इस दौरान विराट कोहली ने लगातार आर अश्विन से गेंदबाजी कराई. इस उम्मीद में कि इंग्लैंड के लोवर ऑर्डर को वो आउट करेंगे लेकिन आर अश्विन के खाते में सिर्फ एक विकेट आया. दूसरी पारी में भारत के किसी भी गेंदबाज ने 20 से ज्यादा ओवर नहीं फेंके जबकि आर अश्विन ने लगभग दोगुने 37.1 ओवर गेंदबाजी की. इसके बाद भी उनकी झोली में सिर्फ 1 विकेट आया. पहली पारी में भी उन्हें सिर्फ 2 विकेट ही मिले थे. ये बहस का मुद्दा ना बनता लेकिन इंग्लैंड के स्पिनर मोईन अली ने उसी पिच पर जिस तरह अकेले टीम इंडिया को आफत में डाला उसके बाद ये बहस का मुद्दा गरम है कि जो काम मोईन अली ने किया वो आर अश्विन क्यों नहीं कर पाए?
एक जैसी पिच पर प्रदर्शन में फर्क क्यों
आर अश्विन और मोईन अली दोनों ऑफ स्पिनर हैं. मोईन अली के मुकाबले आर अश्विन ज्यादा अनुभवी गेंदबाज हैं. आर अश्विन ने 2011 में ही टेस्ट करियर शुरू किया था. अब तक वो 62 टेस्ट मैच खेल चुके हैं. उनके खाते में 327 विकेट है. उनसे पूरे तीन साल बाद 2014 में मोईन अली ने टेस्ट करियर की शुरूआत की. उनके खाते में 51 टेस्ट मैचों में 142 विकेट हैं. इस सीरीज में भी मोईन अली अपनी टीम के लिए पहली पसंद नहीं थे. कप्तान जो रूट ने मोईन अली की बजाए आदिल रशीद को शुरूआती टेस्ट मैचों में प्लेइंग 11 में रखा था. साउथैंप्टन में मोईन अली सीरीज का पहला मैच खेल रहे थे.
इससे उलट आर अश्विन पर विराट कोहली ने आंख मूंदकर भरोसा किया. सीरीज के सभी चार टेस्ट मैचों के प्लेइंग 11 में आर अश्विन को शामिल किया गया. फर्क ये है कि आर अश्विन 4 टेस्ट मैच खेलकर भी 11 विकेट ही हासिल कर पाए जबकि मोईन अली ने इकलौते टेस्ट मैच में 9 विकेट लेकर अपनी टीम को जीत दिलाई. उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया.
आर अश्विन से कहां हुई चूक
आर अश्विन और मोईन अली की गेंदबाजी में बड़ा फर्क गेंद की रफ्तार को लेकर था. आर अश्विन स्पिन गेंदबाज कम और मिडियम पेसर ज्यादा लग रहे थे. आर अश्विन ने लगातार अपनी गेंद 90 किलोमीटर प्रतिघंटे से ज्यादा की रफ्तार से फेंकी. जबकि मोईन अली ने अपनी गेंदों की रफ्तार को 80 किलोमीटर प्रतिघंटे के आस-पास रखा. यही वजह थी कि पिच पर जो ‘रफ एरिया’ था उसका इस्तेमाल मोईन अली ने आर अश्विन के मुकाबले कहीं बेहतर तरीके से किया. आर अश्विन ने जितने प्रयोग संभव थे सब किए. उन्होंने लेग स्पिन फेंकने से लेकर तरह तरह के वेरिएशन किए. वो ओवर द विकेट गेंदबाजी करने आए. उन्होंने फील्डिंग में बदलाव करके ‘शॉर्ट एक्सट्रा कवर’ की पोजीशन पर खिलाड़ी को लगाया लेकिन ये सारे प्रयोग बेकार गए.
आपको बता दें कि पिछले दिनों आर अश्विन ने अपनी परंपरागत ऑफ स्पिन के साथ-साथ लेग स्पिन करना भी सीखा था. ऐसा उन्होंने इसलिए किया था जिससे वनडे क्रिकेट में भी वो अपनी उपयोगिता साबित कर सकें. इसके अलावा उन्होंने अपने ‘बॉलिंग ऐक्शन’ में भी काफी बदलाव किया है. हालांकि इसका नतीजा उलटा पड़ा. अपने लंबे चौड़े स्पेल में आर अश्विन ने अपनी ऑफ स्पिन का इस्तेमाल ना के बराबर किया.
इस दौरान उनके चेहरे पर विकेट ना मिलने का तनाव साफ नजर आता रहा. वो अपने बॉलिंग मार्क पर जाते, वापस आते और गेंद फेंकते. दो गेंदों के बीच जो समय गेंदबाज सोचने समझने के लिए करता है वो काम उन्होंने नहीं किया. वो शायद भूल गए कि इंग्लैंड में टीम इंडिया टेस्ट मैच खेल रही है जहां उनसे विकेट लेने की अपेक्षा की जाती है ना कि आईपीएल चल रहा है जहां उनसे कम से कम रन खर्च करने की उम्मीद की जाती है.