विराट कोहली ने टीम इंडिया के लिए यही काम किया है, इसीलिए किसी भी मैच में जीत के वो इकलौते हीरो नहीं होते.
मुंबई टेस्ट में इंग्लैंड ने पहली पारी में 400 रन बना लिए थे. उसके बाद 364 रनों पर भारत के सात बल्लेबाजों को पवेलियन भी भेज दिया था. चौथी पारी में बल्लेबाजी भारत को करनी थी यानि बहुत कुछ ऐसा था कि इंग्लैंड की टीम मैच में कुछ ‘कमाल’ करने का सपना पाल सके. 3-4 इंग्लिश बल्लेबाजों ने पहली पारी में अच्छी बल्लेबाजी भी की थी. इसका मतलब ये है कि अगर इंग्लैंड की टीम भारत को पहली पारी में जल्दी समेट लेती तो उनके लिए बात बन सकती थी. बस मुसीबत इस ‘अगर’ में थी.


इंग्लैंड के लिए ये मुसीबत लेकर आए जयंत यादव. आप सोच कर देखिए जिस खिलाड़ी ने अभी पिछले महीने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरूआत की है. जिस खिलाड़ी का ये सिर्फ तीसरा टेस्ट मैच है. जिसे टीम में जगह अपनी गेंदबाजी की बदौलत मिली है. वो खिलाड़ी मैच के हालात को देखकर अपनी जिम्मेदारी समझता है. इस बात को भांप लेता है कि पहली पारी में जितने ज्यादा से ज्यादा रन स्कोरबोर्ड पर जोड़ लिए दूसरी पारी में वो बहुत काम आएंगे. उसके बाद वो टीम के कप्तान विराट कोहली के साथ अपनी साझेदारी शुरू करता है. इसके बाद की कहानी अब इतिहास में दर्ज हो चुकी है. जयंत यादव ने शतक लगाया. विराट कोहली के साथ रिकॉर्ड साझेदारी की. टीम को 231 रनों की बढ़त दिलाई. नतीजा भारत को दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने की नौबत ही नहीं आई और भारत ने इंग्लैंड को पारी और 36 रनों से हराकर सीरीज जीत ली.


विराट-अश्विन के अलावा भी सभी हैं फाइटर



इस बात को हर कोई जानता है कि विराट कोहली और आर अश्विन इस दौर में टीम इंडिया के सबसे बड़े ‘मैच विनर’ हैं. दोनों ही खिलाड़ी जबरदस्त फॉर्म में हैं. मुंबई में विराट कोहली ने शानदार दोहरा शतक जड़ा. उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया. आर अश्विन ने 12 विकेट लिए. लेकिन मुंबई के अलावा इस पूरी सीरीज में जीत सिर्फ इन दोनों खिलाड़ियों की बदौलत नहीं मिली है. जीत के हीरो इन दोनों के अलावा दूसरे खिलाड़ी भी रहे हैं. देखा जाए तो इस पूरी सीरीज में भारत के पुछल्ले बल्लेबाजों ने मैच का रूख बदला है. टीम के मनोवैज्ञानिक पक्ष को देखा जाए तो विराट कोहली की व्यक्तिगत कामयाबी ही टीम के बाकि खिलाड़ियों को प्रेरित करती है.



आर अश्विन बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये कह चुके हैं कि उनके हाथ में जब गेंद आती है तो वो हर मैच में ‘वही’ करना  चाहते हैं जो विराट कोहली हर बार बल्ले से करते हैं. विराट कोहली की सोच, उनकी बल्लेबाजी, उनकी कप्तानी ने टीम में कई चैंपियन पैदा किए हैं. खिलाड़ियों में भरोसा आया है. इन्हें पिच के मिजाज की परवाह नहीं है. इन्हें विरोधी टीम के खिलाड़ियों के कद से कोई लेना देना नहीं हैं. इन्हें इस बात से भी फर्क नहीं पड़ता कि ये टीम में कितने नए या पुराने हैं. इन्हें सिर्फ एक बात समझ आती है और वो एक बात है मैच में जीत. यही वजह है कि उमेश यादव इंग्लैंड के नामी गिरामी बल्लेबाजों को 145 किलोमीटर की रफ्तार से गेंद फेंकने में चौका छक्का पड़ने से नहीं घबराते. यही वजह है जयंत यादव बल्लेबाजी करते वक्त क्रीज पर कोई बेफिक्री नहीं दिखाते.

गांगुली और धोनी से ली सीख
टीम इंडिया का हालिया इतिहास बताता है कि एक बड़े खिलाड़ी ने टीम में अपनी ‘लीडरशिप’ से कई स्टार बनाए. याद कीजिए सौरव गांगुली का दौर. सौरव गांगुली ने कप्तानी संभाली उसके बाद वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान जैसे खिलाड़ियों की साख ही बदल गई. सहवाग, युवराज, हरभजन या जहीर खान ने सौरव की कप्तानी में एक अलग किस्म की ‘टफनेस’ दिखाई. कोई खुद को किसी से कमजोर मानने को तैयार ही नहीं था. सब के सब फाइटर. इसके बाद यही काम महेंद्र सिंह धोनी ने किया. खुद विराट कोहली धोनी की कप्तानी में ही चमके. विराट के अलावा मुरली विजय, सुरेश रैना जैसे खिलाडियों को धोनी ने तैयार किया.



आज क्रिकेट की पूरी दुनिया में अपनी गेंदबाजी का डंका पीट रहे आर अश्विन को धोनी ने तैयार किया. अश्विन बीच में जब बेरंग हो रहे थे तब धोनी ने उनमें भरोसा जगाया. रोहित शर्मा और शिखर धवन को धोनी ने लगातार मौका दिया. अब पिछले दो साल से टेस्ट टीम की कमान विराट कोहली के हाथ में है. विराट कोहली उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. उनकी कप्तानी में उमेश यादव, जयंत यादव और केएल राहुल जैसे खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं. जो टीम इंडिया का आने वाला भविष्य हैं. विराट कोहली ने काफी समय तक महेंद्र सिंह धोनी के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर किया है. उन्होंने देखा है कि धोनी किसी भी खिलाड़ी के साथ उस हद तक खड़े होते थे कि लोग उन्हें ‘जिद्दी’ तक कहने लगते थे. आज विराट कोहली उसी सोच के साथ टीम की कमान संभाल रहे हैं.