Budget 2023: बजट से इस बार लोगों को कई तरह की उम्मीदें हैं, खुद सरकार ने कई उम्मीदें जगा दी हैं. कुछ दिन पहले ही हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बयान दिया कि मैं खुद मध्यम वर्ग से आती हूं, इसीलिए मुझे इस वर्ग की चिंताओं का एहसास है. इस बयान के बाद मध्यम वर्ग के लिए बेहतरी की उम्मीद कर सकते हैं. ये दो तरह से हो सकती है... या तो आयकर की सीमा को बढ़ा दिया जाए जिससे ज्यादा आय कमाने वाला भी थोड़ा कर बचा ले, उसके अलावा कुछ और छूट दे दी जाएं. 


कुल मिलाकर मुझे ये लग रहा है कि इस बार रेवेन्यू के मामले में सरकार थोड़ी बेहतर स्थिति में है. मैं कई सालों में पहली बार देख रहा हूं कि जो सरकार ने करों का आंकलन किया था, उससे ज्यादा कर जमा हो जाए. दूसरा जो मुझे उम्मीद की किरण दिखती है वो है कि महंगाई को लेकर सरकार की चिंताएं थोड़ी सी कम हुई हैं, क्योंकि रिजर्व बैंक की जो लिमिट है कि दो फीसदी से नीचे और 6 फीसदी से ऊपर नहीं जानी चाहिए...तो सरकार को उसे लेकर थोड़ी राहत है. इसीलिए मध्य वर्ग बेहतर उम्मीद कर सकता है. क्योंकि इस वर्ग को कई सालों से बजट से ज्यादा कुछ नहीं मिला है. 2024 लोकसभा को देखते हुए भी सरकार मध्य वर्ग को खुश करने का काम करेगी. 


देश के टैक्सपेयर्स को मिलेगी राहत?
टैक्सपेयर्स की बात करें तो इस बजट से मध्य वर्गीय टैक्स पेयर्स को तो उम्मीद रखनी चाहिए, लेकिन ऊपर वालों को ज्यादा उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. क्योंकि संसाधनों पर दबाव कम हुआ है खत्म नहीं हुआ है. अगर आप पूरी अर्थव्यवस्था का विश्लेषण करें तो इसमें तीन तरह के भारत नजर आते हैं. एक करीब पांच करोड़ लोगों का भारत है जो काफी ज्यादा अमीर है. ये भारत का अमेरिका है. जिसका शेयर बाजार भी पैसा दे गया, सोना भी पैसा दे गया. तो वो शिकायत भले ही करे लेकिन पिछले कुछ सालों में उसकी मौज रही है. 


करीब 82 करोड़ का जो भारत है वो भारत का युगांडा है. यानी ये भारत सरकार पर किसी तरह से निर्भर है, इन्हें सरकार मुफ्त राशन दे रही है कोरोना में दिया और आगे भी देने की बात कही है. अब जो बचा हुआ भारत है उसमें 35-40 करोड़ लोग आते हैं, इसे मैं मलेशिया कहता हूं. इस मध्यवर्गीय भारत को कुछ नहीं मिला है. मुझे इस साल और अगले साल इस वर्ग को कुछ मिलने की उम्मीद दिख रही है. 4 से 8 लाख का टैक्सपेयर इस बजट से उम्मीद रख सकता है. 


कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव के आसार कम
कैपिटल गेन टैक्स की बात करें तो मुझे लगता है कि सरकार इस पर कोई बदलाव नहीं करने वाली है. क्योंकि सच्चाई ये है कि कैपिटल गेन्स एक रीछ की तरह है. अगर रीछ या भालू के दो चार बाल निकाल भी दो उसे कुछ फर्क नहीं पड़ता है. मेरी नजर में सरकार कैपिटल गेन टैक्स में कोई राहत नहीं देने वाली है. 


चुनाव से पहले सरकार किसानों के लिए भी कुछ एलान कर सकती है. मुझे लगता है कि जो मौजूदा किसान निधि योजना है उसमें बढ़ोतरी की जा सकती है. सरकार इस योजना का प्रचार-प्रसार करती रही है तो इसी योजना को आगे बढ़ाने का काम किया जा सकता है. 


क्रिप्टो करेंसी पर सरकार का रुख
क्रिप्टो करेंसी की बात करें तो सरकार ने पहले ही साफ तौर पर कह दिया है कि वो इसके खिलाफ है. लेकिन इस सरकार ने ये होशियारी ये दिखाई है कि लीगल और इनलीगल की फिक्र किए बगैर क्रिप्टो करेंसी के ट्रांजेक्शन पर टैक्स लगाकर इससे पैसे कमाना शुरू कर दिया है. एक तरफ सरकार ये बोल रही है कि हम इसके पक्ष में नहीं हैं, वहीं दूसरी तरफ ऐसा किया जा रहा है. फिलहाल मेरा मानना है कि क्रिप्टो करेंसी के किसी भी रेगुलेटेड फॉर्म में आने के आसार नहीं हैं. फिलहाल क्रिप्टो करेंसी के निवेशकों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाएगा.  


हेल्थ सेक्टर में इनवेस्ट करेगी सरकार?
बजट में हेल्थकेयर और एजुकेशन सेक्टर में काफी कम खर्च होता है. इस बार मेरा मानना है कि सरकार सीधे तौर पर इसे लेकर बड़ा बदलाव नहीं करने जा रही है. सरकार का कहना है कि वो भारत के बड़े हिस्से को आयुष्मान भारत योजना से कवर कर रहे हैं. बाकी मिडिल क्लास को इंश्योरेंस की तरफ जाने की सलाह दी जा रही है. हेल्थ इंश्योरेंस कराने के कुछ इंसेंटिव मिल सकते हैं, लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि हेल्थ सेक्टर में कुछ बड़ा इनवेस्टमेंट होगा तो ऐसा होना कम ही मुमकिन है. 


मेरे हिसाब से इस बार के बजट में सरकार मनरेगा पर और किसानों से जुड़ी योजनाओं पर ज्यादा फोकस करने वाली है. केंद्रीय कर्मचारियों को भी बजट से ज्यादा उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. क्योंकि इनकी राजनीतिक हिस्सेदारी इतनी ज्यादा नहीं है. इस बार मैं डिफेंस बजट में बड़े खर्चे की उम्मीद करता हूं, जो कि पिछले तमाम बजटों में देखा गया.