दूसरे दिन भी उन्होंने शुरूआत में बड़ी सूझबूझ के साथ बल्लेबाजी की. चेतेश्वर पुजारा के साथ मिलकर उन्होंने स्कोरबोर्ड को पचास रनों तक पहुंचाया. उस वक्त तक वो 23 रन बना चुके थे. ऐसा लगा कि शिखर धवन सेट हो गए हैं और इस टेस्ट मैच में एक बड़ी पारी खेलेंगे. लेकिन ऐसे विश्वास की उम्मीदें वो पहले भी जगा कर तोड़ चुके हैं और उन्होंने फिर वैसा ही किया.
23 रन के स्कोर पर ही शिखर धवन ने स्टुअर्ट ब्रॉड की एक गेंद के साथ जबरदस्ती छेड़खानी कर अपना विकेट गंवा दिया. शिखर धवन अगर उस गेंद को बगैर छुए विकेटकीपर के दस्ताने में जाने देते तो भी कोई हर्ज नहीं था क्योंकि गेंद साफ तौर पर ऑफ स्टंप के बाहर जा रही थी. उनके आउट होते ही ये बहस छिड़ गई कि आखिर 30-35 रन बनाने के बाद शिखर धवन अपना विकेट फेंककर क्यों चले आते हैं?
गावस्कर ने भी जताई नाराजगी
शिखर धवन के आउट होने के बाद सुनील गावस्कर ने तुरंत कहा कि वो अपनी गलतियों से सबक नहीं ले रहे हैं. दरअसल, शिखर धवन की कहानी उलझती जा रही है. टेस्ट सीरीज में ये पांचवी पारी है जब शिखर धवन दहाई के आंकड़े को पार करने के बाद बड़े स्कोर तक पहुंचने में नाकाम रहे हैं. बर्मिंघम टेस्ट मैच में उन्होंने पहली पारी में 26 और दूसरी पारी में 13 रन बनाए. इसके बाद नॉटिंघम टेस्ट में उन्होंने पहली पारी में 35 और दूसरी पारी में 44 रन बनाए. इन सभी पारियों में शिखर धवन शुरूआत में आत्मविश्वास से भरपूर दिखे. उनके बल्ले से एक-दो करारे शॉट्स भी निकले.
इसके बाद एकाध पारियों को छोड़ दिया जाए जब गेंदबाज ने उन्हें अपनी काबिलियत से आउट किया तो बाकि मौकों पर वो खुद ही विकेट गंवा कर लौट गए. सुनील गावस्कर की तकलीफ इसी बात को लेकर है. शिखर धवन पर दबाब इसलिए भी है क्योंकि चयनकर्ताओं ने आखिरी दो टेस्ट मैच के लिए जो टीम चुनी है उसमें पृथ्वी शॉ को भी शामिल किया है. पृथ्वी शॉ सलामी बल्लेबाज हैं और सिर्फ 18 साल के हैं. घरेलू क्रिकेट में उन्होंने जिस तरह का प्रदर्शन किया है उसके बाद उन्हें टीम इंडिया में शामिल किया गया है.
कहां चूक रहे हैं शिखर धवन
नॉटिंघम टेस्ट में शिखर धवन ने भी बाकि बल्लेबाजों की तरह गेंद को ‘लेट’ खेलने की रणनीति अपनाई थी. वो गेंद के पास बल्ले को लेकर जाने की बजाए गेंद के बल्ले पर आने का इंतजार कर रहे थे. इस बदलाव के लिए उनकी तारीफ भी हुई थी. आम तौर पर आक्रामक बल्लेबाजी करने वाले शिखर धवन ने एक दो रक्षात्मक शॉट ऐसे खेले जो उनके मिजाज से बिल्कुल अलग हैं, लेकिन वहां भी वो अपनी पारी को बड़े स्कोर तक नहीं पहुंचा पाए थे.
दरअसल, टेस्ट क्रिकेट में कामयाबी के लिए जिस धैर्य की जरूरत होती है वो शिखर धवन में नहीं दिखाई दे रहा है. अफगानिस्तान के खिलाफ पिछले दिनों खेले गए इकलौते टेस्ट मैच में उनके शतक को छोड़ दिया जाए तो उन्हें टेस्ट शतक लगाए करीब एक साल का वक्त हो गया है. शिखर धवन ने आखिरी शतक अगस्त 2017 में श्रीलंका के खिलाफ लगाया था. इसके बाद कोलकाता में उन्होंने 94 रनों की एक शानदार पारी जरूर खेली थी. लेकिन तब से लेकर अब तक वो लगातार अच्छी शुरूआत मिलने के बाद प्रभावशाली स्कोर नहीं बना पाए हैं.
पिछले कुछ समय से टीम इंडिया में एक एक ‘स्लॉट’ को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ी है. ऐसे में शिखर धवन लगातार डेंजर जोन में जाते दिखाई दे रहे हैं. बशर्ते इस टेस्ट मैच की दूसरी पारी में वो अपनी गलतियों से सबक लेकर कोई बड़ा स्कोर ना बना दें.