पूर्व क्रिकेटर निखिल चोपड़ा 1999 में भारत के लिए विश्वकप खेल चुके हैं. इस बार विश्व कप के फॉर्मेट को लेकर खूब चर्चा हो रही है. 1992 के बाद ये फॉर्मेट पहली बार अपनाया जा रहा है. जिसमें सभी 10 टीमें एक दूसरे के खिलाफ मैच खेलेंगी और टॉप 4 टीमें सेमीफाइनल में पहुंचेगी. तमाम दिग्गज खिलाड़ियों की राय है कि भारतीय टीम का टॉप 4 में पहुंचना तय है. लेकिन निखिल चोपड़ा ऐसा नहीं मानते, वो कहते हैं कि-आप ये नहीं कह सकते हैं कि भारत का सेमीफाइनल में पहुंचना तय है. टीम इंडिया को अच्छी क्रिकेट खेलनी पडेगी. देखा जाए तो पहले चार मुकाबले ही उसके लिए कठिन मुकाबले हैं. जो दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और पाकिस्तान के खिलाफ है. इन चार मैचों में भारतीय टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया तो उन्हें लय मिल जाएगी. इसकी तलाश उन्हें रहेगी. ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड जैसी टीमों के खिलाफ भारत को कड़ा संघर्ष करना होगा”. भारतीय टीम का पहला मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 5 जून को है.
बांग्लादेश ने जिस तरह दक्षिण अफ्रीका की टीम को हराया उसके बाद भारतीय टीम को भी सतर्क रहना होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि बल्लेबाजी के लिए मुफीद पिचों पर भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया या भारत बनाम इंग्लैंड ही नहीं बल्कि भारत बनाम अफगानिस्तान मैच भी रोमांचक हो सकता है. ऐसे में भारतीय बल्लेबाजों की रणनीति क्या होनी चाहिए. निखिल चोपड़ा कहते हैं- “क्रिकेट पार्टनरशिप का खेल है. भारतीय टीम के टॉप 3 बल्लेबाजों में से किन्हीं 2 का चलना बहुत जरूरी है. अगर टॉप 3 में से एक बल्लेबाज ही चलता है तो मिडिल ऑर्डर में किसी को जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी. इसके बाद ही स्कोरबोर्ड पर सम्मानजनक स्कोर लगा पाएंगे. इसके अलावा अगर भारतीय टीम लक्ष्य का पीछा कर रही है तो विराट कोहली का चलना बहुत जरूरी है. हम जानते हैं कि रोहित शर्मा ने तीन दोहरे शतक लगाए हैं लेकिन उनका बल्ला कुछ खामोश है. आईपीएल में वो पूरी तरह रंग में नहीं थे. न्यूज़ीलैंड के खिलाफ प्रैक्टिस मैच में भी उनका बल्ला नहीं चला. ऐसे में ये बहुत जरूरी है कि जिस बल्लेबाज को भी अच्छी शुरूआत मिले वो उसे बड़ी पारी में ‘कन्वर्ट’ करे”.
भारतीय बल्लेबाजी को लेकर तो हमेशा बात होती है. इस बार गेंदबाजी को लेकर भी इतनी बातचीत हो रही है. क्या गेंदबाजी की बदौलत भी मैच जीतने के लिए टीम इंडिया तैयार है, निखिल रहते हैं “ टीम इंडिया का गेंदबाजी क्रम इस बार वाकई लाजवाब है. पूरी दुनिया में भारतीय गेंदबाजों की चर्चा है. तेज गेंदबाजों की आईसीसी रैंकिंग में बुमराह इस वक्त पहली पायदान पर हैं क्योंकि वो ना सिर्फ नई गेंद से कमाल की गेंदबाजी कर रहे हैं बल्कि आखिरी ओवरों में शानदार गेंदबाजी करते हैं. जिन ओवरों में गेंदबाजों के लिए रन रोकना मुश्किल होता उसमें वो विकेट लेकर देते हैं. शानदार यॉर्कर डालते हैं. गजब के मेहनती खिलाड़ी हैं. यही उनकी कामयाबी का राज भी है. शॉर्ट ऑफ लेंथ जब वो गेंदबाजी करते हैं तो उनकी रफ्तार की वजह से अतिरिक्त उछाल भी उन्हें मिलता है. इसके अलावा उनका गेंदबाजी ऐक्शन भी बल्लेबाजों को परेशान करता है. मोहम्मद शमी भी अच्छे रंग में हैं. स्पिनर्स बेहतरीन हैं. बीच के ओवरों में स्पिनर्स विकेट चटकाते हैं तो बाद के ओवरों में तेज गेंदबाजों का काम आसान हो जाता है. जिस तरह बल्लेबाजी में दो बल्लेबाजों के चलने की बात मैंने कही वैसे ही दो गेंदबाज अगर चल गए तो वो मैच की दिशा बदल देते हैं. टीम इंडिया में ऐसे गेंदबाज हैं जो जोड़ियों में ये काम कर सकते हैं. यही टीम इंडिया का एक्स फैक्टर भी होगा”.
स्पिनर्स को लेकर बहुत बात हो रही है. निखिल चोपड़ा कहते हैं- इंग्लैंड की पिचों पर भारतीय स्पिनर्स अच्छा करेंगे, खास तौर पर रिस्ट स्पिनर्स. ऐसा इसलिए क्योंकि इंग्लैंड की पिचें सपाट दिख रही हैं. 300 से ज्यादा का स्कोर आसानी से बन जाता है. बीच के ओवरों में अगर गेंदबाज, खासतौर से रिस्ट स्पिनर्स को थोड़ा अतिरिक्त उछाल मिलता है. जिस किस्म की विकेट है और मौसम है, रिस्ट स्पिनर्स हवा में गेंद को ज्यादा ‘स्पिन’ करा सकते हैं. हवा में यही अतिरिक्त घुमाव गेंद के टप्पा खाने के बाद बल्लेबाज को परेशान करता है. इसी वजह से गेंदबाजों को सफलता मिलती है और इसीलिए इस बार लगभग सभी टीमों के पास रिस्ट स्पिनर्स हैं. जिन पिचों पर फिंगर स्पिनर को गेंदबाजी करने में दिक्कत हो रही है वहां रिस्ट स्पिनर्स काम कर पा रहे हैं. भारतीय स्पिनर्स गुगली अच्छा डालते हैं. उनमें ‘विकेट टेकिंग एबिलिटी’ है. अगर 60 गेंदों में से 3-4 गेंद अच्छा पिच हो गया तो उनका काम हो गया. बीच के ओवरों में जो विकेट चटकाएगा उसका काम बन जाएगा. चहल और कुलदीप यादव में यही काबिलियत है”.