भूल जाइए कि ये बांग्लादेश की टीम थी. भूल जाइए कि ये मैच भारत ने दो सौ रनों से ज्यादा के अंतर से जीता. भूल जाइए कि इससे पहले भारतीय टीम ने इंग्लैंड और न्यूजीलैंड को भी भारत में मात दी थी. बस एक बात ये याद रखिए कि हैदराबाद के मैदान से विराट कोहली ने पूरी दुनिया की क्रिकेट टीमों को चेतावनी दे दी है.


चेतावनी इस बात की कि अब टीम इंडिया ‘कंडीशंस’ की मोहताज नहीं है. अब टीम इंडिया ‘स्पिन फ्रैंडली’ विकेटों की मोहताज नहीं है. आप जानकर ताज्जुब होगा कि पूरे बीस साल बाद भारतीय जमीन पर खेले गए किसी टेस्ट मैच में टीम इंडिया तीन तेज गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरी थी.



हैदराबाद टेस्ट मैच से पहले 1997 में श्रीलंका के खिलाफ खेले गए टेस्ट मैच में तीन तेज गेंदबाज आखिरी प्लेइंग 11 में शामिल किए गए थे. उस समय सचिन तेंडुलकर भारतीय टीम के कप्तान थे और उन्होंने जवागल श्रीनाथ, वेंकटेश प्रसाद और अबेय कुरूविला को टीम में चुना था. उस टेस्ट मैच में भारतीय टीम जीत के करीब पहुंची थी लेकिन श्रीलंका की टीम मैच ड्रॉ कराने में कामयाब हो गई थी. करीब 20 साल बाद विराट कोहली ने तीन ‘जेनुइन’ तेज गेंदबाजों को प्लेइंग 11 में शामिल किया. जिसका नतीजा सभी के सामने है.


विराट की तिकड़ी का कमाल


हैदराबाद टेस्ट मैच के तीसरे दिन के पहले सेशन को याद कीजिए. उमेश यादव अलग ही रफ्तार और जुनून से गेंदबाजी कर रहे थे. बांग्लादेश के धुरंधर बल्लेबाज शाकिब-अल-हसन तक के लिए उन्हें खेलना मुश्किल हो रहा था. शाकिब ने ये बात बाद में कही भी कि उन्होंने अपने करियर में इतने मुश्किल स्पैल नहीं खेले हैं. उमेश यादव का वो स्पैल ना सिर्फ तेज था बल्कि उन्होंने कमाल का ‘रिवर्स स्विंग’ भी कराया.


कुछ ऐसा ही कारनामा ईशांत शर्मा ने मैच के आखिरी दिन दूसरे सेशन में किया. महमुदुल्लाह और शब्बीर को पवेलियन की राह दिखाकर ईशांत शर्मा ने भारत की जीत पर मोहर लगा दी. भुवनेश्वर कुमार ने भी बल्लेबाजों पर दबाव बनाने में अपने साथी तेज गेंदबाजों को मदद की. यही वजह है कि कप्तान विराट कोहली ने मैच में जीत के लिए अपनी बल्लेबाजी, मुरली विजय-ऋद्धिमान साहा के शतक और चेतेश्वर पुजारा के दोनों पारियों में अर्धशतक से ज्यादा श्रेय अपने तेज गेंदबाजों को दिया. सच्चाई ये है कि ये सिर्फ अपने गेंदबाजों को श्रेय देना नहीं है. ये पूरी दुनिया को एक ‘स्टेटमेंट’ देना है.


परंपरागत तौर पर ये सोच रही है कि भारतीय टीम अपने स्पिन गेंदबाजों की बदौलत टेस्ट मैच जीतती रही है. यही वजह है कि भारतीय पिचों पर जब भी मैच खेले गए कप्तान ने तेज गेंदबाजों के मुकाबले स्पिन गेंदबाजों को टीम में रखने पर ज्यादा जोर दिया. भारतीय पिचों पर तीन स्पिनर खिलाना आम बात रही है. इसके पीछे की वजह थी पिच से स्पिन गेंदबाजों को मिलने वाली मदद.


इसका नतीजा ये होता रहा कि आम तौर पर भारतीय टीम अपने घर में मैच जीतती रही लेकिन विदेशी पिचों पर उसे बुरी तरह पिटना पड़ा. विराट कोहली की कप्तानी और उनकी सोच में ये बात साफ दिखाई दे रही है कि वो विदेशी पिचों पर जीत हासिल करने के लिए कितने व्याकुल हैं. हाल के मैचों में प्लेइंग 11 चुनने की उनकी सोच ने ये साफ कर दिया है कि विदेशी पिच पर भी अब भारतीय टीम कमजोर नहीं दिखेगी. तेज पिच पर उनके तेज गेंदबाज कारनामा करने को तैयार हैं. गेंद स्विंग करे चाहे सीम विराट कोहली के पास उसकी काट है. उन्होंने ये संदेश दे दिया कि भारतीय टीम के तेज गेंदबाद भी ‘अग्रेसिव बॉलिंग’ कर सकते हैं.


दोबारा बल्लेबाजी करने के पीछे की सोच


बांग्लादेश की टीम पहली पारी में 388 रनों पर सिमट गई थी. विराट कोहली के पास पूरा मौका था कि वो बांग्लादेश को फॉलोऑन खिलाते. हाल के दिनों में बांग्लादेश की टीम के बल्लेबाजों ने न्यूजीलैंड में शानदार प्रदर्शन किया है. बावजूद इसके ये बात लगभग नामुमकिन जैसी थी कि बांग्लादेश की टीम वहां से मैच में वापसी कर लेगी. सच्चाई ये है कि मैच की पहली पारी में 687 रनों का स्कोर खड़ा करने के साथ ही टीम इंडिया की जीत तय थी, देखना बस ये था कि बांग्लादेश की टीम कब तक हार को टाल पाती है.



विराट कोहली ने फॉलोऑन इसीलिए नहीं दिया क्योंकि वो जानते थे कि अगर उन्हें अपने तेज गेंदबाजों से तूफानी स्पैल चाहिए तो उन्हें आराम देना होगा. दूसरी पारी में भारतीय टीम ने करीब 30 ओवर बल्लेबाजी की और उतनी देर में विराट कोहली के तेज गेंदबाज तरोताजा हो चुके थे. विराट ने अपने तेज गेंदबाजों को वो ‘कंफर्ट’ भी दिया है कि उन्हें किसी भी सूरत में चौके-छक्के की परवाह नहीं करनी है. उन्हें सिर्फ रफ्तार से समझौता नहीं करना है. उमेश यादव, ईशांत शर्मा और भुवनेश्वर कुमार के स्पेल में वो करीब 30 ओवरों का आराम दिखाई भी दिया.
और अंत में...


भारत का अगला मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से होना है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज का स्कोर क्या रहेगा इस पर अभी से कयास लगाए जाने लगे हैं. बांग्लादेश जैसी अपेक्षाकृत कमजोर टीम के खिलाफ मिली जीत में ऑस्ट्रेलिया की मजबूत टीम के खिलाफ मिलने वाली जीत का राज छिपा हुआ है.