ऐसा कोई महीना नहीं बीत रहा जब देश में एक यूनिकॉर्न कंपनियां न बन रही हो. यूनिकॉर्न ऐसी स्टार्टअप कंपनी को कहते हैं जिसका मूल्यांकन कम से कम 1 बिलियन डॉलर यानी क़रीब साढ़े सात हज़ार करोड़ रुपए हो. भारत में ऐसी कंपनियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. आज देश में कुल 65 यूनिकॉर्न कंपनियां हैं, जिनमें से 28 ने इसी साल यूनिकॉर्न का दर्जा पाया है. अगर यही रफ्तार रही तो भारत के विकास में ये कंपनियां बड़ी भूमिका निभा सकती हैं.


सबसे बड़ी बात ये है कि देश में रोजगार की समस्या को निपटाने में इनका अहम रोल होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसी कम्पनियों को लेकर काफ़ी उत्साहित दिखते हैं. वो लाल क़िले से लेकर उद्योग जगत की बैठकों तक कई बार इसकी अहमियत के बारे में ज़िक्र कर चुके हैं. साफ़ है कि वो यूनिकॉर्न कंपनियों में देश का भविष्य देख रहे हैं.


फ्लिपकार्ट, पेटीएम, ओला, जौमेटो वो देसी कंपनियां है जो भारत में यूनिकॉर्न कंपनियों की सफलता का सबसे बड़ा उदाहरण है. बहुत कम समय में एक छोटे से स्टार्ट अप से अरबों रुपए का कारोबार करने करनेवाली कंपनी बनना कोई साधारण बात नहीं है. इन कंपनियों ने हजारों युवाओं को रोजगार दिया है और नए भारत की तरफ कदम बढ़ाया है. वैल्यूएशन के आधार पर इस वक्त देश की टॉप यूनिकॉर्न कंपनियों में-



  • फ्लिपकार्ट 38 बिलियन डॉलर यानी 2 लाख 80 हजार करोड़ रु के साथ पहले नंबर है

  • बायजूस 17 बिलियन डॉलर यानि 1 लाख 27 हजार करोड़ के साथ दूसरे नंबर पर है.

  • पेटीएम 16 बिलियन डॉलर यानि 1 लाख 20 हजार करोड़ की वैल्यूएशन के साथ तीसरे नंबर पर है

  • 10 बिलियन डॉलर यानी 75 हजार करोड़ रुपए के साथ ओयो रूम्स चौथे नंबर पर है

  • जबकि ओला कैब्स 7 बिलियन डॉलर यानी 50 हजार करोड़ रुपए के साथ पांचवे नंबर पर है.


देश में सबसे ताजा स्टार्ट अप जिसकी वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा हो गई है, वो है 'अपना’ ऐप. सिर्फ दो साल पहले शुरु की गई ये डिजिटल हायरिंग कंपनी आज 8 हजार करोड़ की वैल्यूएशन के साथ एक यूनिकॉर्न कंपनी बन गई है.  भारत को अगर अगले कुछ सालों में 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाना है तो इसमें यूनिकॉर्म कंपनियों की बड़ी भूमिका हो सकती है. मोदी सरकार इस बात को बखूबी समझती है.  सरकार कुछ साल पहले स्टार्ट अप इंडिया मुहिम के तहत 10 हजार करोड़ खर्च करने का एलान भी कर चुकी है. मंशा यही है कि देश में नए कारोबार को बढ़ावा मिले और रोजगार के अवसर पैदा हों.



  • भारत से ज्यादा यूनिकॉर्न कंपनियां इस वक्त सिर्फ अमेरिका और चीन में हैं. अमेरिका में 396 और चीन में 277 यूनिकॉर्न कम्पनियाँ हैं.

  • 14 सितंबर तक भारत में सरकार ने 55, 505 स्टार्ट अप को मान्यता दी है यानी जिन कम्पनियों ने सरकार से मदद ली है.

  • इन स्टार्ट अप्स ने युवाओं को 5 लाख 70 हजार नौकरियां दी हैं. उम्मीद है कि आने वाले समय में ये आँकड़ा और बढ़ेगा.

  • एक अनुमान के मुताबिक पिछले एक दशक में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से करीब 15 - लाख नौकरियां पैदा हुई हैं.


हाल में ओला ने तमिलनाडु में अपनी नई स्कूटर फैक्ट्री में 10 हजार महिलाओं को नौकरी देने का ऐलान किया है. इसी तरह दूसरी यूनिकॉर्न कंपनियां भी रोजगार के नए -नए ऐलान कर रही है. अच्छी बात ये है की देश में हर क्षेत्र में यूनिकॉर्न कंपनिया स्थापित हो रही हैं. आज शिक्षा, सौंदर्य, कुरियर, रिटेल, फिनटेक, ई-कॉमर्स, स्वास्थ्य सेवा, ट्रक सेवाएं, किराने का सामान, बीमा, एनालिटिक्स, मोबाइल विज्ञापन के क्षेत्रों में यूनिकॉर्न कंपनियां खड़ी हो चुकी हैं.


भारत में स्टार्टअप शुरू करने को लेकर वैसा ही आकर्षण देखा जा रहा है जैसा आकर्षण पिछली पीढ़ी के लोगों के बीच कॉर्पोरेट करियर की ओर था या फिर उससे पहले लोग सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षित होते थे. एक सफल स्टार्टअप चलाने से संपत्ति और पहचान तो मिलती ही है, साथ ही ताक़त और प्रभाव में भी बढ़ोतरी होती है. युवाओं में इसे लेकर काफी उत्साह दिखता है.



  • इस वक्त देश में 11 ऐसी यूनिकॉर्न कंपनियां हैं जिनके संस्थापक की उम्र 30 साल से नीचे है.

  • सिर्फ 15 ही ऐसे मालिक हैं जिनकी उम्र 50 साल से ज्यादा है.

  • बैंगलूरू में 31, दिल्ली-एनसीआर में 18 और मुंबई में 13 यूनिकॉर्न कंपनियां हैं.

  • ज्यादातर यूनिकॉर्न कंपनियों के मालिक IIT-IIM के पढ़े लिखे हैं.


कोरोना काल में जिस तरह से छोटे-छोटे उद्यमियों ने नए नए आइडिया के जरिए अपनी जगह बनाई है उसे देखते हुए लगता है कि कुछ ही सालों में भारत यूनिकॉर्न कंपनियों की लिस्ट में पहले नंबर पर भी आ सकता है.  एक अनुमान के मुताबिक साल 2024 तक भारत में अगर 300 और यूनिकॉर्न कंपनियां बन जाती हैं तो इनकी वैल्यूएशन एक ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी.  क्या ये कम्पनियाँ देश को जल्द 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने में सफल होंगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.



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