Budget 2022: विगत मंगलवार (1 फरवरी) वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने वित्तवर्ष 2022-23 के लिए 39.45 लाख करोड़ का बजट (Budget) प्रस्तुत किया. राजनीतिक दलों की ओर जो प्रतिक्रिया आई, वह आपेक्षित थी. किंतु इस दौरान एक आलोचनात्मक स्वर मुखर रूप में सामने आया कि 'इस बजट में मध्यम वर्ग के लिए कुछ नहीं है', 'आयकर में बदलाव नहीं होने से मध्यम वर्ग निराश है' और 'सरकार ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है' इत्यादि-इत्यादि. हमारे समाज में मध्यम वर्गीय परिवार के जो स्वयंभू प्रवक्ता है, उनमें से अधिकांश मानते है कि देश में इस श्रेणी के लोग केवल नगरों में बसते है और उनका ग्रामीण, देहाती क्षेत्रों या कस्बों से कोई संबंध नहीं होता. यह परिभाषा ही स्वत: विकृत और मिथक है.
मध्यम वर्गीय श्रेणी में वे सभी लोग सम्मिलित है, जो धनाढ्य वर्ग से नीचे और गरीबी रेखा से ऊपर है. यूं कहे कि इन दोनों श्रेणियों के बीच में रहना वाला वर्ग ही मध्यम वर्गीय परिवार कहलाता है, चाहे उच्च-मध्यम वर्ग हो या फिर निम्न-मध्यम वर्ग. निसंदेह, यह काफी बड़ा वर्ग है. अक्सर, मध्यम वर्गीय श्रेणी को उनकी आमदनी के हिसाब से रेखांकित किया जाता है. क्या उनका आर्थिक अस्तित्व, शेष अर्थव्यवस्था से अलग हो सकता है? हम कुछ आर्थिक मापदंडों के आधार पर शायद मध्यम वर्ग को समाज में अलग से चिन्हित कर सकते होंगे. परंतु क्या उनके दिन-प्रतिदिन के जीवन को शेष समाज से अलग करके देखना संभव है? वास्तव में, आर्थिक क्षेत्र में होने वाली प्रत्येक गतिविधि सतह पर भले नहीं दिखती हो, किंतु उसका समाज के हर वर्ग पर प्रत्यक्ष-परोक्ष प्रभाव पड़ता है. शरीर में भोजन का प्रवेश मुख से होता है. क्या इससे केवल मुंह को उर्जा मिलती है? क्या यह सत्य नहीं कि मुख से ग्रहण किया भोजन शरीर के समस्त अंगों को ताकत देता है? इसी तरह राजकीय बजट भी देश के सभी वर्गों को प्रभावित करता है.
वित्तवर्ष 2022-23 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए 1.32 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जोकि वर्तमान वित्तवर्ष से अधिक है. अब यह सारा पैसा किसानों की सीधी जेब में तो जाएगा नहीं. मोदी सरकार ने इसके लिए अलग से 2.37 लाख करोड़ रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य, तो किसान सम्मान निधि योजना हेतु 68,000 करोड़ रुपये आवंटन किया है. कृषि क्षेत्र के लिए सरकार ने जो बजटीय राशि आंवटित की है, उसमें से वह किसानों को दी जाने वाले सब्सिडी युक्त रसायनिक खाद, अन्य उवर्रकों और तकनीक आदि पर भी व्यय करेगी. अब इन सबका निर्माण कारखानों आदि में होता है और वहां कार्यरत लोग किस श्रेणी में आते है, यह मुझे बताने की आवश्यकता नहीं. कल्पना कीजिए कि यदि कृषि-कृषक क्षेत्र हेतु कुछ भी बजटीय आवंटन नहीं हुआ होता, तो अन्य खाद्यान्नों के साथ दूध, सब्जी, फल आदि उत्पातों के दाम आसमान छूने लगते. स्पष्ट है कि कृषि क्षेत्र में वित्तवर्ष 2022-23 हेतु हुए प्रावधानों का लाभ समाज के अन्य लोगों के साथ मध्यम वर्गीय परिवार को भी मिलेगा.
