अजिंक्य रहाणे टीम इंडिया के उपकप्तान हैं. वो भरोसेमंद बल्लेबाज हैं. उन्हें टेस्ट क्रिकेट में पांच साल का तजुर्बा है. वो 46 टेस्ट मैच खेल चुके हैं. उनकी बैटिंग स्टाइल की तारीफ कई दिग्गज खिलाड़ी कर चुके हैं. भारतीय टेस्ट टीम में वो मिडिल ऑर्डर की जान हैं. टीम इंडिया के लिए परेशानी की बात ये है कि पिछले कुछ समय से अजिंक्य रहाणे अपनी फॉर्म में नहीं दिख रहे हैं.


एजबेस्टन टेस्ट मैच में भारतीय टीम की हार की जिम्मेदारी बल्लेबाजों को लेनी चाहिए. जिसका रहाणे अहम हिस्सा हैं. रहाणे एजबेस्टन टेस्ट की दोनों पारियों में नाकाम रहे. रहाणे जिस तरह की सॉलिड बल्लेबाजी करते हैं उसे ध्यान में रखकर कहा जा सकता है कि पिच ऐसी भी खतरनाक नहीं खेल रही थी कि उस पर वो बल्लेबाजी नहीं कर सकते थे. लेकिन पहली पारी में रहाणे 15 रन ही बना पाए. दूसरी पारी में तो उनका आउट होना इसलिए और ज्यादा खल गया क्योंकि भारत के पास इंग्लैंड के खिलाफ जीतने का शानदार मौका था. भारतीय टीम को चौथी पारी में सिर्फ 194 रनों का लक्ष्य मिला था.


शुरूआती झटकों के बाद विराट कोहली क्रीज पर डट गए थे. पहली पारी में उन्होंने शतक लगाया था. इस शतक के बाद आया विश्वास उनकी बल्लेबाजी में दिख रहा था. रहाणे को सिर्फ विकेट के एक छोर से उनका साथ देना था. अजिंक्य रहाणे इस बार भी चूक गए. इस बार तो रहाणे दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंचे और सिर्फ 2 रन बनाकर पवेलियन लौटे. नतीजा भारतीय टीम को मैच गंवाना पड़ा. अब लॉर्ड्स में रहाणे को अपनी उपयोगिता दिखानी होगी.


एक साल से आउट ऑफ फ़ॉर्म हैं रहाणे
पिछले साल अगस्त का ही महीना था. भारतीय टीम श्रीलंका के दौरे पर थी. जहां उन्होंने 132 रनों की शानदार पारी खेली थी. उसके बाद से अजिंक्य रहाणे का बल्ला लगभग खामोश है. दक्षिण अफ्रीका के पिछले दौरे में उन्होंने जोहानिसबर्ग टेस्ट की दूसरी पारी में 48 रनों की बेहद महत्वपूर्ण पारी खेली थी. जिसकी बदौलत भारतीय टीम को जीत मिली थी. अगर उस पारी को छोड़ दिया जाए तो पिछले सात टेस्ट मैचों में रहाणे का योगदान ना के बराबर है.


पिछले एक साल में खेले गए 7 टेस्ट मैचों में रहाणे ने सिर्फ 118 रन बनाए हैं. उनकी औसत 10.7 तक गिर चुकी है. इस दौरान उन्होंने श्रीलंका, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और अफगानिस्तान के खिलाफ मैच खेले हैं. दक्षिण अफ्रीका में कप्तान विराट कोहली ने शुरूआती टेस्ट मैचों में अजिंक्य रहाणे को प्लेइंग 11 में शामिल नहीं किया था. उनके इस फैसले की जमकर आलोचना हुई थी. हर किसी का ये सवाल था कि ऐसा कब होता है कि विदेश दौरे पर टीम के उपकप्तान को ही प्लेइंग 11 से बाहर बिठा दिया जाए. बाद में जब विराट कोहली ने रहाणे को जोहानिसबर्ग टेस्ट में प्लेइंग 11 का हिस्सा बनाया तो उन्होंने 48 रनों की एक अहम पारी भी खेली थी. ऐसा माना जा रहा था कि रहाणे की वो पारी उनका खोया आत्मविश्वास वापस लाएगी, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. रहाणे के पास एक और खास मौका आने वाला है जहां वो अपनी फॉर्म को वापस पा सकते हैं.


रहाणे का लॉर्ड्स कनेक्शन
करीब चार साल पहले की बात है. भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर ही थी. धोनी तब टीम के कप्तान हुआ करते थे. इंग्लैंड ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी का न्यौता दिया. भारतीय टीम का टॉप ऑर्डर लड़खड़ा गया. विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा, मुरली विजय और शिखर धवन में से कोई नहीं चला. उस टेस्ट मैच में भारत को पहली पारी में 295 के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अजिंक्य रहाणे का ही योगदान था. रहाणे ने उस मैच में शानदार शतक लगाया था. 103 रनों की उनकी पारी में उनका ‘क्लास’ दिखाई दिया था. वो टेस्ट मैच भारत ने जीता था. भारत को 95 रनों से मिली उस जीत में ईशांत शर्मा का भी जबरदस्त योगदान था. कई बार खिलाड़ियों का उस मैदान में जाकर आत्मविश्वास बढ़ता है जहां उनके रिकॉर्ड्स अच्छे हों. अजिंक्य रहाणे के लिए ये एक ऐसा ही टेस्ट मैच होगा. हां, लेकिन खतरा इस बात का भी है कि अगर रहाणे यहां भी नहीं चले तो टीम में उनकी जगह पर उठते सवाल और तीखे हो जाएंगे.