय टीम का इस सीरीज को जीतना अब तय है. यूं तो क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है लेकिन अब कोई अनिश्चितता भी इस नतीजे को बदलेगी इसकी संभावना नहीं है.
किस मोड़ पर है सिडनी टेस्ट मैच
सिडनी टेस्ट मैच में भारतीय टीम ने पहली पारी 7 विकेट पर 622 रन बनाकर डिक्लेयर की है. इसमें चेतेश्वर पुजारा और ऋषभ पंत का शानदार शतक और मयंक अग्रवाल और रवींद्र जडेजा का अर्धशतक शामिल है. पुजारा ने 193, पंत ने नॉट आउट 159, मयंक अग्रवाल ने 77 और रवींद्र जडेजा ने 81 रन बनाए हैं. मैच के दूसरे दिन का खेल खत्म होने से पहले भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 10 ओवर बल्लेबाजी भी कराई. इन 10 ओवरों में कंगारुओं ने बिना किसी नुकसान के 24 रन बना लिए हैं. बावजूद इसके अभी तीन दिन का खेल बाकि है.
मैच बचाने के लिए ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को ढाई सौ ओवर से ज्यादा क्रीज पर टिकना होगा. फिलहाल ये बहुत मुश्किल लगता है. कंगारूओं के लिए मैच जीतने की सोचना भी बेकार है क्योंकि उसके लिए उसे 800 रन बनाने होंगे और तब भारतीय टीम को बल्लेबाजी के लिए उतारना होगा. भूलना नहीं चाहिए कि अगर एक सेकेंड के लिए ये स्थिति मान भी ली जाए तो चौथी पारी में बल्लेबाजी का दबाव कंगारुओं पर ही होगा. इसलिए मैच जीतने की सोचना तो बेकार है. अलबत्ता ये जरूर हो सकता है कि कुछ ऐसी उम्मीद की जाए कि बारिश कंगारुओं को बचा ले. फिलहाल उसके आसार भी नहीं हैं.
क्यों 3 दिन नहीं टिक पाएगी कंगारुओं की टीम
इस सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की हालत खराब है. एडिलेड टेस्ट मैच में जिस खौफ के साथ वो मैदान में उतरे थे वो खौफ अब भी उनके चेहरों पर है. इस सीरीज में अभी तक खेले गए तीन टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी के आंकड़ों पर गौर करें तो ये बात साफ हो जाती है कि कंगारुओं पर हार का कितना बड़ा खतरा मंडरा रहा है. एडिलेड टेस्ट में कंगारुओं ने पहली पारी में 98.4 ओवर में 235 रन बनाए. दूसरी पारी में उन्होंने 119.5 ओवर में 291 रन बनाए. भारत ने उस टेस्ट मैच में जीत दर्ज की.
इसके बाद पर्थ में जो टेस्ट मैच कंगारुओं ने जीता उसमें भी पहली पारी में 108.3 ओवर में 326 रन और दूसरी पारी में 93.2 ओवर में 243 रन बनाए. तीसरे यानी मेलबर्न टेस्ट मैच में पहली पारी में 66.5 ओवर में 151 रन और दूसरी पारी में 89.3 ओवर 261 रन कंगारुओं ने बनाए थे. यानी अब तक इस सीरीज में सबसे ज्यादा 119 ओवर तक कंगारुओं ने क्रीज पर डेरा डाला है. साथ ही सिर्फ एक बार उसके बल्लेबाजों ने 300 रनों से पार का स्कोर जोड़ा है. अब जरा सिडनी टेस्ट मैच में भारत का स्कोर यानी 622 रनों का आंकड़ा याद कर लीजिए. आप खुद समझ जाएंगे कि आखिर क्यों भारतीय टीम का इतिहास रचना तय है. भूलिएगा नहीं इस टेस्ट मैच में विराट कोहली दो दो स्पिनर के साथ मैदान में उतरे हैं.
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