इसी प्रकार बजट में विभिन्न मंत्रालयों से जुड़े ढांचागत विकास परियोजनाओं के लिए 107 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की गई है. प्रधानमंत्री गतिशक्ति परियोजना की सहायता से देश के आधारभूत ढांचे को एक नया रूप दिया जाएगा. इसके अंतर्गत अगले तीन वर्षों में आधुनिक 400 नई वंदे भारत ट्रेनें चलाने, वहीं 100 कॉर्गो टर्मिनल बनाने, पर्वतीय क्षेत्र के लिए पर्वतमाला परियोजना जैसी बड़ी विकास योजनाओं को शामिल किया गया है. राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार भी गतिशक्ति परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. वित्तवर्ष 2022-23 में देश के राष्ट्रीय राजमार्गों को 25,000 किलोमीटर तक विस्तारित किया जाएगा. इसका अर्थ यह हुआ कि प्रतिदिन 68 किमी सड़कें बनाई जाएंगी, जो कि 2022 के लिए निर्धारित 40 किमी की दर से लगभग दोगुनी है. इसके लिए 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. स्पष्ट है कि भारी-भरकम पूंजी के माध्यम से आधारभूत ढांचे को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा. अब इसके कारण संगठित क्षेत्र में सेवाओं (श्रमबल सहित) की मांग बढ़ेगी, जिससे नए रोजगार सृजन होंगे और जो पहले इस क्षेत्र से जुड़े हुए है, उनके वेतनमान में उछाल आ सकता है. जब लंबी यात्रा के लिए सड़कें सुगम होगी, तो स्वाभाविक है कि ईंधन आदि की बचत भी होगी. अब किस वर्ग को इन सबका सर्वाधिक प्रत्यक्ष-परोक्ष लाभ मिलेगा, इसका उत्तर आप जानते ही होंगे.
कोविड-19 से सबसे अधिक पर्यटन उद्योग प्रभावित हुआ है. इस क्षेत्र को संकट से उबारने की योजना, बजट में है. इसके लिए सरकार ने 2,400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जोकि वर्तमान वित्तवर्ष की तुलना में 18.42 प्रतिशत अधिक है. इस आवंटित राशि में 1,644 करोड़ रुपये क्षेत्र के आधारभूत ढांचे के विकास, 421 करोड़ रुपये प्रचार संबंधित गतिविधियों, पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 227 करोड़ रुपये और आदिवासी क्षेत्रों में पर्यटन संबंधी आधारभूत ढांचा निर्माण के लिए 98 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. कोरोनाराल में पर्यटन क्षेत्र को मिले इस बूस्टर खुराक का लाभ किसे अधिक मिलेगा?
मोदी सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र की रीढ़ और कोविड-19 से प्रभावित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को संजीवनी देने का काम किया है. एमएसएमई के लिए लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है. गारंटर की सीमा को 50 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है. बजट में आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) को मार्च 2023 तक बढ़ा दिया है. ऐसे में सबसे अधिक रोजगार देने वाले एमएसएमई क्षेत्र में पुनरुद्धार की संभावना बढ़ गई है. अब इसका निहितार्थ निकालना कठिन नहीं है कि इससे सर्वाधिक लाभ कौन अर्जित करेगा?
शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में कई मध्यम वर्गीय परिवार डाक बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करते हैं. उसकी विभिन्न योजनाओं में निवेश करते हैं, ताकि बैंक की तुलना में उन्हें अधिक लाभ मिल सकें. ऐसे में मोदी सरकार ने इस वर्ष शत-प्रतिशत 1.5 लाख डाकघरों को कोर बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने का निर्णय किया है. इसके खाताधारकों को सरकार नेट बैंकिंग, एटीएम और बैंक खाते में पैसे भेजने की सुविधा देगी. यह ठीक है कि बजट घोषणाओं के क्रम में आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ है, किंतु आयकर जमा करने में हुई गड़बड़ी को सुधारने के लिए सरकार ने दो वर्ष का समय दिया है. यह करदाताओं के लिए एक राहत है.
अक्सर, देखा गया है कि चुनावी वर्ष में जब भी बजट प्रस्तुत किया जाता है, तो लोकलुभावन घोषणाओं की झड़ी लग जाती है. आगामी दिनों में उत्तरप्रदेश, पंजाब सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है. ऐसे में विपक्षी दल, मोदी विरोधी सहित लगभग सभी सुधी पाठक इसकी अपेक्षा भी कर रहे थे कि जब कई राजनीतिक पार्टियां चुनावी लाभ पाने के लिए अपनी सरकार आने पर मुफ्त बिजली, पानी और यहां तक मासिक नकद राशि देने की घोषणा कर रही है, तो मोदी सरकार भी बजट में धुंआधार चुनाव जिताऊ घोषणाएं करेगी. परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ. यह बजट वोटबैंक को दृष्टि में रखकर प्रस्तुत नहीं किया गया. इसके माध्यम से मोदी सरकार ने देश के विकास और आर्थिकी के लिए अगले 25 वर्षों की दिशा निर्धारित की है. स्वाभाविक है कि जब राष्ट्र समृद्ध होगा, तो उसका लाभ सभी वर्गों को बढ़कर मिलेगा.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.