एक सेक्स स्कैंडल ने ब्रिटेन की राजनीति में भूचाल ला दिया है. मंत्रियों की बग़ावत के बाद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को अपने पद से इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा है. देश के नाम संबोधन में जॉनसन ने अपने इस्तीफे के ऐलान करते हुए कहा है कि कंजरवेटिव पार्टी जल्द ही एक नए नेता और का चुनाव करेगी. नया पीएम बनने की रेस में भारतीय मूल के ऋषि सुनक का नाम सबसे आगे है.
मंगलवार को उन्होंने ही बोरिस सरकार के वित्त मंत्री के पद से इस्तीफ़ा देकर इस बग़ावत की शुरुआत की थी. उन्होंने कहा था कि उनको अब प्रधानमंत्री के नेतृत्व पर भरोसा नहीं है और वे घोटालों में घिरी सरकार के लिए काम नहीं कर सकते. उसके फौरन बाद पाकिस्तान मूल के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जावेद ने भी अपने पद से इस्तीफा देकर जानसन को दूसरा झटका दिया था. इन दोनों के बाद सरकार के करीब दो दर्जन मंत्रियों व सहयोगियों के इस्तीफे की झड़ी लग गई. पिछले दो दिन में ऐसा दबाव बना दिया गया कि जॉनसन के पास पीएम पद से इस्तीफा देने के सिवा कोई और चारा ही नहीं बचा था.
दरअसल, इस सेक्स स्कैंडल में बोरिस जानसन सीधे तौर पर लिप्त नहीं हैं लेकिन उन पर आरोप है कि उन्होंने कथित यौनाचार के मामले में शामिल अपनी पार्टी के एक सांसद को न सिर्फ बचाया बल्कि उनकी राजनीतिक हैसियत को भी और बढ़ाया. ब्रिटेन की राजनीति में पीएम के उस फैसले को गंभीर व अनैतिक माना गया और अपनी ही पार्टी के मंत्रियों-सांसदों के अलावा विपक्ष ने भी इस्तीफा देने का उन पर पुरजोर दबाव बनाया.
ये मामला सांसद क्रिंस पिंचर को डिप्टी चीफ व्हिप बनाने से शुरू हुआ. हालांकि बाद में,बोरिस जॉनसन ने सांसद क्रिस पिंचर को सरकारी ज़िम्मेदारी देने को लेकर माफ़ी भी मांगी थी लेकिन मंत्री और सांसद इससे नहीं माने. जॉनसन ने स्वीकार किया कि पिंचर को इस साल की शुरुआत में डिप्टी चीफ व्हिप बनाकर उन्होंने एक बड़ी गलती की थी.
दरअसल, 30 जून को ब्रिटेन के समाचार-पत्र 'द सन' ने एक रिपोर्ट छापी थी, जिसमें दावा किया गया था कि सत्ताधारी कंज़र्वेटिव पार्टी के सांसद क्रिस पिंचर ने लंदन के एक प्राइवेट क्लब में दो मर्दों को आपत्तिजनक तरीक़े से छुआ. ये कथित यौनाचार का मामला बनता है. 'द सन' की रिपोर्ट छपने के बाद पिंचर को इस्तीफा देना पड़ा. लेकिन कुछ ही दिनों के भीतर ब्रिटेन के मीडिया में ऐसी और भी खबरें प्रकाशित हुईं. बताया गया है कि हाल के वर्षों में पिंचर के कथित यौन दुर्व्यवहार से जुड़े कम-से-कम छह और मामले सामने आए हैं.
अखबार में रिपोर्ट छपने के बाद पिछले हफ्ते ही पिंचर को कंजरवेटिव पार्टी से भी सस्पेंड कर दिया गया था. उन्होंने माफ़ी भी मांग ली और कहा कि वो जांच में पूरा सहयोग करेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि वो "पेशेवर मेडिकल मदद" ले रहे हैं. इस पूरे मामले को लेकर 1 जुलाई को ब्रिटेन सरकार की तरफ से मीडिया को दी गई सफाई में कहा गया कि प्रधानमंत्री को पिंचर की नियुक्ति से पहले उन पर लगे किसी आरोप की कोई जानकारी नहीं थी.
सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री को पिंचर पर लगाए गए "ख़ास आरोपों" की जानकारी नहीं थी.इसके बाद सरकार कई मंत्रियों ने भी यही बात दोहराई. लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल उलट निकली. हकीकत ये थी कि बोरिस जॉनसन को पिंचर पर लगे आरोपों के बारे में पता था,तब भी उन्होंने उनकी नियुक्ति की थी. शायद इसलिए कि वे उनके सबसे करीबी सांसद थे. जॉनसन ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में ये कबूल किया था कि उनसे 'गलती' हुई है. जॉनसन ने तब ये भी कहा था कि उनके फैसले से जो भी प्रभावित हुए हैं, उनसे वह माफी मांगते हैं.
हालांकि इस्तीफ़ा देने के बाद भी नए नेता का चुनाव होने तक बोरिस जानसन प्रधानमंत्री के पद पर बने रहेंगे. वह 10 डाउनिंग स्ट्रीट के प्रभारी बने रहेंगे, जब तक कि कंजर्वेटिव पार्टी (Conservative Party) के नया नेता चुनने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती. पार्टी का सम्मेलन अक्टूबर में होने वाला है. लेकिन अक्टूबर तक पद पर बने रहने के उनके इस फैसले की विपक्ष के साथ पार्टी के भीतर भी तीखी आलोचना हो रही है. बिज़नेस सेक्रेटरी क्वीसी क्वारतेंग ने सलाह देते हुए कहा कि "वह नहीं चाहते हैं कि बोरिस जॉनसन अक्तूबर तक भी पीएम पद पर रहें.
जितनी जल्दी हो सके, ब्रिटेन को एक नया नेता मिलना चाहिए. "कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता निक गिब ने कहा कि उन्हें (बोरिस जॉनसन) को हर हाल में चले जाना चाहिए. जबकि पूर्व स्कॉटिश कंजर्वेटिव नेता रूथ डेविडसन ने ट्वीट किया कि उनके पास अक्टूबर तक बने रहने का कोई विकल्प नहीं है. यह सोचना भी सच को झुठलाने जैसा है कि वो अक्टूबर तक बने रहें. वैसे ब्रिटेन में आम चुनाव 2024 में होना है, इसलिए देखना ये है कि बोरिस जॉनसन अक्टूबर तक पद पर बने रहेंगे या फिर मध्यावधि चुनाव का ऐलान करेंगे?
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