जनसंख्या के हिसाब से दुनिया में चीन पहले नंबर पर है तो भारत दूसरे नंबर पर और हम में से ज्यादातर लोगों को लगता है कि आने वाले वक्त में तो भारत में जनसंख्या विस्फोट होगा लेकिन अगर हम आपसे कहें कि आने वाले 78 सालों में भारत की जनसंख्या बढ़ने की बजाए 41 करोड़ कम हो जाएगी तो चौंकना तो बनता है.
हालांकि, इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि चीन की जनसंख्या जो फिलहाल 142 करोड़ के आसपास है वो सन 2100 में कम होकर सिर्फ 49 करोड़ रह जाएगी. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है तो चलिए बताते हैं इस डेटा के पीछे की पूरी कहानी.
ये डेटा (संयुक्त राष्ट्र का जनसंख्या प्रभाग) Population Division of the United Nations के लो फर्टिलिटी सिनेरियो (Low Fertility Scenario) के आधार पर तैयार किया गया है. इसके मुताबिक भारत और चीन की जनसंख्या फिलहाल तो एक जैसी ही लग रही है लेकिन आने वाले वक्त में भारत के मुकाबले चीन की जनसंख्या बहुत ज्यादा गिरने वाली है. डेटा के मुताबाकि सन 2100 तक भारत की जनसंख्या कम होकर 100.3 करोड़ के आसपास होगी और चीन की जनसंख्या 142.6 करोड़ से कम होकर महज़ 49.4 करोड़ के आसपास रह जाएगी.
रही बात अमेरिका की तो आने वाले 78 सालों में अमेरिका की जनसंख्या 33.7 करोड़ से कम होकर 28.1 करोड़ रह जाएगी यानी अमेरिका पर कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला. इस डेटा के मुताबिक नाइजीरिया (Nigeria) एक ऐसा देश होगा जिसकी जनसंख्या कम होने की बजाए बढ़ जाएगी. नाइजीरिया की जनसंख्या फिलहाल 21.6 करोड़ है जो बढ़कर 38.7 करोड़ हो जाएगी.
बहुत कम लोग ये जानते हैं कि चीन में बेशक भारत से ज्यादा जनसंख्या है लेकिन डेंसिटी के मामले में भारत चीन से कही ज्यादा आगे है. भारत में जहां 1 स्क्वायर किलोमीटर में 476 लोग रहते हैं. वहीं चीन में 1 स्क्वायर किलोमीटर सिर्फ 148 लोग ही रहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि चीन का क्षेत्रफल भारत से काफी ज्यादा है लेकिन डेटा बताता है कि पूरी दुनिया के मुकाबले भारत, चीन और जापान की पॉपुलेशन डेंसिटी काफी कम हो जाएगी.
साल 2100 तक पूरी दुनिया में जहां प्रति स्क्वायर किलोमीटर में पापुलेशन डेंसिटी (Populatin Density) कम होकर 61 से 54 हो जाएगी वहीं भारत में 1 स्क्वायर किलोमीटर में रहने वाले लोगों की संख्या 476 से कम होकर 335 रह जाएगी. चीन में ये आंकड़ा 148 से कम होकर महज़ 51 हो जाएगा यानी चीन में प्रति स्क्वायर किलोमीटर में रहने वाले लोगों की संख्या महज़ 51 रह जाएगी. रही बात जापान की तो आने वाले 78 सालों में जापान की जनसंख्या भी इतनी कम हो जाएगी कि वहां प्रति स्क्वायर किलोमीटर पॉपुलेशन डेंसिटी आज के 329 से कम होकर महज़ 133 रह जाएगी.
डेटा के मुताबिक 2050 तक भारत की जनसंख्या बढ़ेगी लेकिन अगले 50 सालों में ये कम होनी शुरू हो जाएगी. यानी 2050 में भारत में प्रति स्क्वायर किलोमीटर पापुलेशन डेंसिटी बढ़कर 513.7 होगी फिर 2075 में ये कम होकर 451.7 और फिर 2100 तक ये और कम होकर 334.8 रह जाएगी. अब यहां सवाल ये उठता है कि जनसंख्या बढ़ने के बजाए कम क्यों होगी. इसका जवाब भी जान लेते हैं
असल में जनसंख्या कम होने के पीछे की सबसे अहम वजह है फर्टिलिटी रेट का कम होना. भारत की ही बात करें फिलहाल भारत का फर्टिलिटी रेट 1.76 है यानि भारत में एक महिला इतने बच्चों को जन्म देती है और डेटा बताता है कि 2032 तक फर्टिलिटी रेट कम होकर 1.39 हो जाएगा जो 2052 तक और कम होकर 1.28, 2082 तक 1.2 और 2100 आते-आते भारत में एक महिला सिर्फ 1.19 बच्चों को ही जन्म देगी. यानी एक तरफ भारत में जन्म दर कम हो जाएगी और दूसरी तरफ आबादी बूढ़ी होकर खत्म हो जाएगी. ये दोनों ही फैक्टर चीन और बाकी दुनिया पर भी लागू होते हैं. यही कारण है कि आने वाले 78 सालों में धरती पर लोग ज्यादा नहीं कम हो जाएंगे.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)