कहावत बड़ी मशहूर है कि नकल करने के लिए भी अकल चाहिए होती है. क्रिकेट के खेल में तो नकल करने के लिए अकल के साथ साथ हिम्मत की भी जरूरत है. विदेशी पिचों पर यही हिम्मत विराट कोहली दिखाते हैं. आपने नोटिस किया होगा कि वो बल्लेबाजी क्रीज से थोड़ा आगे खड़े होकर खेलते हैं. विदेश की पिचें भारतीय पिचों के मुकाबले तेज और उछाल भरी होती हैं. बावजूद इसके आगे खड़े होकर बल्लेबाजी करने में विराट कोहली डरते नहीं. उनका ये आत्मविश्वास कई बार गेंदबाजों को ‘बैकफुट’ पर ढकेलने के लिए काफी होता है.


हाल के दिनों में पूरी दुनिया ने ये बात देखी और महसूस की है बड़े से बड़ा गेंदबाज विराट कोहली के खिलाफ गेंदबाजी करते समय सतर्क रहता है. दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के दौरे में विराट कोहली को छोड़कर टीम इंडिया के बाकि बल्लेबाजों ने निराश ही किया था. अब अगर ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज के दौरान अच्छा प्रदर्शन करना है तो टीम के बाकी बल्लेबाजों को अपने कप्तान की ‘स्टाइल कॉपी’ करनी होगी. उन्हें अपनी तकनीक में बदलाव करने के अलावा हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ बल्लेबाजी करनी होगी. आइए सबसे पहले आपको बताते हैं क्रीज से थोड़ा आगे खड़े होकर बल्लेबाजी करने के तकनीकी फायदे क्या क्या हैं और इसका विराट कोहली के प्रदर्शन पर कितना सकारात्मक असर पड़ा है.

ऑस्ट्रेलिया में थोड़ी आगे से बल्लेबाजी का फायदा
दरअसल ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर उनके गेंदबाज तेज और उछाल भरी गेंदबाजी करते हैं. उनकी शॉर्ट पिच गेंद बल्लेबाज की छाती को लक्ष्य बनाकर फेंकी जाती है. गेंदबाज के दिमाग में ऐसी गेंद होती है जो सीधे बल्लेबाज के हेलमेट पर टकराए. इसके अलावा कोकुबुरा का गेंद शुरूआती ओवरों में जब हार्ड होता है तो उसमें उछाल भी अच्छी होती है. क्रीज पर आगे खड़े होने का फायदा ये है कि गेंद को टप्पा खाने के बाद आपके पास पीछे जाकर शॉट खेलने का मौका होता है. यानी अगर बल्लेबाज चाहे तो क्रीज पर एक कदम पीछे जाकर उस गेंद को खेल सकता है. बल्लेबाज को ऐसी गेंदों को खेलने के लिए वक्त भी ज्यादा मिलता है. शॉर्टपिच गेंद पर ‘कट’ और ‘पुल’ खेलने के अलावा ये विकल्प भी खुला रहता है. बशर्ते बल्लेबाज हिम्मत दिखाए.

इस तरह की हिम्मत दिखाने के लिए बल्लेबाज की तकनीक का शानदार होना बहुत जरूरी है. वरना चोट लगने का खतरा भी बना रहेगा. टीम इंडिया के बल्लेबाजों में अजिंक्य रहाणे और केएल राहुल जैसे खिलाड़ियों से ये अपेक्षा की जा सकती है कि वो अगर इस दिशा में मेहनत करेंगे तो उन्हें कामयाबी मिल सकती है. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को विराट कोहली की ये तकनीक अभी से इसलिए सता रही होगी क्योंकि पिछले ऑस्ट्रेलियाई दौरे में विराट कोहली की बल्लेबाजी अपने आप में एक चमत्कार जैसी थी. उन्होंने 4 टेस्ट मैचों की उस सीरीज में 4 शतक लगाए थे. उनके नाम 86.5 की औसत से कुल 692 रन थे. सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की फेहरिस्त में वो दूसरे नंबर पर थे. पिछले चार साल में विराट कोहली और परिपक्व हुए हैं.

विदेशी दौरों में भी जमकर रन बरसाते हैं विराट कोहली
इस साल टीम इंडिया के विदेश दौरे की शुरूआत दक्षिण अफ्रीका से हुई थी. दक्षिण अफ्रीका में भारतीय टीम को 2-1 से हार का सामना करना पड़ा था. इस हार के बावजूद विराट कोहली ने उस सीरीज में दोनों टीमों के बल्लेबाजों में सबसे ज्यादा रन बनाए थे. विराट कोहली ने 3 टेस्ट मैच में 286 रन बनाए थे. इसमें एक शतक और एक अर्धशतक शामिल था. इसके बाद इंग्लैंड का मुश्किल दौरा था. इंग्लैंड में भी टीम इंडिया को टेस्ट सीरीज में 4-1 से हार का सामना करना पड़ा था.

इस सीरीज में भी दोनों टीमों में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की फेहरिस्त में विराट कोहली का नाम सबसे आगे था. उन्होंने 5 टेस्ट मैच में 593 रन बनाए थे. इसमें 2 शतक और 3 अर्धशतक शामिल थे. इस फेहरिस्त में दूसरे बल्लेबाज थे जोस बटलर, जो विराट कोहली से करीब ढाई सौ रन पीछे थे. ये अंतर मौजूदा क्रिकेट में विराट कोहली के दबदबे को बताने के लिए काफी है.