शाहरुख खान की फिल्मों का 'बॉयकॉट' करने से आखिर क्या हासिल होगा ?
अपने बेटे की गलती का अंजाम क्या अब बॉलीवुड के सुपर हीरो शाहरुख खान को भुगतना पड़ेगा और क्या लोगों को उनकी फिल्मों का बॉयकॉट करने के लिए उकसाया जा रहा है? ये सवाल इसलिये उठा है कि ड्रग्स मामले में आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया के अलग-अलग ग्रुप्स में इस मुद्दे को हवा दी जा रही है कि शाहरुख की आने वाली नई फिल्मों का बहिष्कार किया जाए. गौरतलब है कि निर्देशक एटली के साथ बनाई गई उनकी नई फिल्म जल्द ही रिलीज होने वाली है, जिसमें उनका मुख्य किरदार है. किसी फिल्मी सितारे का फैन होना या उसे नापसंद करना, एक व्यक्ति का निजी अधिकार है लेकिन अगर ताकत या मज़हब के नाम पर उससे नफरत करने या फिर उसका बॉयकॉट करने के लिए भड़काया जाता है, तो ये सरासर नाइंसाफी है और न ही इसे किसी सभ्य समाज की निशानी कहा जा सकता है.
सब जानते हैं कि शाहरुख दिल्ली में पले-बढ़े हैं और यहां के सबसे प्रतिष्ठित सेंट कोलंबस स्कूल से उन्होंने शुरुआती पढाई की है. अपनी पंजाबी दोस्त गौरी छिब्बर से प्रेम-विवाह करने वाले और तीन बच्चों के पिता शाहरुख पिछले तीन दशक से भी ज्यादा वक़्त से बॉलीवुड में सक्रिय हैं. इतने बरसों की उनकी पेशेवर या निजी जिंदगी पर गौर करें, तो उन्होंने कोई ऐसा काम नहीं किया है कि लोगों को उनकी देशभक्ति पर उंगली उठाने का मौका मिला हो या उन पर किसी खास मज़हब के कट्टरपंथी होने का लेबल चस्पा करने का बहाना ही किसी को मिला हो.
बेशक जवानी का जोश उनके बेटे को भी उस रास्ते पर ले गया, जहां अक्सर देश-दुनिया के अमीर घरानों की संतानें इसलिये बेख़ौफ होकर चली जाती हैं, क्योंकि उन्हें अपने बाप की रईसी और उसके प्रभावशाली होने का गुमान रहता है. हो सकता है कि आर्यन को भी ऐसा ही गुमान रहा हो कि आखिर मुझे कौन पकड़ सकता है और अगर पकड़ा भी गया, तो पिता तो छुड़वा ही लेंगे.
ये सही है कि ऐसी स्थिति में हर पिता अपने बेटे को सलाखों से बाहर निकलवाने की हर जायज़ कोशिश करेगा ही और ऐसा अतीत में सुनील दत्त भी अपने पुत्र संजय दत्त के लिए कर चुके हैं. इसे कहीं से भी गलत नहीं कह सकते क्योंकि जमानत हासिल करना आरोपी का कानूनी हक है, लेकिन इस पर फैसला लेने का अधिकार सिर्फ कोर्ट को ही है. गौर करने वाली बात ये भी है कि फिल्मी सितारों की हर मामूली गतिविधि पर नज़र रखने वाले मीडिया को पिछले एक हफ्ते में ऐसा कोई सुराग हाथ नहीं लगा है, जिसके आधार पर वो ये दावा कर सके कि बेटे को छुड़ाने के लिए शाहरुख खान ने जांच एजेंसी पर या कोर्ट पर किसी भी तरह से अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने या कोई और प्रलोभन देने की कोशिश की हो. अभी तक इसका भी कोई सबूत सामने नहीं आया है कि उन्होंने अपने राजनीतिक रसूख का ही कोई इस्तेमाल किया हो.
हालांकि ऐसे हालात में कानून का सम्मान करने और उस पर भरोसा रखने के सिवा आम आदमी के पास तो कोई और चारा नहीं होता, लेकिन राजनीति से जुड़े या अन्य क्षेत्रों के प्रभावशाली लोग अक्सर इस दस्तूर को नहीं मानते और वे बचने-बचाने का कोई जुगाड़ जरूर निकाल ही लेते हैं. लिहाज़ा, फिलहाल तो शाहरुख खान इस मामले में दुनिया के सबसे मशहूर व सम्मानित फिल्म स्टार जैकी चैन के नक्शेकदम पर ही चलते दिखाई दे रहे हैं. जैकी के बेटे जैसी (Jaycee) भी इसी तरह से ड्रग्स के साथ पकड़े गए थे. बताते हैं कि तब जैकी चैन ने बेटे को छुड़ाने के लिए अपनी तरफ से कोई पहल नहीं की, बल्कि उन्होंने जांच एजेंसी से जुड़े लोगों से ये कहा कि उसके साथ भी वही सलूक किया जाए, जो एक आम कैदी के साथ किया जाता है. ऐसा करके उन्होंने एक अच्छा एक्टर होने के साथ ही एक जिम्मेदार पिता होने का फर्ज भी निभाया जिसकी हॉलीवुड में खूब तारीफ हुई.
इसमें कोई शक नहीं कि शाहरुख के लिए जिंदगी का ये सबसे बड़ा इम्तिहान है कि वे रुपहले पर्दे के किरदार को रीयल लाइफ में भी कितनी शिद्दत से निभा पाते हैं. लेकिन उनकी फिल्मों का बॉयकॉट करने की आवाज़ को किसी भी तरह से जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है.
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